Search
  • Follow NativePlanet
Share
होम » स्थल » सरिस्का » आकर्षण » भानगढ़ का किला

भानगढ़ का किला, सरिस्का

25

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ का किला एक मध्ययुगीन किला है । यह किला अम्बेर के महान मुगल सेनापति,मान सिंह के बेटे माधो सिंह द्वारा 1613 में बनवाया गया था। राजा माधो सिंह अकबर की सेना के जनरल थे। ये किला जितना शानदार है उतना ही विशाल भी है, वर्तमान में ये किला एक खंडहर में तब्दील हो गया है। अगर यहां के स्थानीय लोगों की माने तो यहां  आने के बाद पर्यटक आज भी एक अलग तरह के डर और बेचैनी का अनुभव करते हैं।

किले में प्राकृतिक झरने, जलप्रपात, उद्यान, हवेलियां और बरगद के पेड़ इस किले की गरिमा को और भी अधिक बढ़ाते हैं। साथ ही भगवान सोमेश्वर, गोपीनाथ, मंगला देवी और केशव राय के मंदिर धर्म की दृष्टि से भी इसे महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। इस किले की संरचना इसे अन्य किलों से अलग बनाती है। इस किले में पांच द्वार और एक मुख्‍य दीवार है। इस किले को बनाने में मजबूत लाइम स्टोन का इस्तेमाल किया गया है।

भानगढ़ किला  देखने में जितना शानदार है उसका अतीत उतना ही भयानक है। आपको बता दें कि भानगड़ किले के बारें में एक कहानी प्रसिद्ध है। इसके अनुसार भानगढ़ की राजकुमारी रत्‍नावती जो बेहद खुबसुरत थी और उनके रूप की चर्चा पूरे राज्‍य में थी वो एक तांत्रिक की मौत का कारण बनी क्योंकि तांत्रिक राजकुमारी से विवाह करना चाहता था।

राजकुमारी से विवाह न होने के कारण उसने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मरने से पहले भानगढ़ को तांत्रिक से ये श्राप मिला क‍ि इस किले में रहने वालें सभी लोग जल्‍द ही मर जायेंगे और ताउम्र उनकी आत्‍माएं इस किले में भटकती रहेंगी। उस तांत्रिक के मौत के कुछ दिनों बाद ही भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच जंग हुई जिसमें किले में रहने वाले सारे लोग मारे गये।

यहां तक की राजकुमारी रत्‍नावती भी उस श्राप से नहीं बच सकी और उनकी भी मौत हो गयी। तब से लेकर आज तक इस किले में रूहों ने अपना डेरा जमा रखा है। 

भानगढ़ के सम्बन्ध में एक अन्य कहानी ये भी है क‍ि यहाँ एक तपस्वी बाबा बालानाथ और राजा अजब सिंह के बीच किसी बात को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसे बाद में राजा ने नहीं माना और बाबा ने उसे श्राप दे दिया की इस किले में कोई भी जीवित नहीं रहेगा और जो यहां आयगा वो मार जायगा। तब से लेकर आज तक ये किला यूं ही वीरान पड़ा है और आज भी इसमें भूत हैं। लोगों का मानना है कि यही कारण था कि किले को इसके निर्माण के तुरन्त बाद ही छोड़ दिया गया था, और शहर प्रेतवाधित होने की वजह से सुनसान हो गया।

फिलहाल इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ आर्कियोंलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं। एएसआई ने सख्‍त हिदायत दे रखी है कि सूर्यास्‍त के बाद इस इलाके में कोई भी व्‍यक्ति न रुके। यहां तक की ये भी कहा जाता है क‍ि इस किले में सूर्यास्‍त के बाद जो भी गया वो फिर कभी भी वापस नहीं आया। ये तक कहा गया है की यहां आने वालों को कई बार रूहों द्वारा परेशान किया गया है और कुछ लोगों को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ा है।

इस किले में आज भी आने वालों को तलवारों की आवाज और लोगों की चींखें सुनाई देती है। इसके अलांवा किले के भीतर कमरों में महिलाओं के रोने या फिर चूड़ियों के खनकने की भी आवाजें साफ सुनाई देती हैं। किले के पिछले हिस्‍सें में एक छोटा सा दरवाजा है जिसके पास बहुत अंधेरा रहता है। कई बार वहां किसी के बात करने की आवाज या एक विशेष प्रकार की गंध को भी लोगों ने महसूस किया है।

ये किला उनके लिए है जो रोमांच के शौक़ीन है और डर पर अपनी जीत दर्ज करना जानते हैं। अगर आप डर को जीतने का साहस रखते हैं तो एक बार जरूर यहाँ जाएं। 

 

One Way
Return
From (Departure City)
To (Destination City)
Depart On
29 Mar,Fri
Return On
30 Mar,Sat
Travellers
1 Traveller(s)

Add Passenger

  • Adults(12+ YEARS)
    1
  • Childrens(2-12 YEARS)
    0
  • Infants(0-2 YEARS)
    0
Cabin Class
Economy

Choose a class

  • Economy
  • Business Class
  • Premium Economy
Check In
29 Mar,Fri
Check Out
30 Mar,Sat
Guests and Rooms
1 Person, 1 Room
Room 1
  • Guests
    2
Pickup Location
Drop Location
Depart On
29 Mar,Fri
Return On
30 Mar,Sat