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वो भद्रावती जहां प्रकृति के बीच मौजूद हैं कई महत्त्वपूर्ण मंदिर और मठ

By Syedbelal

दक्षिण भारत के प्रसिद्ध राज्य कर्नाटक में ऐसा बहुत कुछ है जो पर्यटन के उत्साही किसी भी ट्रैवलर को अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है। यहां एक ट्रैवलर को वो सब मिलेगा जिसकी कल्पना शायद ही उसने कभी की हो। यूं तो यहां एक से एक डेस्टिनेशन हैं लेकिन आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको अवगत कराएंगे उस डेस्टिनेशन से जो किसी स्वर्ग से कम नहीं है।

जी हां हम बात कर रहे हैं भद्रावती की। यह शहर कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में स्थित है। इस शहर को पश्चिमी घाटों में स्थित भद्रा वन्यजीव अभयारण्य के लिए भी जाना जाता है। यह स्थान 492 वर्ग किलोमीटर के कुल क्षेत्र में फैला है और चिकमगलूर शहर से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बंगलौर शहर से 282 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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बात यदि पर्यटन की हो तो यहां ऐसा बहुत कुछ है जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। यह पर्णपाती वन, पौधों की कई प्रजातियों का तथा पशुओं का निवास स्थान है। यहां पौधों की 120 से भी अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। यहां का वन विभाग सैलानियों के लिए ट्रेकिंग, कैंपिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, नौका विहार और पक्षियों को देखने जैसे क्रियाकलापों का आयोजन करता है।

भद्रा की यात्रा आपको आपके जीवन का सबसे यादगार अनुभव प्रदान कर सकती है क्योंकि भद्रा अपने वन्यजीवों से समृद्ध होने के साथ-साथ एक खूबसूरत स्थान भी है। तो आइये जानें कि यहां आकर क्या क्या कर सकते हैं आप।

भद्रा नदी

भद्रा नदी

यह शानदार भद्रा नदी यात्रियों के लिए एक देखने योग्य स्थान है। इस नदी का जन्म पश्चिमी घाटों की पर्वत श्रृंखला में कुदरेमुख के निकट गंगामोल में होता है। यह नदी पूर्वी दिशा की ओर बहते हुए दक्कन पठार के दक्षिणी भाग को पार कर तडबेहल्ल, हब्बे और ओडिरायनहल्ल में अपनी सहायक नदी सोमवाहिनी के साथ मिलती है। यह नदी भद्रावती की ओर मुड़ती है और कोड्ली में तुंगा नदी से मिलती है, जोकि शिमोगा के निकट स्थित एक शहर है।
फोटो कर्टसी - Dineshkannambadi

भद्रावती बांध

भद्रावती बांध

भद्रावती बांध को भद्रा जल परियोजना बांध के रूप में भी जाना जाता है और यह बांध भद्रावती शहर के निकट स्थित है। इस बांध को भद्रा नदी पर बनाया गया है और इस क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में माना जाता है। 194 फुट ऊंची इस बांध को कर्नाटक राज्य के मुख्य इंजीनियर एम.विश्वेश्वरय्या द्वारा बनाया गया था। भद्रावती बांध, इस शहर और इसके आसपास के इलाकों के खेतों को पानी प्रदान करता है तथा बिजली उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत है। यह बांध छोटे वन द्वीपों की तथा आसपास के क्षेत्रों के पहाड़ी क्षेत्र की अनदेखी करता है जो सभी यात्रियों के लिए एक शानदार दृष्य का सृजन करते हैं।
फोटो कर्टसी - Amarrg

भद्रा वन्यजीव अभयारण्य

भद्रा वन्यजीव अभयारण्य

भद्रावति की सैर करने आए सैलानियों को भद्रा वन्यजीव अभयारण्य भी देखना चाहिए। इस अभयारण्य को अपना नाम इस क्षेत्र में बहने वाली भद्रा नदी से प्राप्त होता है। 490 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला, यह अभयारण्य पश्चिमी घाटों के सूखे और नम पर्णपाती जंगलों के बीच स्थित है। 1951 में, इस क्षेत्र को प्राकृतिक रिज़र्व के रूप में घोषित किया गया था साथ ही इसे जगारा घाटी खेल रिजर्व के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। इसे अपना वर्तमान नाम 1974 में मिला और बाद में 1998 में 25वें बाघ परियोजना के रूप में घोषित किया गया। इस अभयारण्य में तेंदुआ, हाथी, गौर, सांभर, बाघ, हिरण, काकड़ और साही जैसे जानवरों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां पर्यटक दक्षिणी हरा कबूतर, पन्ना कबूतर, मालाबार तोता, पहाड़ी मैना और काला कठफोड़वा जैसे पक्षियों की कई प्रजातियों को भी देख सकते हैं।
फोटो कर्टसी - USFWSmidwest

लक्ष्मी नरसिंह मंदिर

लक्ष्मी नरसिंह मंदिर

भद्रावती की सैर करने आए सैलानी चाहे तो लक्ष्मी नरसिंह मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं, इस मंदिर को 13वीं शताब्दी में होयसल राजवंश द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर को विष्णुवर्धन के पोते वीर नरसिंह ने बनवाया था। नक्षत्र शैली के आधार पर बना गया यह मंदिर तीन फुट ऊंचा है और भगवान विष्णु के अवतार रुप भगवान नरसिंह को समर्पित है। यहां सैलानी भगवान श्रीकृष्ण, भगवान गणेश, भगवान पुरुषोत्तम और देवी शारदंबा की मूर्तियों को देख सकते हैं। यह मंदिर त्रिकुटचल मंदिर के रूप में भी जाना जाता है और इसका कारण है इसके अंदर बने तीन गोपुरम जिन तक पांच सीढियों को चढ़कर पहुंचा जा सकता है।
फोटो कर्टसी - Amarrg

जैन बसादि

जैन बसादि

यह पर्यटकों के लिए एक देखने योग्य स्थान है, ये जैन बसादि भगवान महावीर को समर्पित है। इस मंदिर की दीवारों पर नक्काशी के जरिये भगवान महावीर के उपदेशों को दर्शाया गया है । कर्नाटक में ये बसादि काफी लोकप्रिय है और भद्रावती में एन.एस.टी सड़क के पास स्थित है।
फोटो कर्टसी - Madhav Pai

भद्रा के मठ

भद्रा के मठ

यात्री चाहे, तो भद्रावती के पवित्र मठों को भी देख सकते हैं। भद्रा नदी के किनारे स्थित सुण्णद हल्ली, गोंधी, शारदा, कुंडली और शंकर मठ कुछ प्रसिद्ध मठ हैं।
फोटो कर्टसी - Dineshkannambadi

शिव मूर्ति

शिव मूर्ति

छोटे हुत्ता के निकट स्थापित शिव मूर्ति भद्रावती में स्थापित भगवान की सबसे बड़ी मूर्ति है यहांआने वाले पर्यटक इस मूर्ति के दर्शन करना बिलकुल न भूलें।
फोटो कर्टसी - Lensman vishy

कैसे जाएं भद्रावती

कैसे जाएं भद्रावती

फ्लाइट द्वारा - मैंगलोर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्ड़ा भद्रा में आने वाले घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक निकटतम हवाई अड्डे के रूप में कार्य करता है। बाजपे हवाई अड्ड़े के रूप में जाना जाने वाला यह हवाई अड्ड़ा, भद्रा से लगभग 190 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से उड़ानें मध्य पूर्व के प्रमुख देशों के लिए तथा भारत के अन्य शहरों के लिए उपलब्ध हैं।

रेल द्वारा - लगभग 83 किमी की दूरी पर स्थित हसन रेलवे स्टेशन भद्रा का निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन बंगलौर, मैसूर और मंगलोर जैस कुछ प्रमुख और निकटतम शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। पर्यटक एक बस या किराए की टैक्सी द्वारा रेलवे स्टेशन से भद्रा जा सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा - बैंगलोर से सड़क मार्ग द्वारा भद्रा पहुंचना बहुत आसान है। यह स्थान बैंगलोर से केवल 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पर्यटक बैंगलोर से तरिकेरे तक के.एस.आर.टी.सी (कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम) की बसों द्वारा पहुंच सकते हैं और यहां से लक्कवल्ली पहुंचने के लिए निजी बसों की सेवा उपलब्ध है। आप एक किराए की टैक्सी द्वारा सीधे बैंगलोर से भद्रा जा सकते हैं।
फोटो कर्टसी - Prasanth Chandran

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