रमदान के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है इस पाक महीने में मुसलमान 30 दिन का रोजा रखते हैं। रमदान के इस पवित्र महीने में हम आपको बताने जा रहें मुसलमानों के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल अजमेर शरीफ के बारे में।
इन छुट्टियों दिल्ली के बच्चे होंगे..और भी स्मार्ट..जाने कैसे
राजस्थान के अजमेर में स्थित अजमेर शरीफ भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।जहां ना केवल मुस्लिम बल्किल दुनिया भर से हर धर्म के लोग खिंचे चले आते हैं।यह दरगाह हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की मजार है।यहां कई राजनेताओं के अलावा बॉलीवुड के बडे़ बडे़ एक्टर्स भी मन्नत मांगने और चादर चढ़ाने आते हैं।
भारत में रहकर इनके चक्कर में नहीं पड़े तो...आपने जीवन में कुछ नहीं किया
अजमेर ऊंची-ऊंची पहाड़ियों के बीच बसा हुआ हुआ छोटा सा शहर है। यह दरगाह अजमेर नगर के मध्य में स्थित है। ख्वाजा मौइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में प्रवेश हेतु चारों ओर दरवाजे हैं जिनमें सबसे ज्यादा भव्य तथा आकर्षक दरवाजा मुख्य बाजार की ओर है, जिसे निजाम गेट कहते हैं।
क्या आप जानते हैं...कोलकाता के इस मिनी चाइना टाउन के बारे में?
यह दरवाजा 1912 ई. में बनना शुरू हुआ जो कि लगभग तीन वर्ष में बनकर तैयार हुआ था। यह भव्य दरवाजा जनाब मीर उस्मान अली खां साबिक नवाब हैदराबाद ने बनवाया था। इसकी ऊंचाई लगभग सत्तर फुट, चौड़ाई मय बरामदों के 24 फुट है। मेहराब की चौड़ाई सोलह फुट है, दरवाजे के ऊपर नक्कार खाना है।
अजमेर दरगाह शरीफ
दरगाह में प्रवेश करने के लिए आपको उस्मानी दरवाजे पर पहुंचना होगा..उसे पर करते हुए एक पुराना दरवाजा आता है..जिसके ऊपर शाही जमाने का नक्कारखाना है। बताया जाता है, इस दरवाजे को शाहजहां ने 1047 हिजरी में बनवाया था।इसी कारण यह दरवाजा नक्कारखाना शाहजहानी के नाम से प्रसिद्ध है।PC:Shahnoor Habib Munmun
अजमेर दरगाह शरीफ
इसके पश्चिम में चाँदी चढ़ाया हुआ एक खूबसूरत दरवाजा है जिसे जन्नती दरवाजा कहा जाता है। यह दरवाजा वर्ष में चार बार ही खुलता है- वार्षिक उर्स के समय, दो बार ईद पर, और ख्वाजा शवाब की पीर के उर्स पर।
PC: wikimedia.org
अजमेर दरगाह शरीफ
शाह जहानी मस्जिद मुगल वास्तुकला का एक अद्भुभूत नमूना है जहां अल्लाह के 99 पवित्र नामों के 33 खूबसूरत छंद लिखे गए हैं।
PC:Rajatdesiboy
अजमेर दरगाह शरीफ
कालिम दरवाजे से आगे चलने पर दायीं और शफाखाना और अकबरी मस्जिद की सीढ़ियां हैं,जिसके सामने बुलंद दरवाजा नजर आता है शफाखाना और अकबरी मस्जिद की सीढ़ियां हैं। बताया जाता है कि, अकबरी मस्जिद अकबर के जमाने की है..यहां शाहजहां सलीमा के जन्म पर अकबर बादशाह आस्ताना-ए-आलिया की जियारत करने अजमेर आए तो उन्होंने इस मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था। वर्तमान में यहाँ मुस्लिम धर्म के बच्चों को कुरान की तामिल (शिक्षा) प्रदान की जाती है।
PC: Kritika17
अजमेर दरगाह शरीफ
बुलंद दरवाजा सुलतान महमूद खिलजी की यद् में बनवाया गया था..इसकी ऊंचाई करीबन 85 फुट है।बता देंम यह दरवाजा दरगाह शरीफ के सभी दरवाजों में सबसे ऊंचा है इसलिए इसे बुलंद दरवाजा कहा जाता है।
PC: K.vishnupranay
अजमेर दरगाह शरीफ
बुलंद दरवाजे के आगे बढऩे पर सामने एक गुम्बद की तरह सुंदर सी छतरी है। इसमें एक बहुत पुराने प्रकार का पीतल का चिराग रखा है। इसको सेहन का चिराग कहते हैं।
अजमेर दरगाह शरीफ
दरगाह के अंदर दो बड़े-बड़े कढाहे हैं जिनमें निआज़ (चांवल,केसर, बादाम, घी, चीनी, मेवे को मिलाकर बनाया गया खाद्य पदार्थ) पकाया जाता है| यह खाना रात में बनाया जाता है और सुबह प्रसाद के रूप में जनता में वितरित किया जाता है| यह छोटे कढाहे में 12.7 किलो और बड़े वाले में 31.8 किलो चांवल बनाया जाता है| कढाहे का घेराव १० फ़ीट का है| यह बड़ा वाला कढाहा बादशाह अकबर द्वारा दरगाह में भेंट किया गया जब कि इससे छोटा वाला बादशाह जहांगीर द्वारा चढ़ाया गया|
अजमेर दरगाह शरीफ
गुम्बद के अंदर का हिस्सा पत्थर का है, जिसको चूने से जोड़ा गया है। गुम्बद के बाहर का हिस्सा सफेद है, जिस पर चूने का प्लास्टर चढ़ा हुआ है। गुम्बद के अंदर के हिस्से में सुनहरी व रंगीन नक्श व निगार बने हुए हैं। सफेद गुम्बद पर सोने का बहुत बड़ा ताज लगा है इसमें नवाब कलब अली खां (रामपुर) के भाई हैदर अली खां मरहूम ने दान किया था। मजार अक्दस का तावीर संगमरमर का है। मजारें अक्दस हमेशा मखमल के कब्र-पोशों से ढ़का रहता है। उसके ऊपर ताजा गुलाब के फूलों की चादरें चढ़ी रहती हैं छप्पर-खट के बीच में सुनहरा कटेहरा लगा है जो शहनशाह जहांगीर ने बनवाकर चढ़ाया था।PC:Mohit8soni
अजमेर दरगाह शरीफ
यह दरगाह के अंदर एक स्मारक है जो कि हजरत मुईनुद्दीन चिश्ती के समय यहाँ पानी का मुख्य स्त्रोत था। आज भी जहालरा का पानी दरगाह के पवित्र कामों में लिया जाता है।PC:John Johnston
- दिल्ली में ये जगहें हैं कपल्स के लिए है एकदम बेस्ट..
- विदेशो की तरह भारत में होती हैं न्यूड पार्टीज..ये हैं डेस्टिनेशन
- तलकाडू: कर्नाटक का खूबसूरत रेगिस्तान...दिल कह उठेगा वाह
- आखिर क्यों एक मंदिर को अढ़ाई दिन में बना दिया था मस्जिद?