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छत्तीसगढ़ की ये सुहानी जगह घूमियेगा जरुर

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण मंदिर और स्मारक भी छत्तीसगढ़ के पर्यटन का एक भाग हैं।

छत्तीसगढ़ भारत का दसवां सबसे बड़ा और सोलहवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। भारत के विद्युत् और स्टील उत्पन्न करने वाले राज्यों में से एक छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से विभाजन के बाद हुई। रायपुर इसकी राजधानी है तथा इसकी सीमाएं मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, झारखंड और उत्तरप्रदेश से लगी हुई हैं।

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छत्तीसगढ़ को मुख्य रूप से दक्षिण कोसाला के नाम से जाना जाता था जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है। छत्तीसगढ़ीं देवी मंदिर में 36 स्तंभ हैं जिसके आधार पर इसका वर्तमान नाम पड़ा।

राज्य के विभिन्न भागों में की गई पुरातात्विक खुदाई से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ की सभ्यता प्राचीन है। यहाँ प्राकृतिक सुन्दरता की कोई सीमा नहीं है। यह प्रचुर मात्रा में वन्य जीवन, वन, पर्वत और जलप्रपात हैं। कुछ जलप्रपातों में चित्रकूट प्रपात, तीरथगढ़ प्रपात, चित्रधारा प्रपात, ताम्रा घूमर प्रपात, मंडवा प्रपात, कांगेर धारा, अकुरी धारा, गावर घाट प्रपात और रामदाहा प्रपात शामिल हैं।

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समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण मंदिर और स्मारक भी छत्तीसगढ़ के पर्यटन का एक भाग हैं। इनमें से अभी भी कुछ अज्ञात हैं जो पर्यटकों को भारत का हृदय को खोजने का अद्भुत अवसर प्रदान करते हैं। पुरातात्विक महत्व की दृष्टि से मल्लहार, रतनपुर, सिरपुर और सरगुजा की सैर करना महत्वपूर्ण है। प्रकृति प्रेमियों के लिए बस्तर सबसे उत्तम स्थान है। यहाँ गर्म पानी के झरने और गुफाएं हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती करती हैं। आइये जानते हैं छत्तीसगढ़ में घूमने की जगहों के बारे में.....

कवर्धा

कवर्धा

कबीरधाम पहले कवर्धा जिले के रूप में जाना जाता था और यह दुर्ग, राजनंदगांव, रायपुर और बिलासपुर के मध्य स्थित है। यहां कभी नागवंशी राजाओं का शासन था । अब कवर्धा में देखने लायक स्थलों में भोरमदेव मंदिर, मड़वा महल, राधा कृष्ण मंदिर, कवर्धा महल, पुष्प सरोवर झील, सरोदा जलाशय और उजियार सागर है। कबीरधाम एक शांत और निर्मल स्थान है जिसे प्रकृति प्रेमी बहुत पसंद करते हैं। इसके चारों ओर फैला जंगल, पहाड़ और धार्मिक मूर्तियां परिवेश को सुरम्य बनाते हैं।PC:Pankaj Oudhia

कोरिया

कोरिया

कोरिया ज़िला झरनों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के झरनों में सबसे प्रसिद्ध है अकुरी झरना. अकुरी कोरिया ज़िले का हिस्सा है। अकुरी आने के लिए सबसे पहले ट्रेन या बस से बैकुंठपुर आना होगा।बैकुंठपुर से 65 किलोमीटर की दूरी पर बंसीपुर गांव के पास अकुरी नाला है।गर्मी के मौसम में यहां देश भर से पर्यटक आते हैं। ख़ूबसूरत पहाड़ियों और झरनों के बीच स्थित ये जगह प्राकृतिक रूप से बहुत ठंडी रहती है। इसी के आस-पास गावर घाट, रामदहा और अमृत धारा झरने भी हैं।
PC:Viren vr

लक्ष्मण मंदिर

लक्ष्मण मंदिर

लक्ष्मण मंदिर भारत में ईटों से निर्मित पहला मंदिर है। यह रायपुर से लगभग 90 किमी. की दूरी पर स्थित है, जो छत्‍तीसगढ की राजधानी है। इसमें बारीक नक्‍काशी और कला का चित्रण है जो इस मंदिर को और आकर्षित बनाती है। ईटों से बना यह मंदिर, एक ऊंचे प्‍लेटफॉर्म पर और तीन प्रमुख भागों में बना हुआ है जिन्‍हे गर्भ गृह ( मुख्‍य घर ), अंतराल ( पैसज ) और मंडप ( एक शेल्‍टर ) कहा जाता है। अन्‍य धर्मो को भी खूबसूरती से मंदिर में वातायान, चित्‍या गोवाक्‍सा, भारवाहाक्‍गाना, अजा, कीर्तिमख और कामा अमालक के रूप में डिजाइन किया गया है। इस मंदिर की नक्काशी खजुराहो के मंदिरों से मिलती जुलती है। ये मंदिर खजुराहो के अन्य मंदिरों की तुलना में अधिक मजबूत है। इस मंदिर की कलाकृतियों को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

मदकू द्वीप

मदकू द्वीप

मदकू द्वीप बिलासपुर शहर से 39 किमी दूर बैतलपुर के पास शिवनाथ के बीचों-बीच पर्यटन की अनूठी जगह। इससे अहम कि यह दो धर्म और आस्था का संगम स्थल है। सदानीरा शिवनाथ की धाराएं यहां ईशान कोण में बहने लगती हैं। वास्तु शास्त्र के हिसाब से यह दिशा सबसे पवित्र मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि मंडूक ऋषि ने यहीं पर मंडूकोपनिषद की रचना की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम मंडूक पड़ा।यहां खुदाई में कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं, जो 11वीं शताब्दी के कल्चुरी कालीन मंदिरों की श्रृंखला से मिलते-जुलते हैं। यहां हर साल मसीही मेला लगता है।बोटिंग, सन सेट का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं।

सिंघनपुर गुफ़ा

सिंघनपुर गुफ़ा

छत्तीसगढ़ की सिंघनपुर गुफा में अतीत के बहुत से रहस्य छिपे हुए हैं। गुफा में खजाना होने की कहानी पर विश्वास कर जो भी इस खजाने तक पहुंचने की कोशिश करता है, उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। अब तक चार लोगों की मौत इस गुफा में खजाने की तलाश के दौरान हो चुकी है।

 गोरघाट

गोरघाट

गोरघाट कोरिया ज़िले का सबसे बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है। गोरघाट झरना हसदेव नदी का ही हिस्सा है। यहां का ख़ूबसूरत नज़ारा पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाता है।कोरिया से गोरघाट की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है।

कुटुमसर गुफ़ा

कुटुमसर गुफ़ा

तीरथगढ़ जल प्रपात के निकट स्थित यह भूमिगत गुफा जगदलपुर से लगभग 38 किमी. की दूरी पर स्थित है। एक संकीर्ण सर्पिली सीढ़ी के मार्ग से 40 फीट नीचे उतरने पर यह एक अंधेरी गुफा है जहां आपको पथ- प्रदर्षक एवं प्रकाश की सहायता से इस अदभुत रहस्य-मयी गुफा पर स्थित अनेक कृतियों के मूर्त रूप का दर्शन होता हैं इस गुफा के धरातल में बहने वाली जलधारा में एक विशेष प्रकार की मछलियां पार्इ जाती है। जो अनुवांषिक रूप से अंधी होती हैं।

कांगेर घाटी नेशनल पार्क

कांगेर घाटी नेशनल पार्क

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान जगदलपुर के पास स्थित, छत्तीसगढ़ में सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। जगदलपुर से यहां पर सड़क मार्ग द्वारा आसानी से जाया जा सकता है। इसका नाम कांग्रेर नदी पर पड़ा है जो दक्षिण-पूर्व दिशा से उत्तर-पश्चिम की ओर बीच में बहती है। इस पार्क में आदिवासी जनजातियां भी रहती हैं. उनसे घुलने-मिलने का मौका आपको यहां टहलते हुए मिल सकता है।यहां आने के लिए ट्रेन या बस से जगदलपुर आना होगा। जगदलपुर से यहां की दूरी मात्र 30 किलोमीटर है।PC: Harminder singh saini

तीरथगढ़ जलप्रपात

तीरथगढ़ जलप्रपात

यह 300 फीट उंचा जल प्रपात वस्तुत: कांगेरघाटी राष्ट्रीय उधान में उधान के प्रवेश द्वार से लगभग 15 मिनट पर स्थित हैं। जो जगदलपुर के दक्षिण में 35 किमी. हैं। यह जलप्रपात आगे जाकर विभिन्न प्रपातों में विभाजित हो जाता हैं विभाजन का यह स्थान विहंगम छटा प्रस्तुत करता हैं। तीरथगढ़ जलप्रपात चित्रकूट जलप्रपात जितना व्यापक नहीं हैं। परंतु उससे लगभग थोड़ा ही छोटा है। पहाड़ी के मध्य से बहती इसकी जलधारा अपनी पूर्ण गति से चटटानों के बीच जहां गिरती हैं। वहां पर एक छोटा मंदिर भी है। इस स्थान के आस-पास एक हजार साल पुराने उन्नत हिन्दु सभ्यता के अवषेश बिखरे है। तीरथगढ़ एक सुंदर पिकनिक स्थल के रूप में जाना जाता हैं। यहां पहुंचने के लिए उचित समय जुलार्इ से अक्टूबर हैं।PC:Mashooque14

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