मकरविलाक्कू सबरीमला में मकर संक्रांति के दिन भव्यता से मनाया जाने वाला वार्षिक उत्सव है। इस त्यौहार पर प्रति वर्ष लगभग पांच लाख तीर्थयात्रियों की उपस्थिति दर्ज होती है। मकरविलाक्कू 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर भगवान अयप्पा की मूर्ति मंदिर में प्रतिस्थापित की जाती है एवं उसे शाही आभूषणों से सजाया जाता है।
इस त्यौहार का प्रारंभ थिरुवाभरणम जूलूस (आभूषणों का जूलूस) से होता है एवं गहनों को पंडलम महल से लाया जाता है। प्रत्येक वर्ष हज़ारों भक्त इस जूलूस को देखने के लिए मंदिर में खड़े रहते हैं। यह भव्य पर्व धूमधाम और आनन्द के साथ मुख्य मंदिर तक पहुँचता है।
सात दिन लंबा चलने वाला यह त्यौहार ‘गुरुथी’ नाम की एक रस्म के साथ संपन्न होता है। यह रस्म जंगल के देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए की जाती है। इस दिन एक शुभ ध्रुवीय सितारा, जिसे मकर तारे के नाम से जाना जाता है, का आकाश में उदय होता है। मकरविलाक्कू आपकी इन्द्रियों की आध्यात्मिक संतुष्टि सुनिश्चित करता है और यह भी निश्चित करता है कि आप अपने मन, आत्मा और शरीर को वास्तव में शुद्ध करके घर जाएं।