करीबन 15वीं सदी में भारत में भारत में, बहादुरी, उदारता और समानता पर आधारित एक धर्म उभर कर सामने आया.जिसे हम सिख धर्म के नाम से जानते हैं।
स्वर्ण मंदिर की तरह बेहद खूबसूरत है दुर्गियाना मंदिर
सिखों के पहले गुरु गुरु नानक जी देव हैं..जिन्होंने गुरमत की सिख्याओं को देश देशांतर में खुद जा जा कर फैलाया था। सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है।
ये है लेह लद्दाख का गहना..इन्हें घूमना बिल्कुल भी ना भूले
जिस तरह हिन्दू अपने भगवान को मंदिर और मुसलमान अपने भगवन को मस्जिद में पूजता है, वैसे ही सिख अपने गुरु को गुरुद्वारों में पूजते हैं।
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गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सिंह, अमृतसर
जब भी बात गुरुद्वारों की होती है तो दिमाग में नाम आता है,हरमिंदर साहिब का..कोई शक नहीं कि, यह गुरुद्वारा बेहद ही खूबसूरत है..जिसे देख आँखों को संतोष महसूस होता है। जिसे हम‘गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सिंह' को ‘श्री दरबार साहिब' और ‘स्वर्ण मंदिर' भी कहते हैं। गुरुद्वारे को बचाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह जी ने गुरुद्वारे का ऊपरी हिस्सा सोने से ढँक दिया। इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर का नाम भी दिया गया है ।पर्यटक इस गुरूद्वारे में 24 घंटे में कभी भी लंगर छक सकते हैं।PC: wikimedia.org
गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब, उत्तराखंड.
समुद्र स्तर से 4000 मीटर की उंचाई पर स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।यह गुरुद्वारा अक्टूबर से लेकर अप्रैल तक बंद रहता है।श्री हेमकुंड साहिब अपनी वास्तु कला के लिए काफी प्रसिद्ध है।इसे गुरु गोबिंद सिंह जी की याद में बनाया गया है। इसका आकार एक सितारे जैसा है।इसके पास ही अमृत सरोवर नाम की एक पवित्र झील बहती है।PC: wikimedia.org
बाबा अटल राय गुरुद्वारा ,अमृतसर
गुरुद्वारा बाबा अटल स्वर्ण मंदिर के दक्षिण में स्थित है। करीब दो शताब्दी पहले बना यह गुरुद्वारा मूल रूप से गुरू हरगोविंद जी के बेटे बाबा अटल राय की समाधि है। इस गुरुद्वारा में एक 40 मीटर ऊंचा अष्टभुजीय स्तंभ है। इसमें 9 तल्ले हैं, जो बाबा अटल राय के 9 साल के संक्षिप्त जीवन को दर्शाते हैं। इस गुरूद्वारे में गुरू ग्रंथ साहिब को अष्टभुजीय स्तंभ के अंतर्गत रखा गया है। गुरुद्वारा बाबा अलट 24 घंटे लंगर बंटने के कारण सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यह उस पुरानी कहावत को भी सही ठहराता है, जिसमें कहा गया है- ‘‘बाबा अटल पकियां पकाइयां घाल।'' इसका अर्थ होता है- बाबा अटल पका पकाया भोजन भेजते हैं।PC: Satbir 4
गुरुद्वारा श्री केश्घर साहिब,आनंदपुर
गुरुद्वारा श्री केश्घर साहिब, पंजाब के आनंदपुर शहर में स्थित है।आनंदपुर शहर सिखों के 9वे गुरू तेग बहादुर जी ने स्थापित किया था। यह गुरुद्वारा 5 तख्तों में से एक है और इसलिए इस गुरुद्वारे की एहमियत और भी ज़्यादा है।
तखत सचखंड श्री हजूर साहिब,महाराष्ट्र
यह गुरुद्वारा भी 5 तख्तों में से एक है। श्री हजूर साहिब महाराष्ट्र के नांदेड में स्थित है।ऐसा कहते हैं की यह वह जगह है जहां गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपनी आखिरी सांस ली थी।महाराज रणजीत सिंह जी ने सन 1832 में इस गुरुद्वारे को बनवाया।PC:baljinder kang
गुरुद्वारा बेर साहिब, पंजाब
इस गुरुद्वारे का नाम एक बेर के पेड़ पर से रखा गया है।ऐसा माना जाता है की एक बेर के पेड़ को, पहले गुरू, गुरू नानक जी के सामने बोया गया था. यह गुरुद्वारा पंजाब के करतारपुर में स्थित है।PC:Jiwanjot
गुरुद्वारा मंडी, हिमाचल प्रदेश
गुरुद्वारे का नाम गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी है. यह हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित है। यह गुरुद्वारा, गुरू गोबिंद सिंह जी द्वारा मंडी के राजा को दिए गए आश्वासन का प्रतीक है। इस गुरुद्वारे को सिख सम्प्रदाय में काफी मान्यता प्राप्त है।
गुरुद्वारा मणिकरण साहिब
मनाली की खूबसूरत वादियों में स्थित है गुरुद्वारा मणिकरण साहिब। कहते हैं यह प्रथम स्थान है जहां गुरू नानक देव जी ने अपनी यात्रा के दौरान ध्यान लगाया था। जिस पूल पर यह गुरुद्वारा बना है उसके दूसरे छोर पर भगवान शिव का सुंदर और विशाल मंदिर है।PC:Ashish Gupta
गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़, ग्वालियर
गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ ग्वालियर में स्थित है। इसे सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद साहिब की याद में बनवाया गया है। उन्होंने तत्कालीन मुगल शासक जहांगीर की कैद से 250 राजपूत राजाओं को आजाद किया था। यह गुरुद्वारा जहांगीर और गुरु हरगोबिंद जी के बीच चली लंबी लड़ाई का प्रतीक है।
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