डेरा जीवन नगर, सिरसा शहर से 30 किमी. की दूरी पर पश्चिम में स्थित है। यह नामधारी समुदाय का एक विशेष धार्मिक स्थल है। जो भी गुरू से दीक्षा पाना चाहता है या शिक्षा ग्रहण करना चाहता है और उनके निर्देशों का जीवन भर पालन करने के लिए तैयार है, वह नामधारी कहलाता है, यह पदाधिकारियों को दिया जाना वाला पवित्र नाम है।
कोई भी ऐसा स्थान जहां डेरा बना होता है या नामधारी लोगों का निवास होता है, उस स्थल को चिचल कहा जाता है। स्वर्गीय प्रताप सिंह की मां, जीवन कौर जो कि एक नामधारी संत थी, उन्होने इसे वर्तमान नाम दिया था। यहां के अधिकांश अनुयायी,शेखपुरा, सियालकोट और गुजरांवाला के होते है जो अब पाकिस्तान में स्थित है और देश के विभाजन के बाद वहीं रहने लगे है।
यहां सदैव, गुरूबानी और गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ होता रहता है। इसे नामधारी सम्प्रदाय के गुरू जपते है। प्रत्येक वर्ष, वार्षिक उत्सव होला का आयोजन, चेट बाडी 1 ( मार्च - अप्रैल ) में किया जाता है। यहां की मुख्य विशेषता यह है कि यहां सिर्फ 11 रूपए में शादी करवा दी जाती है।