गोवा के सकुएलिम शहर में सभी ओर से अनेक पर्यटक आते हैं परंतु यहाँ पहुँचने वाले रास्ते से कुछ हटकर जाने पर आप स्वयं को राजसी अर्यालेम गुफाओं के बीच पायेंगे जिन्हें पांडव गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि अपने 12 वर्षों के निष्कासन के दौरान पांडव (हिंदू पौराणिक कथाओं के पात्र) यहाँ रहे थे। यहाँ वास्तुकला और मूर्तिकला से संबंधित बात करने के लिये कुछ भी नही है क्योंकि ये गुफाएं अपेक्षकृत छोटी हैं। इनका निर्माण छटवीं सदी में हुआ और इसका निर्माण किसने किया यह अभी निश्चित नही है।
कुछ लोगों का यह विश्वास है कि इन गुफाओं का मूल बौद्ध धर्म है परंतु दीवारों पर लिंग की उपस्थिति भ्रम उत्पन्न करती है। लेटराईट पत्थर और इन गुफाओं की वास्तुकला की बौद्ध वास्तुकला से समानता हमें यह मानने पर मजबूर करती हैं कि अर्यालेम गुफाएं शायद बौद्ध हैं। पुरातत्वविद इन गुफाओं में सातवीं शताब्दी में पाए गए कुछ संस्कृत शिलालेखों की खोज भी कर रहे हैं।
अर्यालेम गुफाओं के पौराणिक महत्व के कारण अक्सर हिंदू पर्यटक इस गुफाओं का दौरा करते हैं परंतु फिर भी लाल ईंटों की ये गुफाएं औसत पर्यटकों के लिये विस्मयकारी रूप से प्रेरणादायक हैं। यह स्थान पिकनिक के लिये एक आदर्श स्थान है जहाँ आप एक दोपहर बिता सकते हैं और इन गुफाओं के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठा सकते हैं। मानसून का समय इन गुफाओं की सैर के लिये उपयुक्त है।
अर्यालेम गुफाओं तक पहुँचना थोडा मुश्किल है। ये संकुएलिम शहर के पास पूर्व की ओर स्थानों जैसे वास्को, मडगांव और पणजी के पास स्थित है। इस गुफाओं तक जाने का उत्तम तरीका यह है कि आप किराये की या स्वयं की मोटर साईकिल लेकर वहाँ जाएँ यद्यपि उत्तर गोवा और शहर से यहाँ के लिये कैब भी उपलब्ध हैं। किराये के विषय में सावधान रहें, यहाँ मीटर के अनुसार किराया नही लिया जाता।