जब भी बात घूमने की आती है तो हम या तो कुल्लू मनाली जाते है, या धर्मशाला निकल जाते है..लेकिन हिमाचल प्रदेश में इन सब के अलावा और भी कई ऐसी जगह है जहां भीड़ भी कम है और खूबसूरत भी है। जी हां इन्ही जगहों में से एक है हिमाचल प्रदेश का छोटा सा हिल स्टेशन चंबा।
रवि नदी के किनारे 996 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।चंबा अपने रमणीय मंदिरों और हैंडीक्राफ्ट के लिए सर्वविख्यात है। चारो तरफ बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर स्थित चम्बा में शिव पार्वती के 6 मंदिर स्थित है। इन मंदिर की बेजिद नक्काशी पर्यटकों को मन्त्र मुग्ध कर देती है। इसके अलावा अप्रैल में आयोजित होने वाला सूही मेला भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
यहां की घाटियों में जब धूप के रंग बिक्रते हैं तो इसका सौन्दर्य देखते ही बनता है। चम्बा की खूबसूरत वादियों को ज्यों-ज्यों हम पार करते जाते हैं, आश्चर्यों के कई नए वर्क हमारे सामने खुलते चले जाते हैं और प्रकृति अपने दिव्य सौंदर्य की झलक हमें दिखाती चलती है। आइये जानते है चम्बा में घूमने लायक स्थानों के बारे ने
लक्ष्मीनारायण मंदिर
लक्ष्मीनारायण मंदिर चम्बा का सबसे विशाल और पुराना मंदिर है। कहा जाता है कि सवसे पहले यह मन्दिर चम्बा के चौगान में स्थित था भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर राजा साहिल वर्मन ने 10 वीं शताब्दी में बनवाया था। यह मंदिर शिखर शैली में निर्मित है। मंदिर में एक विमान और गर्भगृह है मंदिर की छतरियां और पत्थर की छत इसे बर्फबारी से बचाती है।
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चौगान
चौगान1 किलोमीटर लंबा और 75 मीटर चौड़ा खुला घास का मैदान है। चौगान में प्रतिवर्ष मिंजर मेले का आयोजन किया जाता है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में स्थानीय निवासी रंग बिरंगी वेशभूषा में आते हैं। इस अवसर पर यहां बड़ी संख्या में सांस्कृतिक और खेलकूद की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।
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चामुन्डा देवी मंदिर
चामुन्डा देवी मंदिर मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है जहां से चंबा की स्लेट निर्मित छतों और रावी नदी व उसके आसपास का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है और देवी दुर्गा को समर्पित है। मंदिर के दरवाजों के ऊपर, स्तम्भों और छत पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। मंदिर के पीछे शिव का एक छोटा मंदिर है। मंदिर चंबा से तीन किलोमीटर दूर चंबा-जम्मुहार रोड़ के दायीं ओर है। भारतीय पुरातत्व विभाग मंदिर की देखभाल करता है।
अखंड चंडी महल
अखंड चंडी महल का निर्माण राजा उमेद सिंह ने 1748 से 1764 ने करवाया था। महल का पुनरोद्धार राजा शाम सिंह के कार्यकाल में ब्रिटिश इंजीनियरों की मदद से किया गया। 1879 में कैप्टन मार्शल ने महल में दरबार हॉल बनवाया। बाद में राजा भूरी सिंह के कार्यकाल में इसमें जनाना महल जोड़ा गया। महल की बनावट में ब्रिटिश और मुगलों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। 1958 में शाही परिवारों के उत्तराधिकारियों ने हिमाचल सरकार को यह महल बेच दिया। बाद में यह महल सरकारी कॉलेज और जिला पुस्तकालय के लिए शिक्षा विभाग को सौंप दिया गया।PC: wikimedia.org
भरमौर
चंबा की इस प्राचीन राजधानी को पहले ब्रह्मपुरा नाम से जाना जाता था। 2195 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भरमौर घने जंगलों से घिरा है।
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भांदल घाटी
यह घाटी वन्य जीव प्रेमियों को काफी लुभाती है। यह खूबसूरत घाटी 6006 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह घाटी चंबा से 22 किमी .दूर सलूणी से जुड़ी हुई है। यहां से ट्रैकिंग करते हुए जम्मू-कश्मीर पहुंचा जा सकता है।
कैसे आयें चम्बा
वायुमार्ग-
चंबा जाने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट पंजाब के अमृतसर में है जो चंबा से 240 किलोमीटर दूर है। अमृतसर से चंबा जाने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं।
रेलमार्ग-
चंबा से 140 किलोमीटर दूर पठानकोट नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट दिल्ली और मुम्बई से नियमित ट्रैनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी के द्वारा चंबा पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग-
चंबा सड़क मार्ग से हिमाचल के प्रमुख शहरों व दिल्ली, धर्मशाला और चंडीगढ़ से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें चंबा के लिए नियमित रूप से चलती हैं।
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कब जायें
यूं तो साल के किसी भी समय चंबा घुमने के लिए जा सकते है, लेकिन चम्बा घूमने का उचित समय अप्रैल से अक्टूबर है।
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