भारत की राजधानी दिल्ली सिर्फ राजनीती के लिए बल्कि अपनी सांस्कृतिक और भव्यता के चलते भी काफी लोकप्रिय है। दिल्ली में स्थित ये मुगलहालीन इमारत दिल्ली को और भी खूबसूरत बनाती है।
भारत में मुगलों का आगमन भारतीय इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था..मुगलकाल के दौरान भारत में कई सारी इमारतें मस्जिद,किलों, बगानों का निर्माण हुआ था। ये इमारते फारसी शैली से प्रभावित है...मुगल वास्तुकला की मुख्य विशेषताएं इसकी बल्बस गुंबद हैं, बड़े बड़े हाल,चार चार पिलर...और पतले मीनार।
इस वीकेंड हो जाए क़ुतुब मीनार की सैर
मुगल काल की भारत में शुरुआत बाबर से हुई, जिसके बाद हुमायूं और फिर जिसके बाद बादशाह अकबर ने..अकबर काल में कई मुगलकालीन इमारतों का निर्माण हुआ जिसके बाद उनके बेटे जहाँगिरी ने कई सारी मुगलकालीन इमारतों का निर्माण कराया। जिसके बाद शाहजहां आये..जिन्हें किसी परिचिय की जरूरत नहीं है...शाहजहां द्वारा निर्मित ताजमहल आगरा में स्थित सात अजूबों में से एक है। हालांकि बिर्टिश हुकुमुत के आने के बाद इन इमारतों को बर्बाद करने का प्रयास किया गया..
गोवा के अनसुने बीच, जहां जाकर आप बस वहीं के होकर रह जायेंगे
इसी क्रम में जानते हैं दिल्ली में स्थित मुगलकाल की इमारतों के बारे में जिन्हें आपको जीवन में एकबार जरुर घूमना चाहिए...
हुमायूँ का मकबरा
हुमायूं का मकबरा हाजी बेगम ने अपने पति हुमायूं की याद में बनवाया था..यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक हुमायूं का मकबरा भारतीय उपमहाद्वीप में बनाया जाने वाला पहला उद्यान कब्र है।लाल बलुआ पत्थर में बनाई गई इस मूल कृति को ताजमहल के लिए प्रेरणा माना जाता है। र्स्थापना और पुनर्स्थापना की थी।
लाल किला
लाल क़िला, दिल्ली के ऐतिहासिक, क़िलेबंद, पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित, लाल रेत-पत्थर से निर्मित इस किले को पाँचवे मुग़ल बाद्शाह शाहजहाँ ने बनवाया था। इस के किले को "लाल किला", इसकी दीवारों के लाल रंग के कारण कहा जाता है। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष 2007 में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था। लाल किला मुगल बादशाह शाहजहाँ की नई राजधानी, शाहजहाँनाबाद का महल था। यह दिल्ली शहर की सातवीं मुस्लिम नगरी थी। उसने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली बदला, अपने शासन की प्रतिष्ठा बढ़ाने हेतु, साथ ही अपनी नये-नये निर्माण कराने की महत्वकाँक्षा को नए मौके देने हेतु भी। इसमें उसकी मुख्य रुचि भी थी। लाल किले के अंदर आप नक्करख़ाना,दीवान-ए-आम,नहर-ए-बहिश्त,ज़नाना,दीवान-ए-ख़ास,मोती मस्जिद आदि देख सकते हैं।
पुराना किला
दिल्ली की प्राचीन किलों में से एक पुराना किला पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है..सर्दियों के दौरान यहां पर्यटकों का काफी जमावड़ा देखा जा सकता है। किले की मजबूत और मोटी दीवारों के तीन द्वारों पर दोनो तरफ बुर्ज हैं। ये दीवारें 18 मीटर ऊँची और डेढ़ किमी लम्बी हैं जिनपर तीन मेहराबयुक्त प्रवेशद्वार हैं जिन्हें पश्चिम में बड़ा दरवाजा, दक्षिण में हुमायूँ का दरवाजा और तालुकी द्वार हैं, जिसे निषेध द्वार भी कहते हैं। सभी तीन प्रवेशद्वार विशाल दोमंजिला संरचनायें हैं जिनके दोनो ओर बुर्ज होने के साथ-साथ बाल्कनी या झरोखा और सतम्भयुक्त मण्डप हैं।वर्तमान में पुराना किला एक ऐसा स्थान हैं जहाँ हर शाम दिल्ली के इतिहास का एक दृश्य-श्रृव्य शो आयोजित किया जाता है।
जामा मस्जिद
जामा मस्जिद भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इस मस्जिद को सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाया गया था। इस मस्जिद का निर्माण 1650 में शुरू किया गया था जो 1656 में पूरा हुआ। ये मस्जिद चोवरी बाज़ार रोड पर स्थित है। मस्जिद पुरानी दिल्ली के मुख्य आकर्षणों में से एक है।इस विशाल मस्जिद में 25,000 भक्त एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं। इसमें तीन राजसी द्वार हैं, 40 मीटर ऊंची चार मीनारें हैं जो लाल बलुआ पत्थरों एवं सफ़ेद संगमरमर से बनी हुई हैं। इस मस्जिद में सुंदरता से नक्काशी किये गए लगभग 260 स्तंभ हैं जिनमें हिन्दू एवं जैन वास्तुकला की छाप दिखाई देती है।
सफदरजंग मकबरा
दिल्ली स्थित सफदरजंग का मकबरा दिल्ली की आखिरी संलग्न कब्र है। इस मकबरे का निर्माण वर्ष 1753 में अवध के नवाब शुजा उद दौला द्वारा अपने पिता के सफदरजंग की याद में बनवाया गया था। मकबरा एक सफेद समाधि है जो मुगल वास्तुकला का अंतिम चिराग माना जाता है। अगर आप दिल्ली में है तो हम आपको यही सलाह देंगे की आप सफदरजंग के मकबरे का दौर ज़रूर करें यहाँ मौजूद विशाल दीवारें, लम्बे फव्वारे, मुग़ल गार्डन आपको मुग़ल शैली की तारीफ करने से नहीं रोक पाएंगे। इस मकबरे में सोलह खंड हैं जिनके नाम हमेशा आपके ज़हन में रहेंगे जैसे मोती महल, जंगली महल, बादशाह पसंद। यह मकबरा सातों दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुलता है। इस जगह के आस पास अब भी इसी मकबरे के नाम का प्रयोग किया जाता है।
चांदनी चौक
आज के समय में चांदनी चौक दिल्ली के स्स्बे व्यस्तम इलाकों में से एक है..और एक प्रसिद्द बाजार है।इसका निर्माण चांदनी बाजार को शाहजहां द्वारा कमीशन और राजकुमारी जहानारा द्वारा डिजाइन किया गया था। इस मार्केट जो घूमते हुए आप बेगम सामू और चुन्ना मल हवेली की पुराने हवेली आदि देख सकते हैं।
जफर महल
मुगल द्वारा निर्मित अंतिम स्मारक जफर महल है। महारुली के दिल में ख्वाजा बख्तियार काकी के दरगाह के पश्चिमी द्वार पर स्थित इस महल का नाम उसके पुत्र बहादुर शाह जफर के बाद सम्राट अकबर द्वितीय के नाम पर रखा गया था। इस ग्रीष्मकालीन महल का ज्यादातर हिस्सा आज खंडहर है।
फतेहपुरी मस्जिद
शाहजहां की पत्नियों में से एक फतेहपुरी बेगम द्वारा निर्मित एक 17 वीं शताब्दी की मस्जिद, यह मस्जिद चांदनी चौक में स्थित है। लाल बलुआ पत्थर के साथ निर्मित, मस्जिद में एक प्रार्थना कक्ष और शीर्ष पर एक गुंबद है।
अत्गाह खान का मकबरा
अकबर की अदालत में एक महान व्यक्ति के लिए यह विचित्र छोटी कब्र का निर्माण किया गया है, जिसकी एक प्रतिद्वंद्वी द्वारा हत्या कर दी थी। हज़रत निजामुद्दीन बस्ती में स्थित 16 वीं शताब्दी का स्मारक कई लोगों के लिए एक रहस्य है।