पंचलोहा उत्सवर एक ऐसा समारोह है जो भारी संख्या में पर्यटकों को तिरुमाननचेरी की ओर आकर्षित करता है। पंचलोहा का शाब्दिक अर्थ है पाँच धातु का मिश्रण जिसका प्रचलन प्राचीन काल से कलाकारों द्वारा मन्दिर की मूर्तियों के निर्माण के लिये किया जाता रहा है। जैसा कि नाम से प्रतीत होता है कि यह मिश्रण चाँदी, लोहा, सोना, सीसा और ताँबा नामक पाँच धातुओं से मिलकर बनता है।
इस जुलूस की खासबात यह होती है कि इसमें पंचलोहा से बनी कई मूर्तियाँ शामिल होती हैं। कई लोग आसपास के शहरों से इस जुलूस को देखने के लिये आते हैं। जुलूस के दौरान वेद के मन्त्रों का उच्चारण और मूर्तियों के दर्शन की अद्भुत छटा देखते ही बनती है। अगर कोई पंचलोहा उत्सवर के दौरान तिरुमाननचेरी आता है तो यह घटना उनके मन मस्तिष्क पर एक अमिट छाप छोड़ जाती है।