सज्जनगढ़ और वासोटा किलो का निर्माण मराठा शैली में किया गया है। इसे पहले अस्वल्यान्गढ़ या अस्वल्गढ़ के नाम से जाना जाता है। यह 10 वी सदी में बनाया गया। यह सतारा से 9 कि.मी. की दूरी पर है। यह 312 मीटर ऊंचा और 1525 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है।
यहाँ शिवाजी महाराजा के गुरु श्री समर्थ रामदास स्वामी समाधी में लीना हुए। इस किले के पास दो झीले हैं।रामनवमी के त्यौहार पर इस किले के आस - पास कि जगह को बहुत सुन्दर तरीके से सजाया जाता है।