मुझे अकेले घूमना बेहद पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है मै खुद ही अच्छी और घूमने वाली जगहों पर निकल पड़ती हूं। मेरी ऐसी ही एक यात्रा रही है बैंगलोर से वर्कला की। इस यात्रा पर अकेले ही निकल पड़ी कुछ नया
और दिलचस्प करने।
वर्कला
वर्कला केरल का एक छोटा सा क़स्बा है। वर्कला में विश्व भर के टूरिस्ट घूमने आते हैं और यहां की प्राकृतिक सौन्दर्य के दीवाने बन जाते हैं। वर्कला ही केरल में एकमात्र ऐसी जगह है जहां पहाडि़यां, समुद्र के निकट हैं। यह विशिष्टता, अरब सागर की चट्टानों के साथ विलयता के कारण हुई है।वर्कला हिंदुयों के लिए एक धार्मिक स्थल भी है।
वर्कला बीच पयथल माला के पास ही स्थित है।यहां की खूबसूरत हरियाली और रेत आपको अकेले में खुद के साथ कुछ समय गुजारने पर मजबूर करेगी। आप यहां वॉलीबॉल खेल सकते है साथ ही आपको यहां डॉलफिन भी देखने को मिल सकती हैं।
यात्रा
बैंगलोर से वर्कला-700 किलो मीटर
यात्रा के लिए उचित समय-जनवरी
साधन-कार और बस
पहुंचने का समय-11 घंटे कुछ ब्रेक्स के साथ
कितने दिन- दो दिन
रुट्स
पहला रूट-
बैंगलोर-मैसूर-ऊटी,कोयंबटूर-पालक्काड-त्रिस्सूर-एरणाकुलम-अलेप्पी-कोल्लम-वर्कला
रूट 2
बैंगलोर-मैसूर-कालीकट हाइवे-पोन्नानी हाइवे-एडाप्पल्ली हाइवे-कोस्ट वर्कला
अगर आप हवाई यात्रा कर रहें है तो वर्कला के सबसे नजदीक तिरुवनन्तपुरम एयरपोर्ट है जोकि वर्कला से 36 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।
पहला दिन
मुझे सुबह सुबह यात्रा करना काफी पसंद है।वर्कला जाने के लिए मै बैंगलोर से सुबह 5 बजे निकली ।मेने वर्कला जाने के लिए वेस्टर्न रूट को पकड़ा। यह रूट खूबसूरत और हरी भरी पहाड़ो से घिरा हुआ है।
मै केरला पहुंचने के लिए बेहद उत्साहित थी, हालांकि केरला पहुंचते पहुँचते मै काफी थक चुकी थी। वहां पहुंचने के बाद मेने जल्दी से एक रिसोर्ट बुक किया उसके बाद मै सीधे बीच के लिए निकल गयी जिससे मै अपनी थकान को मिटा सकूं।
जहां मै रुका हुई था, वहां का स्टाफ काफी शालीन था।उसी रिसोर्ट के ऊपर एक रूफ टॉप भी था, जहां मेने कुछ टूरिस्ट्स को अपना दोस्त बनाया और उनके साथ कार्ड्स खेले।दोस्तों के साथ टाइम स्पेंड करने के बाद बीच के किनारे आकर ठंडी हवा के मजे लेने पहुंच गया।
बीच के पास जमकर सर्फिंग भी की। बीच के पास ही एक स्कूल का था, जहां से मेने जमकर बीच सर्फिंग की। मेने वहां कई विदेशियों को भी देखा, जो योगा करने में व्यस्त थे।मेने भी योगा करने का प्रयास किया।वापस लौटकर मेने रिसोर्ट में भरपेट डिनर किया।
दूसरे दिन में जल्दी उठी और सीधे उठते ही बीच पर पहुंच गयी ।इस समय मै अपने साथ कुछ एक्स्ट्रा कपड़े भी लेकर गयी थी।मैंने बीच किनारे नाश्ता किया और ठंडी ठंडी हवा का आनन्द भी लिया।
कुछ देर बीच पर बिताने के बाद मेने शिवगिरी मठ जाने का निश्चय किया।बता दें शिवगिरी मठ वर्कला का सबसे बड़ा आश्रम है जोकि 200 एकड़ में फैला हुआ है। यह आश्रम वर्कला के बिल्कुल ही नजदीक है।
शिवगिरी मठ के अलावा में जर्नादन स्वामी मंदिर भी पहुंची जोकि वर्कला से करीबन 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।यह एक बेहद ही पुराना मंदिर है।
मंदिर देखने के बाद अन्जेंगो किला देखने पहुंची ।यह किला वर्कला बीच से करीबन 12 किलोमीटर की दूरी पर है।यह किला 17 वीं शताब्दी में बनाया गया था।इसके अलावा मै मुथाल्पुज्ही झील पहंची, जोकि किले के एकदम ही नजदीक बनी हुई है।
सब कुछ घूमने के बाद मेने रिसोर्ट में वापस आने के बाद अपना सारा सामन समेटा और खुद से जल्द ही वर्कला आने का वादा किया ।यकीनन अगर आप भी वर्कला जाने का विचार बना रहें है तो सोचिये मत बाद घूम आइये।