श्वेतरान्येशवरार मंदिर, नागापट्टिनाम जिले में तिरवेंकाडु में स्थित है। यह तमिलनाडु में स्थित नौ नवग्रह मंदिरों में से चौथा नवग्रह मंदिर है। इस मंदिर में बुद्ध ग्रह( बुध) स्थित है। भगवान शिव इस मंदिर के अधिष्ठात्री देवता हैं तथा यहां उनकी श्वेतरानेश्वरार के रूप में पूजा की जाती है। देवी पार्वती की यहां ब्रहविधानायकी के रूप में पूजा होती है। मंदिर में बुद्ध का पवित्र गर्भग्रह है, जो नौ नवग्रहों में से एक हैं तथा लोगों को सम्पदा व बुद्धि प्रदान करता है। श्वेतरानेश्वरार नाम दो शब्दों श्वेतरानयम तथा ईश्वरार से मिलकर बना है, और श्वेतरानयम दो शब्दों- श्वेतम तथा अरण्यम से मिलकर बना है।
संस्कृत में, अरण्यम का मतलब जंगल व श्वेतम का मतलब सफेद है, तथा ईश्वरार का मायने ईश्वर से है। श्वेतरानेश्वरार मंदिर की खास विशेषता भगवान शिव की पंचमुखी-तत्पुरूषम, वामदेवम,ईसानम,सद्योजातमव अघोरम वाली तस्वीर है।
मंदिर के द्वार पर नंदी की एक मूर्ति भी इस मंदिर की खासियत है। उनके शरीर पर घाव के 9 निशान हैं तथा इस देवी मंदिर के द्वार पर ही स्थापित किया गया है। इसका मुख भगवान शंकर के मंदिर की ओर है तथा कान देवी की तरफ उन्मुख हैं, जो यह दर्शाते हैं कि नंदी दिव्य जोड़े शिव व पार्वती से आज्ञा लेने को तत्पर हैं।
मंदिर में तीन पवित्र टैंक या तीर्थम- सूर्य तीर्थम, अग्नि तीर्थम तथा चंद्र तीर्थम हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये तीर्थम उन तीन बूंदों से बनें हैं जो भगवान शिव के नेत्रों से नृत्य के दौरान नीचे गिरे थे। इस मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी चोल वंश व विजयनगर के सम्राटों की ऐतिहासिक जानकारी को दर्शाती हैं।
भगवान शिव को समर्पित मंदिर होने के अलावा,इस मंदिर में भगवान बुद्ध की पूजा के लिए भी भक्त इकट्ठे होते हैं या फिर बुद्ध ग्रह के व्यक्ति की जन्मकुंडली पर इस ग्रह के दुष्प्रभावों को समाप्त करके अच्छे व शुभ प्रभावों को लाने के लिए भी यहां पूजा होती है।