गोविंदगढ़ पैलेस बहुत पहले साल 1882 ई. में रीवा के महाराज ने था। यह महल रीवा के शहर से 13 कि.मी. दूर है। यह महल कुछ खूबसूरत झरनों जैसे केओंती, चाचाय तथा बछुती से घिरा हुआ है। इस जगह पर दो नदियों बिहाड़ और पिछिया का संगम होता है।
इस महल का निर्माण बहुत अच्छी तरह से किया गया है जिसकेे चारो ओर सुंदर वास्तुकला है। इस महल के अंदर एक भूमिगत सुरंग है जिसका उपयोग रीवा के राजा एक गुप्त मार्ग के रूप में करते थे। इस महल के अंदर अनेक मंदिर जैसे चैआंदी मंदिर, हनुमान मंदिर स्थित हैं।
यह महल बाघेला राजाओं के द्वारा बनवाई गई गोविंदगढ़ झील के किनारे स्थित है। इस महल के अंदर विशाल इतिहास को समेटे हुए एक संग्रहालय है। यह संग्रहालय राज्य के इतिहास में प्रसिद्ध है क्योंकि 1952 में पास के जंगलों से पकड़े गए सफेद बाघ को रखने वाला यह पहला संग्रहालय है। स्थानीय लोगों ने इस बाघ का नाम मोहन रखा था।