भले ही आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे कंधे मिलाकर काम कर रहीं हों..लेकिन इसके बावजूद इस समाज में पैठ सिर्फ मर्दों की है। आज भी भारत में कई ऐसी जगहें मौजूद हैं जहां लड़कियों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है। आप सोच रहें होंगे की, ट्रेवल की साईट पर आज अचानक महिला सशक्तिकरण की बातें क्यों..तो हम आपको बता दें हम अभी भी अपनी बात पर कायम है।
में एक ऐसा गांव मौजूद है, जहां पुरुषों का वर्चस्व नहीं महिलायों का राज है। जी हां इस गांव में लड़कों को दुर्भाग्यशाली करार दिया गया है।इस गांव में आदिम जनजाति खासी लोग रहते हैं जिनकी आबादी लगभग 500 लोगों की है।
दोस्तों! क्या आप जानते हैं इस गोवा के बारे में" loading="lazy" width="100" height="56" />भारत में एक ऐसा गांव मौजूद है, जहां पुरुषों का वर्चस्व नहीं महिलायों का राज है। जी हां इस गांव में लड़कों को दुर्भाग्यशाली करार दिया गया है।इस गांव में आदिम जनजाति खासी लोग रहते हैं जिनकी आबादी लगभग 500 लोगों की है।
दोस्तों! क्या आप जानते हैं इस गोवा के बारे में
इस जनजाति के बच्चे भी अपने नाम के पीछे भी अपनी मां का सरनेम लगाते हैं। इस गांव की संस्कृति देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।यहां महिलाएं अपनी मर्जी से काम कर सकती है। बिना किसी रोक-टोक से वह अपनी जिंदगी जीती है।
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कहां है ये गांव?
यह गांव पूर्वोतर भारत के मेघालय राज्य में स्थित है। इस गांव का नाम मावलीनांग गांव है। इस गांव में लड़कियां एक तरह से राज करती हैं, क्योंकि यहां पुरूष प्रधानता का नाम तक नहीं। खासी दुनिया के दुर्लभ समाजों में से एक है, जहां सिर्फ महिलाओं की ही सत्ता चलती है। इस गांव में बच्चे अपने नाम के आगे मां का सरनेम लगाते हैं।
राज करती है लड़कियां
मावलीनांग गांव की संस्कृति ही ऎसी है कि पर्यटक यहां खींचे चले आते हैं। इस गांव में लड़कियां एक तरह से राज करती हैं, क्योंकि यहां पुरूष प्रधानता का नाम तक नहीं। खासी दुनिया के दुर्लभ समाजों में से एक है, जहां सिर्फ महिलाओं की ही सत्ता चलती है। इस गांव में बच्चे अपने नाम के आगे मां का सरनेम लगाते हैं।
पूरे गांव में लड़कियों का है राज
इस समाज में घर की छोटी बेटी पूरी संपत्ति की वारिस होती है। इस गांव की अधिकतर लड़कियां काम करती हैं और अपने घरवालों का सहारा बनती हैं।
PC:Ashwin Kumar
लड़कों को माना जाता है दुर्भाग्यशाली
आदिम जनजाति खासी लोगों के इस गांव में पुरूष प्रधान समाज हावी नहीं है तथा लड़कों दुर्भाग्यशाली माना जाता है। महिलाओं को किसी भी बात की कोई रोकटोक नहीं तथा परंपराओं की कोई बेड़ियां भी नहीं। गांव की लड़कियां हर तरह से परिवार की जरुर मदद करती है।
PC:Travelling Slacker
एशिया का सबसे साफ-सुथरा गांव
मावलीनांग गांव की एक और खास बात ये है कि यह काफी साफ-सुथरा है। इसे एशिया का सबसे साफ-सुथरा गांव, भारत का गौरव तथा ईश्वर का बगीचा जैसे नामों से पुकारा जाता है। यहां छोटी-बड़ी लड़कियां तालाबों और झरनों में खेलते हुए नजर आती हैं।PC:Editor GoI Monitor
लड़की होती है सम्पति की वारिस
मालीनांग गांव में बसी खास जनजाति की संस्कृति परिवार की सबसे छोटी लड़की को ही धन और संपदा की वारिस माना जाता है। खासी जनजाति की महिलाओं को अपनी पसंद के लड़के से शादी करने की पूरी आजादी होती है।PC:Travelling Slacker
शादी करने की आजादी
शादी करने की आजादी इस गांव की लड़कियों को अपनी मर्जी से शादी करने की आजादी होती है। यहां महिलाओं पर किसी भी बात की कोई बंदिश नहीं, कोई भी लड़की अपनी मर्जी से तलाक ले सकती है अथवा अकेले रह सकती है।PC:Travelling Slacker