टूरिज्म की दृष्टि से मणिपुर हमेशा ख़ास रहा है यहां ऐसा बहुत कुछ है जिस कारण देश दुनिया के पर्यटक इस खूबसूरत राज्य की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।भारत के इस पूर्वोत्तर राज्य में सिरउई लिली, संगाई हिरण, लोकतक झील में तैरते द्वीप, दूर - दूर तक फैली हरियाली, उदारवादी जलवायु और परंपरा का सुंदर मिश्रण देखने का मिलता है। इसी क्रम में आज में आज हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं मणिपुर के एक ऐसे शहर से जिसे सांस्कृतिक विविधताओं का शहर भी कहा जाता है।
जी हां, आज अपने इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं चुराचांदपुर के बारे में। चुराचांदपुर मणिपुर के सबसे बड़े जिले का जिला मुख्यालय है। यहां इस शहर को लामका के नाम से जाना जाता है। लामका का अर्थ होता है ऐसा स्थान जो सड़कों की मिलन स्थली पर बसा हो। इस शब्द की उत्पत्ति मणिपुरी शब्द ‘लाम' और ‘का' से हुई है। ‘लाम' का अर्थ होता है- मार्ग और ‘का' का अर्थ होता है- संधिस्थल। राज्य की राजधानी इम्फाल से 59 किमी दूर स्थित नैसर्गिक छठा समेटे चुराचांदपुर जिला छोटी-छोटी पहाड़ियों और तंग घाटियों से घिरा हुआ है।
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अब यदि बात पर्यटन कि हो तो यहां ऐसा बहुत कुछ है जो आपको मन्त्र मुग्ध कर देगा साथ ही जिसे आप अपनी यादों में रख सकते हैं। तो आइये अब देर किस बात की इस लेख के जरिये जानें कि अपनी चुराचांदपुर की यात्रा पर ऐसा क्या है जिसे आपको अवश्य देखना चाहिए।
देशज कला और हस्तशिल्प
चुराचांदपुर देशज कला और हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। क्योंकि पूर्वोत्तर के ज्यादातर जनजातीय समुदाय की तरह ही चुराचांदपुर में रहने वाली जनजातियों को भी हस्तशिल्प और बांस की कारीगरी व फेब्रिक उत्पादन जैसी देशज कलाओं में महारत हासिल है। अगर आप इस शहर में घूमने जा रहे हैं तो यहां के बाजार में बिकने वाली रंगबिरंगी जनजातीय शिल्पकृति अवश्य खरीदें।\
न्यू बाजार और ओल्ड बाजार से आप बांस और बेंत से बने सामान खरीद सकते हैं। ओल्ड बाजार को जेनहांग बाजार के नाम से भी जाना जाता है। जनजातीय शॉल यहां बिकने वाला एक महत्वपूर्ण उत्पाद है, जो कि अपनी गुणवत्ता और टिकाऊपन की वजह से प्रसिद्ध है।
नगालोइ जलप्रपात
नगालोइ गांव में हरियाली के बीच स्थित नगालोइ जलप्रपात यहां आने वाले पर्यटकों को मुग्ध कर देता है। नगालोइ गांव को नगालोईमौल के नाम से भी जाना जाता है। चुराचांदपुर के आकर्षणों में से एक इस जलप्रपात का विकास बड़ी तेजी से हुआ है। नगालोइ गांव चुराचांदपुर के जिला मुख्यालय से सिर्फ 9 किमी दूर है और बस या टैक्सी से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
नगालोइ जलप्रपात घूमने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं जिससे यहां यातायात साधनों को लेकर कोई परेशानी नहीं होती है। अगर आप यहां बहुत ज्यादा समय नहीं बिता रहे हैं तो कुछ ही घंटों में आप नगालोइ जलप्रपात घूमकर वापस चुराचांदपुर आ सकते हैं।
खूगा बांध
चुराचांदपुर में स्थित खूगा बांध इस जिले की जीवनरेखा है। इसका निर्माण बिजली उत्पादन और पानी आपूर्ति के लिए कराया गया था, लेकिन आज यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुका है। खूगा बांध का निर्माण एक मानव निर्मित झील के ऊपर किया गया है और यहां पिकनिक मनाने के लिए लोगों की खूब भीड़ उमड़ती है।
इस बांध की शुरुआत 1983 में की गई थी, लेकिन कुछ सालों बाद इसकी हालत खस्ता हो गई। 2002 में इस बांध पर फिर से काम शुरू हुआ और कई उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाने लगा। 2010 में सोनिया गांधी ने इस नए बांध का उद्घाटन किया।
जनजातीय संग्रहालय
चुराचांदपुर में दो जनजातीय संग्रहालय है। एक तुइबूओंग रोड पर और दूसरा थंगजाम रोड पर। यह संग्रहालय इसी रोड के नाम से प्रसिद्ध है। इस संग्रहालय में मणिपुर के ब्रिटिश राज और आजादी के बाद के लोगों के इतिहास की झलक मिलती है। इस संग्रहालय में चर्चित जनजातीय कला और शिल्पकृति का विशाल संग्रह है, जिसे राज्य के अलग-अलग भागों से एकत्रित किया गया है।
इसमें लोगों की दिनचर्या के दौरान प्रयोग होने वाले उपकरण, पारंपरिक झोपड़ियों का मॉडल और मणिपुर के जनजातियों के पारंपकि आभूषण व पहनावे प्रमुख हैं।
कैसे जाएं चुराचांदपुर
फ्लाइट द्वारा : चुराचांदपुर में कोई एयरपोर्ट नहीं है। सबसे नजदीकी एयरपोर्ट 59 किमी दूर राजधानी इम्फाल में है। इम्फाल में सभी महत्वपूर्ण भारतीय एयरलाइंस की सेवाएं उपलब्ध है। कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू से इम्फाल के लिए प्रतिदिन फ्लाइट मिलती है। इम्फाल से टैक्सी के जरिए चुराचांदपुर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल द्वारा : चुराचांदपुर में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। जिरिबाम स्थित नैरो गज रेलवे स्टेशन के अलावा मणिपुर में रेल मार्गो का उल्लेखनीय विकास नहीं हो पाया है। अगर आप ट्रेन से चुराचांदपुर जाना चाहते हैं तो पहले आप को दीमापुर जाना होगा। जिला मुख्यालय से दीमापुर 174 किमी है, जबकि जिरिबाम यहां से 252 किमी दूर है।
सड़क मार्ग द्वारा : नेशनल हाईवे 150, जिसे तेदिम रोड के नाम से भी जाना जाता है, चुराचांदपुर को इम्फाल से जोड़ता है। एक तरह से यह सड़क इस शहर के साथ-साथ इस जिले की जीवनरेखा है। इम्फाल से चुराचांदपुर पहुंचने के लिए पर्यटक चाहे तो राज्य पथ परिवहन की बस या निजी वाहन का सहारा ले सकते हैं। यह शहर राज्य के अन्य हिस्सों से भी अच्छे से जुड़ा हुआ है।