माधव राष्ट्रीय पार्क एक जंगली क्षेत्र है जो भारत के इतिहास के पन्नों में अकबर के शासनकाल के दौरान शिकार से लेकर औपनिवेशक काल तक दर्ज है। माना जाता है कि अकबर ने इस जंगल के हाथियों के पूरे झुंड पर कब्जा कर लिया था और उन्हे इस जंगल से अपने हाथियों के अस्तबल तक ले गए थे। यह पूरा उद्यान 354 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यहां फैली हरी - भरी घास झील के किनारे सुंदर दृश्य प्रदान करती है।
वन्यजीव के प्रति उत्साही पर्यटकों के लिए यह उद्यान किसी सपने के साकार होने से कम नहीं है। यहां की जैव विविधता किसी से पीछे नहीं है, इस उद्यान में वन्यजीवन की झलक मानव हस्तक्षेप के बावजूद भी देखने को मिलती है। राष्ट्रीय पार्क के अंदर ही एक खूबसूरत सी संरचना है जिसे सिंधिया के राजा जीवा जी राजा द्वारा निर्मित करवाया गया था।
आजदी से पूर्व की अवधि में औपनिवेशिक स्थापत्य ने इस संरचना को एक आकर्षक संरचना बनाया था। महल से सूर्यास्त का दृश्य देखने लायक होता है, यहां आकर इस चौकानें वाले दृयश् को अवश्य देखना चाहिए। सख्या सागर नाव क्लब, मगरमच्छ वाली झील में पर्यटकों को नजदीक से मगरमच्छ देखने का अवसर प्रदान करता है।