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गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण और बौद्ध धर्म की पवित्र नगरी: कुशीनगर!

कुशीनगर बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र और मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने मृत्यु के बाद यहीं पर महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। यह नगर उत्तर प्रदेश के उत्तरी-पूर्वी सीमान्त इलाके में स्थित एक क़स्बा एवं ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ कई सारे सुंदर बौद्ध मंदिर हैं जिस वजह से यह नगर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल भी है। यहाँ विश्व के कोने-कोने से बौद्ध तीर्थयात्री भ्रमण को आते हैं।

भगवान बुद्ध को समर्पित इस नगर में बुद्ध पूर्णिमा के समय एक माह का मेला लगता है। इस मेले में सम्मिलित होने के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ आते हैं और पूरे माह होने वाले भगवान बुद्ध जी की पूजा अर्चना में भाग लेते हैं। चलिए चलते हैं भगवान भूद्ध के इसी पवित्र स्थल की ओर जहाँ भगवान बुद्ध को समर्पित और कई बौद्ध स्तूप स्थापित हैं।

महापरिनिर्वाण मंदिर

महापरिनिर्वाण मंदिर

महापरिनिर्वाण मंदिर कुशीनगर का प्रमुख आकर्षण है। यहीं पर भगवान बुद्ध ने परिनिर्वाण की प्राप्ति की थी। इस मंदिर में महात्मा बुद्ध की 6.10 मीटर लंबी प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा के नीचे खुदे अभिलेख से पता चलता है कि इस प्रतिमा का संबंध पांचवीं शताब्दी से है। कहा जाता है कि हरीबाला नामक बौद्ध भिक्षु, गुप्त काल के दौरान इस प्रतिमा को मथुरा से कुशीनगर लाए थे।

Image Courtesy:Prince Roy

महापरिनिर्वाण स्तूप

महापरिनिर्वाण स्तूप

ईंट और रोड़ी से बने इस विशाल स्तूप को 1876 में कार्लाइल द्वारा खोजा गया था। इस स्तूप की ऊंचाई 2.74 मीटर है। इस स्थान की खुदाई से एक तांबे की नाव मिली है। इस नाव में खुदे अभिलेखों से पता चलता है कि इसमें महात्मा बुद्ध की चिता की राख रखी गई थी।

Image Courtesy: Gaurav Tiwari

बौद्ध संग्रहालाय

बौद्ध संग्रहालाय

कुशीनगर में खुदाई से प्राप्त अनेक अनमोल वस्तुओं को बौद्ध संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। यह संग्रहालय इंडो-जापान-श्रीलंकन बौद्ध केन्द्र के निकट स्थित है।यह संग्रहालय सोमवार के अलावा प्रतिदिन सुबह 10 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।

Image Courtesy:Jean-Pierre Dalbéra

 रामभार स्तूप

रामभार स्तूप

15 मीटर ऊंचा यह स्तूप महापरिनिर्वाण मंदिर से लगभग 1.5 किमी. की दूरी पर है। माना जाता है कि यह स्तूप उसी स्थान पर बना है जहां महात्मा बुद्ध को 483 ईसा पूर्व दफनाया गया था।कहा जाता है कि यह स्तूप महात्मा बुद्ध की मृत्यु के समय कुशीनगर पर शासन करने वाले मल्ल शासकों द्वारा बनवाया गया था।

Image Courtesy:Prince Roy

इंडो-जापान-श्रीलंका मंदिर

इंडो-जापान-श्रीलंका मंदिर

इंडो-जापान-श्रीलंका मंदिर आधुनिक समय की बौद्धिक वास्तुकला के चमत्कार को बखूबी दर्शाता है.

Image Courtesy:Ajay Tallam

महासुखमदादा चान थार्ग्यि पगोडा

महासुखमदादा चान थार्ग्यि पगोडा

बौद्ध धर्मों के तीर्थ स्थलों में सम्मिलित इस पगोडा का निर्माण आधुनिक काल में 23 जून 2001 में ही हुआ था।

Image Courtesy:Ajay Tallam

 माथा कुंवर मंदिर

माथा कुंवर मंदिर

बुद्ध के इस पवित्र स्थल में एक ही पत्थर को काट कर बुद्ध जी की विशाल प्रतिमा बनाई गयी है, जो बोधि पेड़ के नीचे विराजमान है। प्रतिमा की मुद्रा को ' भूमि स्पर्श मुद्रा' नाम दिया गया है।

Image Courtesy: Prince Roy

वाट थाई मंदिर

वाट थाई मंदिर

पूरी तरह से बौद्धिक वास्तुकला की शैली में बना यह विशाल और अद्भुत मंदिर कुशीनगर के प्रमुख केंद्रों में से एक है।

Image Courtesy:Ajay Tallam

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