थौबल जिला के न्यायिक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला खंगाबोक राज्य का सबसे बड़ा गांव है। यहां मीटीस जनजाति की आबादी सबसे ज्यादा है। इस क्षेत्र में मीटीलोन और मणिपुरी भाषा बोली जाती है।
पहले इस गांव में बड़ी संख्या में खंगरा वृक्ष हुआ करता था। इसी के नाम पर इस गांव का नामकरण खंगाबोक हुआ। जैसे-जैसे लोग इस गांव में बसने लगे, वृक्षों के कटने का सिलसिला भी शुरू हो गया। पहले इस गांव का नाम खंगरापोकपी हुआ करता था, जिसका अर्थ होता है- ऐसी जगह जहां खंगरा के वृक्ष पाए जाते हों। आज खंगरापोकपी का नाम बदलकर खंगाबोक हो गया है।
इस गांव में घूमने के लिए कई जगह है। इनमें से एक है इकोप झील, जिसे इपोक पट के नाम से भी जाना जाता है। यह झील यहां के लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि वर्षो से गांव वाले इस झील में मछली पकड़ने का काम करते आ रहे हैं और इसके पानी का प्रयोग सिंचाई के लिए करते हैं। इसके अलावा यहां का लमलोंग बाजार घूमना भी एक अच्छा अनुभव साबित हो सकता है।