हिमालय की गोद में बसा, जम्मू और कश्मीर अपनी नेचुरल ब्यूटी के लिए दुनिया भर में अपना एक ख़ास मुकाम रखता है। जम्मू और कश्मीर दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है साथ ही यहाँ की शानदार पर्वत श्रृंखला, क्रिस्टल स्पष्ट धारा, मंदिर, ग्लेशियर, और उद्यान इस जगह की भव्यता में चार चाँद लगाते हैं और शायद यही सब वो कारण हैं जिसके चलते जम्मू और कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है।
बात अगर इस खूबसूरत राज्य में पर्यटन के आयामों की हो तो यहां ऐसा बहुत कुछ है जिसके चलते देश के अलावा विदेशों से एक बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आ रहे हैं। तो इसी क्रम में आज अपने इस आर्टिकल के जरिये हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं धरती के स्वर्ग यानी जम्मू और कश्मीर में मौजूद चुनिंदा झीलों से।
आपको बता दें कि ये झीलें ऐसी हैं जो अपनी खूबसूरती से किसी भी पर्यटक को मोहित कर सकती हैं। तो अब देर किस बात की आइये इस लेख के जरिये जरा करीब से जानें जम्मू कश्मीर में मौजूद इन झीलों को।
डल झील
डल झील, श्रीनगर में 'श्रीनगर का गहना' या कश्मीर के मुकुट के नाम से लोकप्रिय है। डल झील, कश्मीर में दूसरी सबसे बड़ी झील है। यह सुरम्य झील 26 वर्ग किमी. के बड़े क्षेत्र में फैली हुई है जो श्रीनगर आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। हिमालय की तलहटी में स्थित इस झील को यहां पर शिकारा यानि लकड़ी की नाव और हाउसबोट के लिए काफी जाना जाता है। हाउसबोट से डल झील की प्यारी सी सैर की जाती है जबकि शिकारा से डल झील और हाउसबोट तक आने जाने की सवारी की जाती है। पर्यटक यहां के हाउसबोट या शिकारा पर बैठ कर सूर्योदय का आंनद ले सकते हैं। पर्यटक यहां आकर पानी में खेले जाने वाले गेम्स का भी मजा उठा सकते हैं जिनका आयोजन यहां अक्सर किया जाता है। स्विमिंग, वॉटर सर्फिंग, कायाकिंग, ऐंगलिंग और कैनोइंग, डल झील के प्रमुख वॉटर गेम्स हैं।
पांगोंग त्सो
पांगोंग त्सो हिमालय में एक झील है जिस्की उचाई लगभग 4500 मीटर है। यह 134 कीमी लंबी है और भारत के लद्दाख़ से तिब्बत पहूँचती है। जनवादी गणराज्य चीन में झील की दो तिहाई है। इसकी सबसे चौड़ी नोक में सिर्फ़ 8 कीमी चौड़ी है। शीतकाल में, नमक पानी होने के बावजूद, झील संपूर्ण जमती है। से पांगोंग त्सो एक पाँच घंटे के गाड़ी का भ्रमण है, जिसका सबसे अधिक एक खुरदरा और नाटकीय पहाड़ी रस्ता में है।
शेषनाग झील
पहलगाम से 27 कि.मी दूर और 3658 मीटर की ऊँचाई पर स्थित शेषनाग झील, अमरनाथ के प्रमुख आकर्षक स्थल में से एक है। इस स्थान का नाम हिन्दू धर्म के सात सिरों वाले नागराज, शेषनाग पर रखा गया है, और तत्व है कि इस झील के पास सात पहाडियाँ है। पहलगाम से शेषनाग जाने के लिए लग भग दो दिनों लग जाते है। सर्दियों में ठंड के कारण जून महीने तक यह झील बर्फ की चादर में ढक जाती है। पौराणिक कथी अनुसार, अमरनाथ गुफा जाते समय हिंदू देव और सृष्टि के संहार भगवान शिव ने अपने गले के नाग को जो उनकी शक्ति का प्रतीक है, उसे इस स्थान पर उतारा था। गर्मियों में हजारो की संख्या अमरनाथ गुफा के दर्शन करने आए श्रद्धालु इस झील को देखना नहीं भूलते। यह झील कैंपिंग के लिए भी उत्तम स्थान है।
वूलर झील
हरमुक पर्वत के आधार में तथा सोपोर और बांदीपोर शहरों के बीच स्थित वूलर झील को एशियाई महाद्वीप की सबसे बड़ी ताजे पानी झील घोषित किया गया है। वूलर झील 200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फ़ैली हुई है तथा इसकी लम्बाई 24 किलोमीटर और चौड़ाई 10 किलोमीटर है। यह झील सनसेट पॉइंट के लिए भी प्रसिद्द है। इस झील का पानी का मुख्य स्त्रोत झेलम नदी है। इसके बीच में एक छोटा सा ‘जेना लांक' नाम का द्वीप है जिसका निर्माण राजा ज़ैनुल -अबी - दिन ने करवाया था। वूलर झील को सतीसर झील का अवशेष है, जो कश्मीरी महाकाव्य निलमठपुराण के अनुसार प्राचीन काल में अस्तित्व में थी।
तुलियन झील
इस झील को तारसीर झील के नाम से भी जाना जाता है। पहलगाम से 15 किमी. दूर स्थित इस झील तक जाने के लिए पर्यटक टट्टू की सवारी करना पसंद करते है। यह झील साल भर बर्फ के रूप में जमी रहती है।