हमारे यहां जब भी महिलाएं अकेले घूमने यात्रा पर निकलती हैं, तो उन्हें तरह तरह की बातों का सामना करना पड़ता है। हालांकि लोगो की बातों का ज्यादा असर मुझ पर नहीं होता है। हाल ही में अपनी पांचवी सोलो यात्रा पर निकली।
मै जब कोई ट्रिप प्लान करती हूं वह किसी ना किसी कारणवश हमेशा ही असफल हो जाती है। इस बार मैंने काफी सोच समझने और रिसर्च के बाद दस दिन की दार्जलिंग और सिक्किम की यात्रा करने का फैसला किया। मै अपनी इस नई और दस की यात्रा को लेकर बेहद ही उत्साहित थी।
मैंने कोलकाता से दार्जलिंग जाने के लिए ट्रेन से जाना बेहतर समझा।मैंने शाम को कोलकाता से न्यू जलपाईगुड़ी जाने के लिए ट्रेन पकड़ी। एक पूरी रात के सफर के बाद मै सुबह न्यू जलपाईगुड़ी पहुंची। न्यू जलपाईगुड़ी पहुँचने के बाद मुझे पता लगा कि, यहां दार्जलिंग के लिए सीधी बस नही है। कुछ ही दूरी पर मुझे एक सूमो नजर आयो जो प्रति सवारी 200 रुपये ले रहा था।
मैंने भी पैसे देकर सूमो से ही जाने में भलाई समझी। तभी मुझे वहीं दो विदेशी नजर आयें, मैंने सूमो ड्राइवर से उन्हें भी गाड़ी में बैठाने को कहा। इसी के साथ मुझे मेरी यात्रा में साथ देने के लिए दो नये साथी मिल गये। अकेले यात्रा करने में यही मजा है, आप इस दौरान नयी जगहों से मुखातिब होते है साथ ही नयी जगह पर नये लोगो से मिलते है। हम सूमो से पहाड़ो और चाय के बागानों से होते दार्जलिंग पहुंचे।
दार्जलिंग पहुँचने के बाद पहले हमने एक होटल लेकर आराम करना उचित समझा। शाम को हल्का नाश्ता करने के बाद मै और मेरे नये दो विदेशी दोस्तों के साथ मै निकल पड़ी दार्जलिंग भ्रमण पर। मैंने और मेरे दोस्तों ने पहले दार्जलिंग चाय का कि चुस्कियां ली उसके बाद हमने हैप्पी वैली चाय बागन और टाइगर हिल्स घूमने का प्लान बनाया। दार्जलिंग में हम सभी शाम को चाय के बागानों ने घूमते रहे।
दूसरा दिन
दूसरे दिन हम सुबह तडके ही 3 बजे उठ गये क्योंकि हमे टाइगर हिल्स निकलना था। हमने एक गाड़ी किराये पर ,ली और निकल पड़े टाइगर हिल्स। रास्ते में हमसे कई महिलायों ने लिफ्ट मांगी ताकि वह भी ऊपर जाकर लोगो को कॉफ़ी और चाय बेचकर कुछ कमाई कर सके। लेकिन हमारी गाड़ी में जगह की कमी थी, इसलिए हम उन महिलायों की कोई मदद नहीं कर सके।
हम टाइगर हिल्स सही समय पर पहुंच गये थे, लेकिन थोड़ी देर बाद पूरा टाइगर हिल्स सैलानियों से पट गया। सभी लोग उगते हुए सूरज को देख बेहद खुश हुए।हमने भी उगते हुए सूरज की कुछ तस्वीरें ली। यहां से उगते हुए सूरज को देखना इसलिए और अच्छा लगा रहा था क्यों कि जब सूरज की सुनहरी किरणे विश्व के तीसरे पर्वत पर पड़ रही थी, जिससे कंचनजंगा और भी खूबसूरत हो गया था। हम काफी लकी थे, क्यों कि उस दिन मौसम काफी साफ़ था, और हम सबसे उंचे शिखर को साफ़ साफ़ देख पा रहे थे।इस अद्भुत नजारे को देखने के बाद हैप्पी वैली चाय के बागानों को देखने के लिए निकल पड़े।
यूं तो दार्जलिंग में करीबन 86 चाय के बागन है लेकिन हमने हैप्पी वेली को ही चुना, क्यों की इस चाय के बागन में हम चाय बनने की प्रक्रिया को भी देख सकते थे। इस दौरान हमने टॉय ट्रेन का भी लुत्फ उठाया। हैप्पी वैली दार्जलिंग का छोटा सा चाय का बागन है। हमने हैप्पी वैली में चाय की पत्तियों से लेकर चाय बनने की पूरी प्रक्रिया को देखा। हालांकि दुःख की बात यह थी, यहां चाय के लिए अच्छी पत्तियां तोड़ने वाले मजदूर को महज एक दिन का मेहनताना महज 132 रूपया दिया जाता है। दार्जलिंग में ये दोनों जगहे घूमने के बाद मुझे अपने दोनों विदेशी दोस्तों को अलविदा कहना पड़ा क्योंकि अब मुझे दार्जलिंग स सिक्किम की यात्रा अकेले तय करनी थी।
पहले मैंने दार्जिलिंग से गंगटोक की टैक्सी पकड़ी जोकि, दार्जलिंग से तीन घंटे की दूरी पर है।यहां के दृश्य इतने मनोरम होते है कि,आपको पता ही नहीं लगेगा की कब आप दार्जलिंग से सिक्किम पहुंच गये।अगर आपने पश्चिम बंगाल की टैक्सी ली है तो वह आपको सिक्किम बस स्टैंड पर छोड़ देगी।जिसके बाद आपको दूसरी सिक्किम जाने के लिए दूसरी टैक्सी लेनी होगी। सिक्किम पहुँचने के बाद मै एमजी मार्ग पहुंची, जहां पहुँचने के बाद पहले मुझे लगा कि, मै मनाली के माल रोड आ गयी हूं। एमजी रोड बेहद खूबसूरत और साफ सुथरा था। वहां पहुंचकर मैंने एक कप कॉफ़ी पी और निकल पड़ी घूमने।
यूं तो सिक्किम ज्यादा महंगा नहीं है लेकिन अकेले घूमने वालो के लिए यह थोड़ा सा महंगा है। पूरा सिक्किम बेहद ही ज्यादा खूबसूरत है, जिसकी तारीफ़ के लिए शब्द भी कम पड़ जाये। तो फिर आइये जानते है कि, सिक्किम में कहां-कहां घूमा जा सकता है।
पेलिंग
पेलिंग तेजी से लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनता जा रहा है. 6,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित इसी जगह से दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट कंचनजंघा को सबसे करीब से देखा जा सकता है। पेलिंग बेहद खूबसूरत है, यहां घूमने लायक जगह हैं सांगा चोइलिंग मोनास्ट्री, पेमायंगत्से मोनास्ट्री और खेचियोपालरी लेक।
रूमटेक मोनास्ट्री
यह भव्य मठ सिक्किम के जाने-माने टूरिस्ट स्पॉट्स में से एक है. इसी जगह पर 16वें ग्यालवा कर्मापा का घर है. मठ में अनोखी कलाकारी दिखती है। गोल्डन स्तूप इस मठ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
नाथुला दर्रा
14,200 फीट की ऊंचाई पर, नाथुला दर्रा भारत-चीन सीमा पर स्थित है. यह सिक्किम को चीन के तिब्बत स्वशासी क्षेत्र से जोड़ता है। यह सफर अपने आप में आनंद देने वाला अनुभव है. धुंध से ढंकी पहाड़ियां, टेढ़े-मेढ़े रास्ते और पहाडों से झरते झरने यह रास्ता तो अद्भुत है. इस जगह जाने के लिए पर्यटकों के पास परमिट होना चाहिए।
सोम्गो लेक
यह झील एक किलोमीटर लंबी, अंडाकार है. स्थानीय लोग इसे बेहद पवित्र मानते हैं। मई और अगस्त के बीच झील का इलाका बेहद खूबसूरत हो जाता है। सोम्गो लेक में दुर्लभ फूल देखे जा सकते हैं।इनमें बसंती गुलाब, आइरिस और नीले-पीले पोस्त शामिल हैं। झील में जलीय जीव और पक्षियों की कई प्रजातियां मिलती हैं। यह जगह लाल पांडा के लिए भी जानी जाती है. सर्दियों में झील का पानी जम जाता है।
हिमालयन जूलॉजिकल पार्क
हिमालयन जूलॉजिकल पार्क गंगटोक के आगे करीब 8 किमी की दूरी पर स्थित है। 205 एकड़ जमीन में फैले हुए पार्क को, बुलबुले के रूप में भी जाना जाता है और यहाँ खुले बाड़ों में रहने वाले दिलचस्प जंगली जानवरों की एक विस्तृत श्रृंखला भी है। जब पार्क में हों, तो काकड़, पांडा, पैंथर्स, तिब्बती भेड़िये, कस्तूरी बिल्लियां, हिमालयी काले भालू और भी अधिक कुछ दिलचस्प जानवर हैं, जिन्हें कोई देख सकता है। इसके अलावा, यहाँ रहने वाले दो बहुत ही दिलचस्प प्राणी हैं।
कुश' और 'उर्बशी'- राजसी बर्फ के तेंदुए की एक जोड़ी है जो देखने लायक है।
डो-द्रुल कॉर्टेन
तिब्बती बौद्ध केनिंगमा ऑर्डर के प्रमुख ने इसे 1945 में बनवाया था। यह सिक्किम के सबसे खूबसूरत स्तूपों में से एक है. यहां 108 प्रार्थना चक्के लगे हैं। इसमें कई मांडला सेट्स हैं, अवशेषों का एक सेट और कुछ धार्मिक सामग्रियां भी हैं। यहां बौद्ध गुरुओं की प्रतिमाएं भी हैं।