अहमदपुर मांडवी समुद्री तट गुजरात के सर्वाधिक घूमे जाने वाले समुद्री तटों में से एक है। यह गुजरात की तटरेखा पर स्थित है, जहां पर गुजरात और दीव आपस में मिलते हैं। इस लिए यहां सौराष्ट्र और दीव के पुर्तगाली संस्कृति का मेल देखने को मिलता है। अगर आप बालू पर सैर करना...
महाकाली मंदिर सोमनाथ मंदिर के पास स्थित है। इसे 1783 में इंदौर की महारानी आहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था।
सोमनाथ स्थित साना की गुफाएं पहाड़ पर अलग-अलग ऊंचाई पर स्थित है। विशेषज्ञों की माने तो इसे ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के आसपास बनाया गया था। खूबसूरत नक्काशी, स्तूप, पत्थरों को काटकर बनाए गए तकिए और चैटियास इसे एक रोचक पर्यटन स्थल बना देते हैं।
मै पुरी मस्जिद जूनागढ़ गेट से करीब एक किमी दूर है। यह प्रचीन इमारत वेरावल के लिए प्रवेश द्वार का काम करती है और अपने नीले और सफेद टाइल्स के कारण काफी आकर्षक दिखती है। सोमनाथ के अन्य मस्जिदों साथ-साथ मुस्लिम समुदाय के बीच इस मस्जिद का भी विशेष महत्व है।
सोमनाथ से 6 किमी दूर स्थित वेरावल मछली पालन के लिए जाना जाता है। आप यहां शिल्पकारों को परंपरागत तरीके से नाव बनाते हुए और मछली पकड़ने वाले जहाज देख सकते हैं। यहां के वातावरण से हमेशा मछली की गंध आती रहती है और अगर आपको इससे समस्या है, तो वेरावल से दूर ही रहें।...
सोमनाथ के पुरातत्विक संग्रहालय में पुराने सोमनाथ मंदिर के अवशेषों का विशाल संकलन है। यहां रखे गए विभिन्न कालों के पत्थर की प्रतिमा, बरतन और अभिलेख को देखना एक मजेदार अनुभव साबित होगा। यह संग्रहालय सुबह 8.30 बजे से दोपहर 12.15 बजे तक और दोपहर 2.30 बजे से शाम 6 बजे...
दैत्यसुदन तीर्थस्थान सोमनाथ में स्थित है। यहां भगवान विष्णु की एक छवि है, जो 7वीं शताब्दी की है।
सोमनाथ समुद्रतट अपनी उफनती हुई लहरों के लिए जाना जाता है। इस कारण तैराकी के लिए इसे असुरक्षित माना जाता है। यहां कैमल राइड और नाश्ते का आनंद लिया जा सकता है।
सोमनाथ महादेव मंदिर गुजरात के सोमनाथ में स्थित है। इसे आदि ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को सात बार नष्ट किया गया, पर हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया। इसे चंद्रदेव सोम ने सोने से, सूर्यदेव रवि ने रजत से और भगवान श्री कृष्ण ने लकड़ी से बनवाया...
गुजरात के सोमनाथ में स्थित सूर्य मंदिर सितला माता मंदिर के ठीक बगल में है। मंदिर के मुख्य मूर्ति सूर्यदेव रवि की है। इसके अलावा यहां सूर्यदेव के दो आनुषंगिक की भी प्रतिमा है। इस मंदिर को 14वीं शताब्दी में बनवाया गया था।
गुजरात स्थित शशिभूषण तीर्थ स्थल सोमनाथ से भालुका तीर्थ जाने के क्रम में पड़ता है। यहीं पर चंद्रदेव सोम ने अपने पापों के प्रायश्चित करने के लिए यज्ञ किया था।