भारत में बौद्ध धर्म के उद्भव और विकास से सारनाथ का गहरा नाता है। यहीं गौतम बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को पहला उपदेश दिया था। साथ ही विश्व को धर्म का सिद्धांत, चार आर्य सत्य और आर्य अष्टांग मार्ग के बारे में बताया था। बाद में सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और उत्तर भारत में कई स्तंभ और स्तूप का निर्माण करवाया, जिनमें से कुछ सारनाथ में स्थित है।
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने यहां 1930 से खुदाई का काम शुरू किया और कई स्मारक, ढांचा और प्रचीन कला कृतियों को निकाला। इसे पुरातात्विक व खुदाई क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां पाई गई कला कृतियों को सारनाथ म्यूजियम में प्रदर्शनी के लिए रखा गया है। इसमें ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से 12वीं शताब्दी के बीच के बुद्ध कला के बेहतरीन नमूने शामिल हैं। म्यूजियम में कुल पांच गैलरी और दो बरामदे हैं।