सबरीमला, समृद्ध जंगलों के मध्य स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ है। पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला में स्थित इस स्थान का प्राकृतिक सौन्दर्य आज भी अपने प्राचीन रूप में है। गडगडाती हुई धारें और पम्बा नदी के दोनों किनारे इसे दुलारते प्रतीत होते हैं। नवंबर- दिसंबर के पवित्र महीने में, जो कि मलयालम केलेंडर के अनुसार मंदालाकला ऋतु है, करोड़ों लोग इस स्थान पर आते हैं। यह एक वार्षिक तीर्थ का समय है और विभिन्न जाति, श्रेणी, वित्तीय पृष्ठभूमि के लोग पूरे देश एवं विदेशों से बड़ी संख्या में सबरीमला आते हैं।
पौराणिक कथाओं से एक निष्कर्ष
सबरीमला का शाब्दिक अर्थ है सबरी (रामायण से एक पौराणिक चरित्र) की पर्वत श्रंखला। सबरीमला पहाड़ियां, पथानमथीट्टा जिले के पूर्व की ओर स्थित हैं और यह इलाका पेरियार टाइगर हिल रिजर्व के अंतर्गत आता है जो केरल के सौन्दर्य की विशेषता को आदर्श रूप से ग्रहण करता है। सबरीमला के मुख्य मंदिर के इष्टदेव भगवान अयप्पा या स्वामी अयप्पा हैं। वे व्यक्ति जो सबरीमला तीर्थयात्रा पर आना चाहते हैं उन्हें 41 दिनों तक मांसाहारी भोजन और सांसारिक सुखों से परहेज़ करना चाहिए। मंदिर की ओर एक लंबी यात्रा में हरे - भरे पेड़, नदियाँ, चरागाह देखने को मिलते है और प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक बार यह दिलचस्प अनुभव लेना चाहिए।
तीर्थयात्रा
तीर्थयात्रा नवंबर महीने के मध्य से प्रारंभ होकर जनवरी के चौथे सप्ताह में समाप्त होती है। सबरीमला टाउनशिप हमेशा तीर्थयात्रियों, दुकानों, होटल और के साथ व्यस्त होती है हालांकि यहाँ कोई स्थानीय रहिवासी नहीं है। मंडलपूजा और मकरविलाक्कू सबरीमाला के दो मुख्य त्यौहार हैं। सबरीमला में एक पवित्र स्थल है जो मुस्लिम संत वावरू स्वामी को समर्पित है और इस कारण यह स्थान धार्मिक सहनशीलता एवं सद्भाव का एक आदर्श है।
स्वयं भगवान की ओर पथ
वे लोग जो पैदल चलकर मन्दिर तक जाना पसंद करते हैं, सबरीमला के मंदिर तक पहुंचने का रास्ता लंबा और कठिन है। पर यह थकाने वाला नहीं हैं क्योंकि यात्रा के दौरान पूरे रास्ते में आपको वृक्ष मिलेंगे जो आपको आराम, शांति और शरण प्रदान करते हैं। सबरीमला दुनिया में सबसे बड़े वार्षिक तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है क्योंकि प्रति वर्ष यहाँ लगभग 4-5 करोड़ भक्त आते हैं। अयप्पा का मंदिर, 18 पहाड़ियों के बीच स्थित है जो एक सुरम्य दृश्य है, जिसे कोई भी यात्री अवश्य देखना चाहेगा। यह मंदिर घने जंगलों और पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है और एक पहाड़ी पर समुद्र तल से, औसत 1535 फीट की उंचाई पर स्थित है।
सबरीमला की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ हिन्दू भगवान् अय्यप्पा ने खतरनाक राक्षस को महिषी मारने के बाद तपस्या की थी। सबरीमाला का मंदिर कई लोगों के लिए एकता, समानता, और दुनिया की सभी अच्छाइयों का एक प्रतीक है। यह इस तथ्य को बताता है कि अच्छाई की बुराई पर हमेशा जीत होती है और यहाँ प्रत्येक व्यक्ति को न्याय मिलता है। यह ऐसे कुछ मंदिरों में से एक है जो भक्तों को वंश, जाति और धर्म से परे स्वीकार करता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान् विष्णु के एक अवतार भगवान् परशुराम ने अपनी कुल्हाड़ी फ़ेंक कर सबरीमला में अय्यप्पा की मूर्ती का निर्माण किया था। सबरीमला त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी), एक सरकारी निकाय, के प्रशासन के अधीन है।
एक न भूलने वाला अनुभव
सबरीमाला की यात्रा एक क़ीमती अनुभव है क्योंकि यह स्थान दोनों आध्यात्मिक एवं सौन्दर्य मूल्यों से परिपूर्ण है। हज़ारों तीर्थयात्री अपनी भक्ति प्रदर्शित करने के लिए कम से कम वर्ष में एक बार यहाँ आते हैं। हरे भरे वनों और बुदबुदाती धाराओं के बीच से भगवान अयप्पा मंदिर तक विचरते हुए पहुँचना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
शीर्ष तक पहुँचने के लिए लगभग 3 किमी की पैदल यात्रा आवश्यक है पर यह रास्ता आपके लायक है। लहरदार पहाड़ी इलाके, वनस्पतियों और जीवों की रोमांचक विविधता सबरीमला को प्रकृति प्रेमियों के लिए एक एक संतोषजनक गंतव्य बनाते हैं।
सबरीमला कैसे पहुंचें
आप यहाँ पंबा नगर क्षेत्र द्वारा पहुँच सकते हैं जो अन्य मुख्य शहरों से रेल एवं सडक द्वारा जुड़ा हुआ है। सबरीमला आने वाले लोगों के लिए टूरिस्ट पॅकेज और सस्ते होटल प्रत्येक मौसम में उपलब्ध हैं।
सबरीमला जाने का सबसे अच्छा मौसम
तीर्थयात्रा नवंबर महीने के मध्य से प्रारंभ होकर जनवरी के चौथे सप्ताह में समाप्त होती है। सबरीमला टाउनशिप हमेशा तीर्थयात्रियों, दुकानों, होटल और के साथ व्यस्त होती है हालांकि यहाँ कोई स्थानीय निवासी नहीं है।