गोरामंगर या खोडवा पहाड़, मऊ कला गांव से 13 किमी. की दूरी पर और रॉबर्ट्सगंज से 38 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह पहाड़ या पहाड़ी, काउआ खोह रॉक आश्रय के लिए घर है। रॉक शेल्टर तक पहुंचना आसान नहीं है क्योंकि एक झरने के संकीर्ण दर्रे के बीच में खड़ी पहाडियों पर स्थित है।
लेकिन आप एक बार इनमें घुस जाते है जो वहां का अनुभव आपको ताउम्र याद आने वाला है। इस स्थल से चारों ओर फैली घाटियों, बहती नदियों, पहाडियों और जंगलों का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। इस गुफा आश्रय में संस्कृति और जीवन को दर्शाती कई पेंटिग्स, बड़ी संख्या में यहां लगी हुई हैं।
यह पेंटिग्स, लोकनृत्य, शिकार और युद्ध के दृश्यों को दर्शाती है। गोरामंगर रॉक आश्रय में सबसे मजेदार मेंढक नृत्य होता है। इस नृत्य को यहां के स्थानीय निवासियों द्वारा भगवान को बारिश करवाने के आह्वान के उद्देश्य से किया जाता है। यह एक प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान होता है जिसकी काफी मान्यता है। इस नृत्य में सभी प्रतिभागी कई अनूठे पोज देते है। नृत्य के दौरान वह कंटीले तीर, हार्पून्स और लैंसर्स लेकर साथ में चलते है।