श्री गौतामी ग्रंधालयम एक विशाल पुस्तकालय है, जिसे वासुराय ग्रंधालयम और रत्नाकवि ग्रंधालयम को मिलाकर बनाया गया है। वासुराय ग्रंधालयम की स्थापना वासुदेव सुब्बारायडू ने और रत्नाकवि ग्रंधालयम की स्थापना कोक्कोंडा वेंकटरत्नम ने की थी।
श्री गौतामी ग्रंधालयम का...
राजामुंद्री में श्री बाला त्रिपुरा संदरी मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह पवित्र गोदावरी नदी के किनारे बना है। ये भी एक वजह है कि इस शहर को दक्षिण कासी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज से 200 साल पहले भगवान विश्वेसवर इस मंदिर में प्रकट हुए थे।
...दामेरला रामा राव आर्ट गैलरी की स्थापना दामेरला रामा राव की याद में किया गया था, जो कि राजामुंद्री में ही पले बढ़े थे। उनके निधन के 92 साल बाद से यहां उनके कुछ उत्कृष्ट कलाओं का नियमित प्रदर्शन किया जाता रहा है। दामेरला रामा राव ने पेंटिंग में क्रांतिकारी बदलाव लाए...
मारेदुमल्ली ईको टूरिज्म पर्यटकों के लिए ईको टूरिज्म का विस्तृत विकल्प मुहैय्या कराता है। यहां घूमने जाना कभी न भूलने वाला अनुभव साबित होगा, इसलिए जब भी आप राजामुंद्री जाएं तो मारेदुमल्ली ईको टूरिज्म जरूर घूमें। मारेदुमल्ली राजामुंद्री से करीब 100 किमी दूर है और...
राजामुंद्री का इस्कोन मंदिर मनोरंजन और पूजा-अर्चना का एक चर्चित स्थान है। इसे गौतामी घाट के नाम से भी जाना जाता है। 2 एकड़ से भी ज्यादा भूभाग में फैला यह इस्कोन मंदिर बैंगलुरू के इस्कोन मंदिर के बाद दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है।
इस्कोन अर्थात कृष्ण चेतना की...
कोनासीमा आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में स्थित है। पर्यटन की दृष्टि से यह जगह बेहद शानदार है और यहां देखने लायक कई जगह है। कोनासीमा गौतमी और वशिष्टा नदी से बने डेल्टा पर स्थित है। यह जगह अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।
अगर आप कोनासीमा है...
अगर आप आराम के कुछ पल बिताना चाहते हैं तो एल्कोत गार्डन एक आदर्श स्थान हो सकता है। इसका नाम दिव्य ज्ञान समाज के प्रमुख मिस्टर एल्कोत के नाम पर किया गया है। यहीं पर दिव्य समाज की नियमित बैठकें भी आयोजित की जाती है। वर्तमान में यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच...
रल्लाबंदी सुब्बाराव म्यूजियम की स्थापना 1967 में की गई थी। यहां राजामुंद्री के इतिहास के विभिन्न युग की शिल्पकृतियां देखी जा सकती है। यह शहर के आरंभिक सांस्कृतिक अवस्था से जुड़ी शिल्पकृति के संकलन के लिए प्रसिद्ध है। यहां आप टेराकोटा की मूर्तिका, प्रचीन समय के...
कमबाला टैंक और कमबाला चौल्ट्री को 1845 में बनवाया गया था। कमबाला चौल्ट्री का निर्माण कमभम नरिसंह राय पनतुलु ने करवाया था और इसका इस्तेमाल हिंदूओं के अंतिम संस्कार के लिए किया जाता था। कमबाला टैंक भी संबंध भी इसी काल से है और इसे कमभाला चेरुवु और कमभम वारी चेरुवु...
आर्यभट्ट साइंस एंड टेक्नोलॉजी सोसाइटी का शुभारंभ 20 नवंबर 2006 को किया गया था। यह आंध्र प्रदेश हॉसिंग बोर्ड कॉलोनी में स्थित है और शहर से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां मॉडल्स रखे गए हैं, जिसमें लोग काफी रुचि लेते हैं।
इनमें से 36 कंक्रीट से बने...
इस म्यूजियम को सर आर्थर कॉटन की याद में बनवाया गया था। वह एक ब्रिटिश इंजीनियर थे, जिन्होंने शुरुआती समय में गोदावरी नदी पर कई निर्माण किए। दावलेश्वर बांध बनाने का श्रेय भी सर आर्थर कॉटन को ही जाता है। उन्होंने भारत में कई वास्तुशिल्पीय निर्माण में बड़ी भूमिका...
श्यामलंबा अम्मावारी देवस्थानम राजामुंद्री का एक और चर्चित मंदिर है। कहा जाता है कि पहले यहां देवी श्यामलांबी की प्रतिमा हुआ करती थी, जिसके स्थान पर अब सोमालम्मा अम्मावारु की प्रतिमा रखी गई है। देवी सोमालम्मा अम्मावारु पार्वती के नौ रूपों में से एक है।
...कोटिलिंगेश्वर मंदिर ककिनाड़ा से 45 किमी दूर द्रक्षारमम मंदिर के मंदिर के पास स्थित है। यह राजामुंद्री शहर के पास में ही है। 10 शताब्दी में बना यह मंदिर राजामुंद्री का एक प्रमुख आकर्षण है। यह पूरे साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस...
पत्तीसीमा राजामुंद्री से करीब 40 किमी दूर है। यह एक खूबसूरत स्थान है और इसकी सीमा में दो मंदिर भी आते हैं। भारतीय फिल्म निर्माताओं के बीच भी यह जगह काफी चर्चित है। गोदावरी नदी के बीच में पहाड़ी पर बना श्री वीरभद्र मंदिर पत्तीसीमा का प्रमुख आकर्षण है। यह मंदिर...
अनमकलाकेन्द्रम राजामुंद्री का एकमात्र इनडोर स्टेडियम है। इसकी स्थापना अनम परिवार ने किया था और इसका रखरखाव राजामुंद्री नगर निगम द्वारा किया जाता है। शुरुआत से ही अनमकलाकेन्द्रम ने देशज कलाओं के प्रदर्शन की ओर ध्यान दिया। साथ ही इन्होंने कला की उन विधाओं को भी...