तिरुपति आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के पूर्वी घाटों की तलहटी में स्थित तथा सांस्कृतिक रूप से भारत के सबसे अधिक समृद्ध शहरों में से एक है। तिरुपति मंदिर के पास स्थित होने के कारण यह पर्यटकों के साथ साथ तीर्थयात्रियों में भी लोकप्रिय है। यद्यपि तिरुपति शब्द का उद्भव कहाँ से हुआ इस विषय में कोई स्पष्टता नहीं है, फिर भी ऐसा माना जाता है कि यह दो शब्दों “थिरु” और “पति” से मिलकर बना है। जहाँ तमिल में “थिरु” का अर्थ है सम्मानजनक और “पति” का अर्थ है पति। अत: इस शब्द का शाब्दिक अर्थ है “सम्मानीय पति”। शहर के केंद्र के पास स्थित तिरुमलाई पहाड़ियों को विश्व की सबसे पुराने चट्टानी पहाड़ियों में स्थान प्राप्त है।
इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि तिरुपति मंदिर का निर्माण किसने किया परन्तु ईसा पश्चात 4 थी शताब्दी में इस पर कई शासकों ने नियंत्रण किया और इसका पुन:निर्माण किया। हालाँकि 14 वीं और 15 वीं शताब्दी में इस मंदिर ने मुस्लिम आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया।
तिरुपति ब्रिटिश आक्रमण से भी बचा और आज तक यह विश्व के सबसे सुरक्षित धर्म स्थानों में से एक है। मद्रास विधानसभा ने 1933 में एक अधिनियम पारित किया जिसके अनुसार तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम समिति को मद्रास सरकार द्वारा नियुक्त आयुक्त के माध्यम से प्रबंधन और नियंत्रण का अधिकार दिया गया। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बनाया गया जो तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की संपत्ति का प्रबंधन करता है।
धार्मिक मुद्दों पर धार्मिक सलाहकार परिषद तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम को सलाह देती है। तिरुपति शहर कोट्टुरु के पास स्थित है जिसे वर्तमान में के टी रोड़ कहा जाता है। बाद में इसे गोविंदराजा मंदिर के निकट स्थानांतरित कर दिया गया। आज इस शहर का विस्तार पड़ोसी क्षेत्रों तक है।
अन्वेषण के लिए आकर्षण – तिरुपति तथा इसके आसपास पर्यटन स्थल
तिरुपति में प्रसिद्ध बालाजी मंदिर या वेंकटेश्वर मंदिर के अलावा वराहस्वामी मंदिर, देवी पद्मावती का तिरुचानुर मंदिर, गोविंदराजा मंदिर, श्रीनिवासा मंगपुरम, अवनाक्षम्मा मंदिर, तिरुपति, इस्कॉन का भगवान कृष्ण का मंदिर आदि हैं। कपिला तीर्थम पूजा का स्थान है जो भगवान शिव को समर्पित है, गुड़ीमल्लम में स्थित परशुरामेश्वर मंदिर, कोदंडा राम स्वामी मंदिर आदि तिरुपति के पास स्थित रोचक स्थान है।
आप श्री वेंकटेश्वर ज़ूलॉजिकल पार्क (प्राणी उद्यान) की सैर भी कर सकते हैं जहाँ आप जानवरों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ देख सकते हैं। यहाँ शिलातोरनम नामक रॉक गार्डन की सैर भी की जा सकती है। विशेष प्रकार के मीठे चांवल और लड्डू खाए बिना तिरुपति की सैर अधूरी होती है। आपको यहाँ की स्थानीय हस्तकला की वस्तुएं देखने से भी नहीं चूकना चाहिए जिसमें लकड़ी की नक्काशी, व्हाईट वुड (ट्यूलिप वृक्ष की लकड़ी) से बने खिलौने, कलमकारी कला, तंजौर की सुनहरी पत्तियों की पेंटिंग और मुख्य रूप से चंदन की गुड़ियाँ शामिल हैं।
मेलों और त्योहारों का शहर
तिरुपति केवल धार्मिक केंद्र नहीं है; यह एक समृद्ध सांस्कृतिक केंद्र भी है। यह अपने त्योहारों और मेलों के लिए प्रसिद्ध है। एक प्रसिद्ध त्योहार गंगम्मा जत्रा है जो मई के महीने में आयोजित की जाती है। यह अपनी असामान्य परंपरा के लिए जानी जाती है। त्योहार के दौरान भक्त छद्मावरण करते हैं तथा मंदिर के आसपास सड़कों पर चलते हैं तथा ऐसा मानते हैं कि इससे बुरी शक्तियां दूर होती हैं। इसके बाद वे चंदन का उबटन लगाते है तथा अपने सिर को मोगरे की फूलों की माला से ढंककर मंदिर के परिसर में प्रवेश करते हैं। यह जत्रा देवी की मिट्टी की मूर्ति को तोड़कर समाप्त होती है।
ब्रह्मोत्सवम तिरुपति का सबसे अधिक प्रसिद्ध और बड़ा त्योहार है जिसके लिए दूर और पास से बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। मंदिरों के इस शहर के अन्य प्रमुख त्योहार विजयनगर त्योहार, चंद्रगिरी किले पर मनाया जाने वाला त्योहार और रायलसीमा नृत्य और फ़ूड फेस्टीवल हैं।
तिरुपति की यात्रा के लिए उत्तम समय
तिरुपति की सैर के लिए सबसे उत्तम समय ठंड के मौसम में दिसंबर से फरवरी तक का होता है।
तिरुपति का मौसम
गर्मियां बहुत अधिक गर्म और असुविधाजनक होती हैं अत: इस समय यहाँ की यात्रा नहीं करने की सलाह दी जाती है। मानसून का मौसम गर्मी से राहत दिलाता है और हल्का मानसून का मौसम तिरुपति की सुन्दरता को बढ़ा देता है। क्योंकि तिरुपति मुख्य रूप से मंदिरों का शहर है तथा इसे पवित्र शहर माना जाता है, अत: पर्यटकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आपको उचित कपड़े पहनने चाहिए; सिर को ढंकने वाली चीज़ें जैसे टोपी या हैट नहीं पहननी चाहिए। फूलों को सिर पर नही पहनना चाहिए क्योंकि वे भगवान के लिए बने हैं।
मांसाहारी भोजन और शराब आसानी से उपलब्ध नहीं है तथा यहाँ इसका सेवन नहीं करना चाहिए। मंदिर के परिसर में फोन या कैमरा ले जाने की अनुमति नही है। प्रत्येक भक्त तथा यात्री को जो धर्म और संस्कृति में रूचि रखता है तिरुपति की सैर अवश्य करनी चाहिए।
तिरुपति कैसे पहुंचें
तिरुपति की यात्रा करना आसान है। तिरुपति का निकटतम हवाई अड्डा रेनिगुंटा है जो तिरुपति से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद और चेन्नई से तिरुपति के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। तिरुपति में रेलवे स्टेशन भी है जो भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
चेन्नई, बैंगलोर, विजाग और हैदराबाद से नियमित अंतराल पर निजी तथा सरकारी दोनों प्रकार की बस सेवा उपलब्ध है। शहर के अंदर यात्रा करना भी आसान है क्योंकि किराये की कार और बसें उपलब्ध हैं। सामान्य दरों पर टैक्सी दिन भर के लिए किराये पर ली जा सकती है।