अंबिका नदी के किनारे स्थित यह जगह नवसारी से 25कि.मी. दक्षिण की ओर है। सतपुड़ा जाने के लिए बिलिमोड़ा से गुज़रना पड़ता है और यह डांग जंगल के उत्पादों का बिक्री केंद्र भी है।
इस संग्रहालय को सरदार संग्रहालय भी कहा जाता है और यह 1889 में स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय में एक संग्रह है जो सूरत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है और प्लेनेटेरियम में हमारे ब्रह्यांड के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिए दैनिक शो...
16वीं सदी के ये ब्रिटिश और डच मकबरे वास्तुकला में सथानीय हिंदु और इस्लामी शैली से प्रभावित हैं और इनके साथ ही आर्मेनियाई कब्रिस्तान है जहाँ कब्रें बनी हुई हैं जिनकी बनावट बड़ी नहीं है लेकिन इनपर शिलालेख बने हैं। ये सभी संरक्षित ऐतिहासिक स्मारक हैं और इस क्षेत्र...
तापी नदी के बगल में स्थित सूरत महल 1540 में सुल्तान महमूद तृतीय द्वारा पुर्तगाली आक्रमण से सूरत शहर की रक्षा करने के लिए बनाया गया था।
सूरत में पारसी अग्नि मंदिरों की संख्या बहुत कम है। उनमें से पारसी अगियारी एक प्रमुख मंदिर है। पवित्र लौ इस मंदिर में अब भी जल रही है और किसी भी गैर-पारसी को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है।
केंद्र को सूरत में स्थानांतरित करने से पहले रांदेर दक्षिण गुजरात का मुख्य शहर था और इस क्षेत्र के सबसे पुराने शहरों में से एक है। इस क्षेत्र में जामा मस्जिद या शुक्रवार मस्जिद 16वीं सदी से संबंधित है और जैन मंदिर के भागों को इस्तेमाल करके बनायी गई थी जो किसी समय...
मुग़लसराय मूलरूप् से एक सराय या सरायखाना है जो 17वीं सदी में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान बनवाई गई थी ताकि हज के लिए मक्का जाने वाले तीर्थयात्रियों को ठहरने की जगह मिल सके। 1857 में कुछ समय के लिए इस इमारत को जेल में तब्दील कर दिया गया था और वर्तमान...
बारडोली शहर 1918 में सरदार वल्लभभाई पटेल के ’नो टैक्स’ आंदोलन का जन्म स्थान है। बाद में सरदार ने इस शहर से ब्रिटिश टैक्स के विरुद्ध भी आंदोलन आरंभ किया। वास्तव में ये सभी घटनाएं दांडी से नमक मार्च यानि गांधीजी के नमक सत्याग्रह में सरदार की भागीदारी की...
यह सूरत के राज्यपाल, ख्वाजा सफर सुलेमान की दफनगाह है। यह मकबरा 1540 में उनके बेटे ने बनवाया था और इसपर पारसी वास्तुकला का प्रभाव है।
दुमस बीच शहर से 16कि.मी. दूर है ओर स्थानीय लोगों के बीच एक लोकप्रिय गंतव्य है। सूरत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित दुमस पर्यटकों के बीच भी एक लोकप्रिय गंतव्य है और अपनी काली रेत के लिए प्रसिद्ध है। इस शांत बीच के पास दरिया गणेश मंदिर भी है जहाँ आपको ज़रूर जाना चाहिए।
नारगोल एक छोटा सा शहर है और राष्ट्रीय राजमार्ग-8 से लगभग 30कि.मी. दूर गुजरात के वालासार जि़ले में स्थित एक शांत समुद्रतट है। हालांकि, नारगोल समुद्रीतट पर समुद्री कछुए की एक बड़ी आबादी है, फिर भी इस समुद्र के चारों ओर लगे कैसुरिना के पेड़ इस जगह को अधिक आकर्षक...
सुवाली एक काली रेत वाला समुद्रतट है। शहर से केवल 28कि.मी. दूर यह हज़ीरा के पास स्थित है और एक सुदूर इलाके में होने के कारण यह अभी भी एक विशुद्ध समुद्रतट है जहाँ लोग बहुत मुश्किल से आते हैं और इसी वजह से एकांत का मज़ा लेने और प्रकृति के करीब आने के लिए यह एक...
विश्व हीरा बाज़ार में आज सूरत एक बहुत प्रसिद्ध नाम है और विश्व बाज़ार के 10 में से 8 हीरे सूरत में काटे जाते हैं। खुरदरे और बिना कटे हुए हीरे दक्षिण अफ्रीका से सूरत आते हैं क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय हीरा व्यापार मुख्य रूप से उत्तरी गुजरात के पालनपुर से हैसिदिक...