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राजस्थान की कुछ बेहद खूबसूरत अनसुनी जगह...जिनकी यात्रा करना ना भूले

जाने राजस्थान की अनसुनी जगहों के बारे में

By Goldi

अगर व्यक्ति यात्रा का पारखी है तो उसे एकबार राजस्थान की सैर जरुर करनी चाहिए। हम इस बात की पूरी गारंटी लेते हैं की वो कभी भी अपनी इस यात्रा को भूल नहीं पायेगा अतः वो यहां एक बार जरूर जाये। प्राचीन वास्तुकला एक चमत्कार के तौर पर राजस्थान को और भी अधिक रॉयल बनाती है जो राजस्थान रॉयल्स की समृद्धि का एक जीवंत उदाहरण है। राजस्थान का शुमार दुनिया की उन जगहों में है जो अपने यहाँ आने वालों को बहुत कुछ देता है ।

अगर देखना है शेर और बकरी की लड़ाई तो जरुर जाएँ मेहरानगढ़ किलाअगर देखना है शेर और बकरी की लड़ाई तो जरुर जाएँ मेहरानगढ़ किला

आप राजस्थान के भव्य शहरों जयपुर,उदयपुर, जोधपुर,आदि के बारे में तो काफी जानते होंगे यकीनन आपने घूमे भी होंगे..इसी क्रम में आज मै आपको बताने जा रहीं राजस्थान के भव्य और सुंदर अनुसनी जगहों के बारे...जहां राजस्थान के राजसी ठाट-बाठ को अच्छे से निहार सकते हैं । तो बिना देर किया आपको ले चलती हूं राजस्थान के अनसुनी जगहों की सैर पर

सवाई माधोपुर

सवाई माधोपुर

सवाई माधोपुर राजस्थान के राज्य में एक छोटे शहर जयपुर से लगभग 180 किमी है। शहर चंबल नदी के किनारे पर स्थित है। 18 वीं सदी में जयपुर क्षेत्र के शासक महाराजा सवाई माधो सिंह प्रथम के नाम पर ही इसका नाम सवाई माधोपुर पड़ा। इसे रणथंबोर को गेटवे के रूप में जाना जाता है।सवाई माधोपुर मंदिरों और धार्मिक महत्व के तीर्थ स्थलों से भरा है, जिसमें मुख्य रूप से चमत्कारजी जैन मंदिर,अमरेश्वर महादेव मंदिर, कैला देवी मंदिर, चौथ माता मंदिर और प्रसिद्ध श्री महावीरजी मंदिर सम्मिलित हैं। ये आकर्षण आगंतुकों को भारतीय इतिहास के गौरवशाली वर्षों में ले जाते हैं एवं उन्हें राजस्थान की समृद्ध संस्कृति का दर्शन कराते हैं।PC:Vijay Singh

मेनल

मेनल

मेनल, चित्तौड़गढ़ से 90 किमी की दूरी पर चितौड़गढ़- बूंदी मार्ग पर स्थित एक छोटा शहर है। इस जगह के सुन्दर परिदृश्य और प्राचीन मंदिर खजुराहो जैसे लगते हैं; इसलिए यह जगह छोटा खजुराहो के नाम से भी जानी जाती है। इस जगह पर पहले से ही बहुत से प्राचीन बौद्ध मंदिर हैं, और खुदाई से अन्य धार्मिक स्थलों का अनावरण जारी है। मंदिरों के अलावा इस जगह पर सुंदर जल प्रपात, घने जंगल भी हैं जिसके कारण यह एक प्रसिद्द पिकनिक स्थल है।PC:Shyamsunder joshi

बाड़मेर

बाड़मेर

बाड़मेर को 13 वीं शताब्दी ईस्वी में बहाडा राव जिन्हें बार राव द्वारा स्थापित किया गया था। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है बहाडा का पर्वत किला, लेकिन समय के साथ साथ इसके नाम में कई परिवर्तन हुए और अब इसे बाड़मेर के नाम से जाना जाता है। राजस्थान का यह क्षेत्र अपने समृद्ध हस्तशिल्प और पारंपरिक कला के कारण दुनिया भर में जाना जाता है । बाड़मेर शुरू से ही अपनी परंपरागत कला रूपों, शिल्प, कढ़ाई के कारण भारत के साथ साथ ही विदेशों में जाना जाता है । बाड़मेर की यात्रा करने पर यहाँ आने वाले पर्यटक ग्रामीण सौंदर्य, संस्कृति और राजस्थान की विरासत की पूरी खोज कर सकते हैं। यहाँ पर पर्यटकों के लिए कई सारे आकर्षण मौजूद हैं जिनमें बाड़मेर किला रानी भातिअनी मंदिर, विष्णु मंदिर, देवका सूर्य मंदिर, जूना जैन मंदिर, सफ़ेद अखाड़ा प्रमुख हैं।

नागौर

नागौर

नागौर, राजस्‍थान राज्‍य में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। इस शहर को नागा क्षत्रियों के द्वारा स्‍थापित किया गया था। यह शहर दो लोकप्रिय पर्यटन स्‍थलों बीकानेर और जोधपुर के बीच में स्थित है।यह शहर नागौर किले के लिए प्रसिद्ध है जो एक रेतीला किला है। इसका निर्माण 2 सदी में नागावंशियों द्वारा किया गया था। इस किले में सुंदर महल, फव्‍वारे, मंदिर और बगीचे हैं। इस किले के अलावा, नागौर में तरकीन दरगाह भी एक लोकप्रिय और आकर्षक पर्यटन स्‍थल है। यह दरगाह, इस्‍लाम धर्म के अनुयायियों में विशाल धार्मिक महत्‍व रखती है।पौराणिक कथाओं के अनुसार, महान अर्जुन ने अहिच्‍छत्रपुर पर विजय प्राप्‍त की और उसे अपने गुरू को द्रोणाचार्य को भेंट किया।PC: G41rn8

बूंदी

बूंदी

राजस्थान का ऐतिहासिक नगर बूंदी को 'किलों का नगर' भी कहते हैं। इस नगर के चार द्वार (दरवाज़े) हैं- पाटनपोल, भैरवपोल, शुकुलवारी पोल एवं चौगान। इस नगर का प्रमुख आकर्षण तारागढ़ किला है। जो अपने आपने कलात्मक शैली का बे-जोड़ नमूना है। इस किले के अलावा यहाँ कई मंदिर भी हैं जिनमे से कुछ यूँ हैं जो दर्शनीय हैं- चतुर्भुजा, लक्ष्मीनाथ, कल्याण रायजी और दधवन्तु माता के मंदिर आदि।PC:AnnieGreenSprings

डुंगरपुर

डुंगरपुर

डुंगरपुर राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है। ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार पहले यह डुंगरपुर रियासत की राजधानी था। भील लोग यहाँ के प्राचीन लोग हैं और इस जिले के प्रमुख आदिवासी हैं तथा पहले के समय में इस स्थान पर उनका राज्य था। राजा वीर सिंह ने भील समुदाय के मुखिया से डुंगरपुर को अधिगृहीत कर लिया।PC: Jaisingh rathore

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