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देवप्रयाग: सास-बहु का ऐसा संगम...शायद ही कहीं देखा होगा

देवप्रयाग उत्तराखंड राज्य में स्थित है साथ ही यह एक बेहद ही प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है।

By Goldi

देवप्रयाग उत्तराखंड राज्य में स्थित है साथ ही यह एक बेहद ही प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को गंगा के नाम से भी जाना जाता है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मलित धार "गंगा"कहलाती है।

देहरादून, गर्मियों की छुट्टियों में सैर करें ठंडी हसीन वादियों कीदेहरादून, गर्मियों की छुट्टियों में सैर करें ठंडी हसीन वादियों की

देवप्रयाग को 'सुदर्शन क्षेत्र' भी कहा जाता है। 7 वीं सदी में देवप्रयाग को 'ब्रह्मपुरी', 'ब्रह्म तीर्थ' और 'श्रीखण्ड नगर' जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता था। देवप्रयाग को 'उत्तराखण्ड के रत्न' के रूप में भी जाना जाता है।

वो रुद्रनाथ मंदिर जहां महादेव का सिर यहां इंडिया में, तो वहीं धड़ नेपाल में पूजा जाता हैवो रुद्रनाथ मंदिर जहां महादेव का सिर यहां इंडिया में, तो वहीं धड़ नेपाल में पूजा जाता है

यहां पहाड़ एक तरफ से अलकनंदा और दूसरी तरफ से भागीरथीआकर जिस बिंदु पर मिलते हैं वह दृश्य बेहद ही मनोरमी होता है।

संगम

संगम

अलकनंदा बहुत कम आवाज करती है। वहीं भागीरथी बहुत ज्यादा शोर करते हुए बहती है। इन दोनों केबारे में कहा जाता है कि अलकनंदा बहू है और भागीरथी सास। PC:Mkeranat

संगम

संगम

यहां पहाड़ के तरफ से अलकनंदा और दूसरी तरफ से भागीरथी आकर जिस बिंदु पर मिलते हैं वह दृश्य बेहद ही मनोरमी होता है। अलकनंदा के पानी का रंग नीला तथा भागीरथी का रंग हल्के हरे रंग का है देवप्रयाग भगवान राम से भी जुड़ा हुआ है।PC: wikimedia.org

देवप्रयाग

देवप्रयाग

त्रेता युग में रावण और उसके परिजनों का वध करने के पश्चात् कुछ वर्ष अयोध्या में राज्य करके श्री राम ब्रह्म हत्या के दोष निवारण हेतु सीता जी और लक्ष्मण जी सहित देवप्रयाग में अलकनन्दा और भागीरथी नदी के संगम पर तपस्या करने आये थे। केदारखण्ड में श्री राम का सीता जी और लक्ष्मण जी सहित देवप्रयाग पधारने का वर्णन मिलता है।PC: Fowler&fowler

 देवप्रयाग

देवप्रयाग

इस उल्लेख के अनुसार जहाँ गंगा जी का अलकनन्दा से संगम हुआ है और सीता-लक्ष्मण सहित श्री रामचन्द्र जी निवास करते हैं, देवप्रयाग के उस तीर्थ के समान न तो कोई तीर्थ हुआ और न होगा।PC:Subhradip1039

देवप्रयाग

देवप्रयाग

माना जाता है कि देव शर्मा नामक एक हिन्दू संत ने इस संगम स्थल पर कठिन तपस्या की थी, जिनके नाम पर इस स्थान का नाम ‘देवप्रयाग' पड़ा। देवप्रयाग के विषय में कहा जाता है कि जब राजा भागीरथ ने माँ गंगा को पृथ्वी पर आने को मना लिया तो 33 करोड़ देवी-देवता भी उनके साथ स्वर्ग से उतरे। तब उन्होंने अपना आवास गंगा जी की जन्म भूमि, देवप्रयाग में बनाया।PC:Vvnataraj

सास बहु हैं-भागीरथी और अलकनंदा

सास बहु हैं-भागीरथी और अलकनंदा

भागीरथी और अलकनंदा के संगम के बाद यहीं से पवित्र नदी गंगा का उद्भव हुआ है। गढ़वाल क्षेत्र में भागीरथी नदी को सास तथा अलकनंदा नदी को बहू माना जाता है।PC:Ssriram mt

देवप्रयाग

देवप्रयाग

यहाँ के मुख्य आकर्षणों में संगम के साथ ही एक शिव मंदिर तथा रघुनाथ मंदिर भी सम्मिलित हैं।देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु देवप्रयाग में पवित्र संगम में स्नान करने आते हैं।PC:Wilson44691

 रघुनाथ मंदिर

रघुनाथ मंदिर

द्रविड शैली में निर्मित रघुनाथ मंदिर भक्तों के मध्य अति लोकप्रिय है। निकट ही स्थित डंडा नागराज मंदिर और चंद्रवदनी मंदिर भी दर्शनीय हैं। देवप्रयाग का अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य भी इस पावन स्थल की भांति ही अद्वित्तीय है।
PC: wikimedia.org

कैसे पहुंचे

कैसे पहुंचे

वायुमार्ग
निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जाॅली ग्रांट है (बद्रीनाथ से 315 किलोमीटर, केदारनाथ से 240 किलोमीटर, गंगोत्री से 298 किलोमीटर, और यमुनोत्री से 177 किलोमीटर) और दिल्ली से भी जुड़ा है। इंडियन एयरलाइंस दिल्ली और देहरादून के बीच छोटे विमान संचालित करती है और दिल्ली सबसे सुविधाजनक हवाई अड्डा है।

रेलमार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है (बद्रीनाथ से 297 किलोमीटर, केदारनाथ से 229 किलोमीटर, गंगोत्री से 251 किलोमीटर और यमुनोत्री से 223 किलोमीटर), यह हरिद्वार के माध्यम से भारत में प्रमुख शहरों और कस्बों के साथ जुड़ा हुआ है।
PC: Akshaykumar Khatane

सड़कमार्ग

सड़कमार्ग

बद्रीनाथ देश के सभी बड़े स्थानों के साथ अच्छी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है यहाँ से प्रमुख स्थानों की दूरी इस प्रकार है
औली से 58 किलोमीटर
चमोली से 97 किलोमीटर
देहरादून से 315 किलोमीटर
हेमकुंड से 50 किलोमीटर
जोशीमठ से 42 किलोमीटर
कर्णप्रयाग से 126 किलोमीटर
फूलों की घाटी से 50 किलोमीटर
PC:Jainnys

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