रंगोली बनाना, हाथों से कढ़ाई करना आदि एक कला है। इसी तरह हमारे देश भारत में कुछ ऐसे गांव हैं जिन्होने अब तक कला की अपनी इस धरोहर को संभाला हुआ है,जिसे देखकर आपका कला प्रेम और बढ़ जाएगा।
हर क्षेत्र के कला की अपनी अलग संस्कृति है। कई भारतीय कलाओं की विश्व बाज़ार में अपनी अलग ही जगह है। आप इन कलाओं से आकर्षित ज़रूरत ही होते होंगे।
तो चलिए हम आपको लिए चलते हैं कुछ ऐसे ही हस्त एवं शिल्प कलाओं के ग्रामीण इलाक़ों में।
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शिल्प्ग्राम:
राजस्थान की हस्त एवं शिल्पकलाएँ पूरे देश में ही नहीं, विश्व में भी प्रसिद्ध है। चाहे वह कपड़ों में हाथ की कढ़ाई हो या मिट्टी के बर्तन, राजस्थानी कला हमेशा ही लोगों को लुभाती है। शिल्पकला ऐसी जगह है जहाँ आप विशेष और विभिन्न प्रकार के कलाओं के बारे मे जानेंगे। उदयपुर में मनाया जाने वाला शिल्पग्राम महोत्सव सबसे प्रसिद्ध और कला को सहारा जाने वाला सबसे उच्च स्तर का पर्व है।
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रघुराजपुर:
पत्तचित्र कपड़ों में की गयी, पुरी की एक सांस्कृतिक कला है। ताड़ के पत्ते की एनग्रेविंग, टसर पेंटिंग, काग़ज़ की लुगदी के बने खिलौने जैसी कलाएँ आपको रघुराजपुर में अपनी ओर आकर्षित करेंगी। रघुराजपुर के आर्ट कॉंप्लेक्स स्ट्रीट में जाते ही आप वहाँ की कला के नज़ारे से रोमांचित हो उठेंगे। दीवार में की गयी पेंटिंग्स, लकड़ियों में की गयी नक्काशी और सांस्कृतिक मुखौटों की कला आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएँगे।
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चोलामंडल आर्टिस्ट्स गांव:
कलाकारों की एक पूरी कम्यूनिटी ही इस गांव में रहती है, जिन्हे अभी इंजमबक्कम, चेन्नई में एक नयी जगह प्रदान की गयी है अपनी आधुनिक कला को प्रचारित करने के लिए। चोलामंडल गांव कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करता है। कुछ समकालीन कलाओं की पहेली को सुलझाने के लिए इस गांव का भ्रमण ज़रूर करें।
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आंद्रेतता:
कला हिमालय की पृष्ठभूमि में बसा हुआ है। आंद्रेतता, जो की नोहरा रिचर्ड्स के दिमाग़ की उपज है, हिमाचल प्रदेश के कलाकारों का घर है। कुछ कलाकार इस मंत्रमुग्ध कर देने वाले कला के लिए बहुत ज़्यादा उत्सुक रहते हैं। आंद्रेतता को मिट्टी के बर्तनों की कलाकारी के लिए ज़्यादा जाना जाता है। पालमपुर से कुछ ही पास कलाकारों के इस गांव मे जाना आपके लिए बहुत ही फयदेमंद होगा।
कला के ये गांव सांस्कृतिक और नये कलाकारों को अलग ही क्षेत्र प्रदान करता है। आज के ज़माने में जहाँ कला बस एक वस्तु के तौर पर देखी जाती है, ज़रूरत है की ऐसी कलाओं को जीवंत रखा जाए। यह कहना ग़लत नहीं होगा की कलाओं के ये गांव हमारी संस्कृति से धनी हमारी परंपरा को संरक्षित रखने में बहुत ही मददगार साबित हो रहे हैं।