पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता
बंगाल की राजधानी कोलकाता में मुख्य रूप से मां काली की आराधना की जाती है। यहां मां काली का सबसे बड़ा मंदिर दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। कई लोगों का मानना है कि कोलकाता में मां काली खुद निवास करती हैं और उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम कोलकाता पड़ा। यह हुगली नदी के किनारे मठ के समीप स्थित है।
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यह काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर माता सती के दाएं पैर की चार उंगलियां गिरी थी। इस मंदिर में देवी काली की मूर्ति की जिह्वा खून से सनी है और देवी नरमुंडों की माला पहने हुए हैं। कहा जाता है कि कभी श्री रामकृष्ण परमहंस यहाँ पुजारी थे। यहां देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु मां काली के दर्शनों के लिए आते हैं।
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कहा जाता है कि इस मंदिर में गुरु रामकृष्ण परमहंस को मां काली ने साक्षात् दर्शन दिए थे। मंदिर परिसर में परमहंस देव का कमरा है। जिसमें उनका पलंग तथा उनके स्मृतिचिह्न उनकी याद में रखे हुए हैं। स्लाइड्स में जाने
किसने बनवाया मंदिर
दक्षिणेश्वर मंदिर देवी माँ काली के लिए ही बनाया गया है। दक्षिणेश्वर माँ काली का मुख्य मंदिर है।बताया जाता है कि खुद काली मां ने शूद्र जमींदार की विधवा पत्नी रासमणि को सपना देकर इस मंदिर को बनवाने की बात कही थी।PC: Wiki-uk
दक्षिणेश्वर मंदिर
तो वहीं कहा जाता है कि, एक समय यहां रासमणि नाम की रानी थी। रासमणि मां काली की बड़ी भक्त थी। रानी समुद्र के रास्ते होते हुए काशी के काली मंदिर में पूजा करने के जाया करती थी। एक बार रानी अपने संबंधियों अौर नौकरों के साथ मां काली के मंदिर में जाने की तैयारियां कर रही थी। तभी रानी को मां काली ने सपने में दर्शन देकर इसी स्थान पर माता का मंदिर बनवाने और उनकी सेवा करने का आदेश दिया। माता काली के आदेश पर रासमणि रानी ने वर्ष 1847 में यहां मंदिर बनवाना शुरु किया, जोकि वर्ष 1855 तक पूर्ण हो गया।PC: Wiki-uk
प्रसिद्ध मंदिर
कोलकाता के प्रसिद्ध और जाग्रत मंदिर दक्षिणेश्वर का ये मंदिर कई सालों से कोलकाता का एक महान धर्मस्थल बना हुआ है। इस मंदिर में पुजारी भी पैर रखने से डरते थे। हिन्दुओं की पुरानी जाति व्यवस्था और बंगाल की कुलीन प्रथा की वजह से यहां रहना उस समय काफी जोखिम भरा माना जाता था।
PC: Wiki-uk
मंदिर
काली माँ का मंदिर नवरत्न की तरह निर्मित है और यह 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊँचा है। मंदिर के भीतरी भाग में चाँदी से बनाए गए कमल के फूल जिसकी हजार पंखुड़ियाँ हैं, पर माँ काली शस्त्रों सहित भगवान शिव के ऊपर खड़ी हुई हैं।PC: Tiyas16
मंदिर के पास बहती है गंगा
इस मंदिर के पास पवित्र गंगा नदी जो कि बंगाल में हुगली नदी बहती है।
PC: K.vishnupranay
मंदिर की वास्तुकला
इस मंदिर में 12 गुंबद हैं। यह मंदिर हरे-भरे, मैदान पर स्थित है। इस विशाल मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं।PC:Parthapakray
रामकृष्ण परमहंस
प्रसिद्ध विचारक रामकृष्ण परमहंस ने माँ काली के मंदिर में देवी की आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की थी तथा उन्होंने इसी स्थल पर बैठ कर धर्म-एकता के लिए प्रवचन दिए थे। रामकृष्ण इस मंदिर के पुजारी थे तथा मंदिर में ही रहते थे। उनके कक्ष के द्वार हमेशा दर्शनार्थियों के लिए खुला रहते थे।
PC: Sukanta Pal
दक्षिणेश्वर मंदिर
दक्षिण की ओर स्थित यह मंदिर तीन मंजिला है। ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। गुंबदों की छत पर सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई हैं। मंदिर के भीतरी स्थल पर दक्षिणा माँ काली, भगवान शिव पर खड़ी हुई हैं। देवी की प्रतिमा जिस स्थान पर रखी गई है उसी पवित्र स्थल के आसपास भक्त बैठे रहते हैं तथा आराधना करते हैं।PC:Pariplabpal
विश्व में है प्रसिद्ध
दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है।
PC:Arunankapilan
मंदिर के समय
मंदिर के खुलने का समयप्रातःकाल 5.30 से 10.30 तक। संध्याकाल 4.30 से 7.30 तक।PC:Sukanta Pal
कब आयें
पर्यटक साल में हर समय यहाँ पर भ्रमण करने आ सकते हैं।
PC: Jagadhatri
कैसे आयें
वायु मार्ग द्वार
कोलकाता वायुसेवा के माध्यम से बंगलोर, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई सहित सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
रेलमार्ग
कोलकाता में मुख्य तौर पर दो स्टेशन हैं- शियालदाह तथा हावड़ा। कोलकाता रेलमार्ग के माध्यम से भी सभी प्रमुख बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क
हर प्रमुख शहरों से कोलकाता जाया जा सकता है। स्थानीय साधन लकाता में मीटर से टैक्सी चलती है। बस, मेट्रो रेल, साइकल रिक्शा तथा ऑटो रिक्शा चलते हैं।PC: Lonetraveller 003
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