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तीर तलवार से नहीं, बल्कि सत्य और अहिंसा से हुई महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म की शुरुआत

By Syedbelal

देश के पश्चिमी तट पर स्थित, महाराष्ट्र बौद्ध अवशेष से भरा राज्य है। वास्तु से प्रेम करने वाला कोई भी पर्यटक इस खूबसूरत राज्य की यात्रा करके यहां मौजूद बौद्ध नक्काशियों और वास्तुकला का आनंद ले सकता है। हालांकि आज यहां मौजूद बौद्ध धर्म को समर्पित ये अवशेष ज्यादातर खँडहर में बदल गए हैं मगर फिर भी आज राज्य में ऐसा बहुत कुछ है जो आपको गहराई से इस धर्म के बारे में बताएगा।

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महाराष्ट्र राज्य में मौजूद इन बौद्ध अवशेषों में एक कॉमन बात ये है कि यदि आप इन स्मारकों को ध्यान से देखें तो आपको मिलेगा कि इन सभी स्मारकों में की गयी नक्काशियों में भगवान गौतम बुद्ध के प्रभावशाली जीवन और उपदेशों को बहुत ही खूबसूरती के साथ दर्शाया गया है।

साथ ही इन स्मारकों और अवशेषों में आपको उन राज्यों और राजवंशों की भी झलक मिलेगी जिनके शासनकाल में इन स्मारकों का निर्माण हुआ है। आज अपने इस आर्टिकल के जरिये हम आपको अवगत करेंगे महाराष्ट्र राज्य में मौजूद बौद्ध अवशेषों से। तो आइये जाना जाये कि इन खूबसूरत बौद्ध अवशेषों को देखने महाराष्ट्र में कहाँ जाएं आप।

अजंता की गुफाएँ

अजंता की गुफाएँ

अजंता की गुफाएं, महाराष्‍ट्र राज्‍य के औरंगाबाद जिले में स्थित है। अजंता और एलोरा की गुफाओं में ज्‍यादा दूरी नहीं है व दोनों ही गुफाएं महत्‍वपूर्ण ऐतिहासिक केन्‍द्र है। अजंता की गुफाएं लगभग 200 साल ईसा पूर्व की बनी हुई है। इन गुफाओं में हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के चित्र, मूर्ति व अन्‍य कलाकृति लगी हुई है। अजंता की गुफाओं को यूनेस्‍को द्वारा विश्‍व विरासत स्‍थल का दर्जा दिया गया है।

औरंगाबाद गुफाएं

औरंगाबाद गुफाएं

2 से 7 ई. के बीच बनी यह 10 गुफाएं बौद्ध मूल की है।यह गुफाएं अलग-अलग दिशा में बनी हुई है जो हिंदू धर्म के तंत्र-मंत्र से प्रेरित हैं। सुबह 9 से शाम 7 बजे तक इन गुफाओं मेंभ् रमण किया जा सकता है जिसके लिए भारतीयों को 10 और विदेशियों को 100 रू. चार्ज देना पड़ता है।

भाजा गुफाएं

भाजा गुफाएं

भाजा की गुफाएं खंडाला के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं, जो हिल स्टेशन से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह विशाल प्राचीन सुंदरता दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की है। ये बौद्ध धर्म के हिनायाना संप्रदाय की हैं और भारत में चट्टान काटकर बनाए गए बौद्ध मंदिर कला का सबसे प्राचीन और उत्कृष्ट उदाहरण है।

दीक्षा भूमि

दीक्षा भूमि

दीक्षा भूमि में हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां एक बौद्ध स्तूप है जो 120 फुट लंबा है। इसी जगह में कई सैकड़ों दलित लोगों ने डॉ. बी आर अम्बेडकर को अपना नेता मानते हुए बौद्ध धर्म को अपनाया था। यहां इस दिन को अशोक विजय दशमी के रूप में मनाया जाता है।

एलोरा गुफाएँ

एलोरा गुफाएँ

महाराष्‍ट्र राज्‍य के औरंगाबाद जिले से 30 किमी दूर एक पुरातात्विक स्थल है जिसे एलोरा गुफाएं कहा जाता है। यह विश्‍व के विरासत स्‍थल में सूचीबद्ध है। माना जाता है कि यह गुफाएं राशत्राकुता राजवंश में बनवाई गई थी। इस गुफा में 3 भाग है जिनमें 34 गुफाएं बनी हुई है। तीनों भाग हिन्‍दू, बौद्ध, व जैन धर्म के लिए है। बौद्ध भाग में 12 गुफाएं, हिन्‍दू भाग में 17 और जैन भाग में केवल 5 गुफाएं है। यह सभी गुफाएं पुराने समय की बनी हुई नायाब कलाकृति है।

कार्ला की गुफाएं

कार्ला की गुफाएं

कार्ला की गुफाएं खंडाला के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं, जो हिल स्टेशन से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह विशाल प्राचीन सुंदरता दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की है। ये बौद्ध धर्म के हिनायाना संप्रदाय की हैं और भारत में चट्टान काटकर बनाए गए बौद्ध मंदिर कला का सबसे प्राचीन और उत्कृष्ट उदाहरण है।

पांडवलेनी गुफाएं

पांडवलेनी गुफाएं

पांडवलेनी गुफाएं, नासिक में स्थित है, जहाँ कोई भी वास्तुकला प्रेमी प्रसन्न होगा। त्रिवाष्मी हिल्स के पठार पर बसे, पांडवलेनी गुफाएं 20 से अधिक सदियों पुरानी है। गुफाओं की संख्या चौबीस है और जैन राजाओं द्वारा निर्मित मानी जाती है। जैन संत अम्बिका देवी, मनिभाद्रजी,और तीर्थंकर ऋषभदेव यहाँ रहते थे। जैन शिलालेख और कलाकृतियों के अलावा, यहाँ बुद्ध कि मूर्तियों को भी देखा जा सकता हैं। जटिल पानी के टैंक बड़ी चट्टानों से बाहर नक़्क़ाशीदार बने हुए है। क्षेत्र में कथित तौर पर यह एक पवित्र स्थान है जहां आध्यात्मिक नेताओं से उनके शिष्यों और अनुयायियों ने मुलाकात की थी।

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