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भुज के भुजिया किले की दास्तान!

भारत में कई महल व किलों के अस्तित्व में होने की मुख्य वजह है, भारत में प्रांतीय राज का होना। कुछ किलों और महलों की रचनाएँ तो समय को चुनौती दे आज भी शान से खड़ी हैं और कुछ समय के साथ ध्वस्त होती जा रही हैं। चलिए आज हम ऐसे ही एक जर्जर हो चुके पर आज भी आकर्षक,किले की सैर पर चलते हैं जो कच्छ क्षेत्र के भुज की सरहद पर स्थापित है।

आज इस भुजिया किले को भुजंग नाग मंदिर की वजह से जाना जाता है। हालाँकि किले की कई इमारतें कई सालों से अच्छी तरह से देखभाल नहीं किये जाने की वजह से ध्वस्त हो चुकी हैं।

Bhujia Fort

भुजिया किला
Image Courtesy:
Bhargavinf

भुजिया किले का इतिहास

कच्छ के सम्राट एक रक्षक किले का निर्माण करवाना चाहते थे, जिससे उनकी राजधानी की मुग़ल, राजपूतों और सिंधु शासकों से रक्षा हो सके। इसलिए प्रथम राव गोडजी ने 1700 से 1800 ईसवीं में इस राजसी पहाड़ी किले का निर्माण करवाया जहाँ से वे आराम से अपने दुश्मनों पर नज़र रख सकते थे। इस किले को आक्रमणकारियों के आक्रमण से भुज को बचाने के लिए बनाया गया था।

Bhujia Fort

भुजिया किले का प्रवेश द्वार
Image Courtesy: Bhargavinf

तब का वह समय था जब सारे शासक ऐसे ही सामरिक रक्षा स्थलों की खोज में होते थे जिससे कि वहाँ से उनके राजधानी की रक्षा हो सके। खैर, बाकि किलों की तरह भुज के इस किले पर भी कई आक्रमण हुए। रोकॉर्डों के अनुसार इस किले में लगभग 6 युद्ध लड़े गए।

एक बार मुगलों के सूबेदार(वायसराय), शेर बुलंद खान ने भुजिया किले पर आक्रमण किया। जब यह लड़ाई ख़त्म होने वाली थी, तब नाग बाबा कबीले के कुछ योद्धा इस किले में घुस गए और शेर बुलंद खान के सैनिकों के खिलाफ भुज की सहायता करते हुए लड़ाई लड़ी जिसमें भुज के शासकों की जीत हुई।

Bhujia Fort

किले की प्राचीन दिवार
Image Courtesy: Prabhat

भुजंग नाग से जुडी पौराणिक कथाएं

कथाओं के अनुसार, नागाओं के सरदार ने भी इस क्षेत्र, भुज पर राज किया था। एक बार सबसे भयंकर युद्ध में नागाओं के अंतिम सरदार, भुजंग मारे गए। उनकी मृत्यु के बाद जहाँ वह रहते थे वह जगह भुजिया पहाड़ के नाम से जाना जाने लगा और उसके आस पास के क्षेत्र को भुज के नाम से जाना जाने लगा। यहाँ के निवासियों ने भुजंग की याद में ही एक मंदिर बनाया जो अब भुजंग नाग मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। उसी समय से यहां के निवासी इस क्षेत्र के नाग देवी देवताओं को बहुत ज़्यादा मानने लगे और उनकी पूजा करने लगे।

Bhujang Nag Temple

किले में स्थित भुजंग नाग मंदिर
Image Courtesy: Nizil Shah

आज़ादी के बाद भुजिया किला भारतीय सैनिकों के अधीन हो गया, जिसे भारतीय सैनिकों ने कुछ सालों के लिए सैन्य उद्देश्य के लिए उपयोग किया। बाद में उन्होंने इस जगह को छोड़ दिया और दूसरी जगह को स्थानांतरित हो गए।

भुजिया फोर्ट में आकर्षण के केंद्र

भुजंग नाग मंदिर, भुजिया पहाड़ का सबसे प्रमुख आकर्षक केंद्र है। ऐसा कहा जाता है कि भुजंग नाग, नागों के देवता शेषनाग के भाई थे। इसलिए नाग पंचमी के दिन यहाँ एक खास पूजा होती है और एक भव्य मेले का आयोजन होता है।

Bhujang Nag Temple

भुजंग नाग मंदिर का पवित्र स्थान
Image Courtesy: Nizil Shah

भुज पहुंचें कैसे?

भुज गुजरात के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से लगभग 330 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सड़क यात्रा द्वारा: गुजरात के सभी प्रमुख शहरों से यहाँ तक के लिए बस की सुविधा उपलब्ध है। आप अहमदाबाद से कोई निजी कैब या टैक्सी भी बुक करके यहाँ तक की यात्रा कर सकते हैं।
रेल यात्रा द्वारा: यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन भुज रेलवे स्टेशन है।
हवाई यात्रा द्वारा: भुज में एक डोमेस्टिक हवाईअड्डा है। यहाँ का सबसे नज़दीकी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अहमदाबाद का सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है।

अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।

Read in English: Remembering the Tales of Bhujia Fort in Bhuj!

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