बाणगंगा, शिवपुरी में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। इस शहर का नाम भी भगवान शिव के नाम पर ही रखा गया है जिसे शहर के इतिहास और धर्म से खचाखच भरे चौक द्वारा सुझावा गया था। चौक की हर सड़क, पर्यटकों को 7 वीं सदी के एक मंदिर की ओर ले जाती है जहां भगवान की मूर्ति स्थापित होती है।
बाणगंगा, हिन्दूओं के लिए एक धार्मिक और पवित्र भूमि है। बाणगंगा एक प्राचीन मंदिर है और यहां मंदिर परिसर में पानी के 52 पवित्र तालाब स्थित है जिसके बारे में माना जाता है कि पांडवों में से अर्जुन ने भीष्म की प्यास बुझाने के लिए मैदान में तीर मारकर पानी निकाला था जिससे भीष्म की प्यास बुझ गई थी।
इस घटना के बारे में पवित्र महाकाव्य महाभारत में विस्तारपूर्वक बताया गया है। माना जाता है कि जब भीष्म तीरों की शरशैय्या पर लेटे थे तो भीष्म ने ही तीर को जमीन में मारा था जिससे जमीन से गंगा का स्त्रोत फूट कर भीष्म के मुंह में जा पहुंचा और उनकी प्यास बुझ गई।