कुमिली में स्थित कदथन्दन कलारी केंद्र, सदियों पुरानी कलारी नामक मार्शल आर्ट प्रेमियों एवं चिकित्सकों के लिए एक संगठन है। केरल में बेहद प्रसिद्ध इस कला के प्रति लोगों की रूचि जाग्रत करने हेतु इसे शुरू किया गया था। तीव्र शारीरिक क्रिया व लचीलेपन के द्वारा होने वाली कलारी (जिसे कलारिप्पयाट्टू के रूप में भी जाना जाता है), का एक भव्य इतिहास है कि केरल की सांस्कृतिक और मार्शल इतिहास में बसा है।
कदथन्दन कलारी केंद्र में आगंतुक दर्शकों के लिए बनायी गयी गैलरी से कलारी देख सकते हैं।आगंतुक इस पारंपरिक प्रणाली की जानकारी भी ले सकते हैं जिसमें शारीरिक प्रशिक्षण और आत्मरक्षा की तकनीक दोनों शामिल हैं। कलारी का दैनिक मंचन शाम 6 बजे से 7 बजे तक होता है और इस शो में बेहतर शारीरिक गति व निपुणता का प्रदर्शन दर्शकों को निश्चित रूप से मंत्रमुग्ध करताहै।
इस प्राचीन मार्शल प्रणाली में रुचि रखने वाले लोगों को कदथन्दन कलारी केंद्र विभिन्न स्तरों का प्रशिक्षण प्रदान करता है। बुनियादी स्तर पर शारीरिक चाल में महारत हासिल करना तथा शारीरिक संतुलन सिखाया जाता है, जबकि प्रशिक्षण मध्यवर्ती स्तर में मुश्किल हो जाता है। केवल उन्नत स्तर में ही तलवार, भाला, और बसंत तलवार (जो उरूमी के रूप में जाना जाता है) जैसे हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता हैं।