कहते हैं भगवान को पाना है तो कठिन तप करो...पहले के जमाने में देवता,ऋषि आदि भगवान के दर्शन पाने के लिए हजारो साल तप किया करते थे, तब जाकर उन्हें भगवान के दर्शन मिलते थे। ठीक आज भी कुछ वैसा ही है।
क्या सचमुच भगवान शिव जी महाप्रलय के बाद इस जगह पर विस्थापित हो जायेंगे?
आज भले भक्तों को हजारो साल तप नहीं करना पड़ता है..लेकिन भगवान के दर तक पहुँचने के लिए उन्हें आज भी कठिन यात्रा जरुर करनी होती है...कुछ यात्रायें तो ऐसी होती है, जिनमे भक्तों की जान जोखिम में पड़ जाती है। इन सबके बावजूद हर साल लाखो की तादाद में भक्त भगवान की शरण में पहुंचते हैं।
ज़रा संभल कर जाइयेगा किराडू मंदिर के दर्शन करने, कहीं आप पत्थर के न बन जाएँ!
फिर चाहे वह अमरनाथ यात्रा हो या फिर वैष्णो देवी का धाम...इन जगहों पर अक्सर आतंकी साया भी मंडराता रहता है, लेकिन ये डर भी भक्तो की श्रद्धा भगवान में कम नहीं होने देता ..इसी क्रम में आज मै आपको अपने लेख के जरिये भारत की उन कठिन धर्म यात्रा से रूबरू कराने जा रही हूं...जहां भक्त अपनी जान जोखिम में डालकर भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं।
श्रीखंड यात्रा
श्रीखंड हिमाचल प्रदेश में शिमला के पास स्थित है..यह यात्रा बेहद ही दुर्गम है...यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है। श्रीखंड महादेव की चोटी पर पहुँच कर आपको दुनिया का सबसे विशाल प्राकृतिक शिवलिंग मिलेगा जो लगभग 72 फीट उँचा है। स्थानीय निवासियों के अनुसार यहाँ शिव जी का अब तक वास है। श्रीखंड महादेव यात्रा के रास्ते इतने मुश्किल हैं कि, वहाँ कोई खच्चर या किसी और सवारी की यात्रा कर नहीं पहुँच सकते। 35 किलोमीटर की दूरी ट्रेक द्वारा ही अपने आप श्रद्धालुओं को पूरी करनी होती है।
PC: Narender Sharma
कैलाश मानसरोवर
कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों को भारत की सीमा लांघकर चीन में प्रवेश करना पड़ता है क्योंकि यात्रा का यह भाग चीन में है। कैलाश पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 20 हजार फीट है। यह यात्रा अत्यंत कठिन मानी जाती है। कहते हैं जिसको भोले बाबा का बुलावा आता है वही इस यात्रा को कर सकता है। सामान्य तौर पर यह यात्रा 28 दिन में पूरी होती है। कैलाश पर्वत कुल 48 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। कैलाश पर्वत की परिक्रमा वहां की सबसे निचली चोटी दारचेन से शुरू होकर सबसे ऊंची चोटी डेशफू गोम्पा पर पूरी होती है। यहां से कैलाश पर्वत को देखने पर ऐसा लगता है मानों भगवान शिव स्वयं बर्फ से बने शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इस चोटी को हिमरत्न भी कहा जाता है।PC:snotch
अमरनाथ यात्रा
अमरनाथ यात्रा की शुरुआत जुलाई महीने में होती है जोकि अगस्त में खत्म होती है...यह बेहद ही दुर्गम यात्रा है। श्रीनगर से 145 कि.मी दूर स्थित अमरनाथ भारत का प्रमुख धार्मिक स्थान है। यह स्थान समुंदरी तट से 4175 मीटर की ऊंचाई पर है, और यहां का मुख्य आकर्षण "बर्फ का प्राकृतिक शिवलिंग" जो हिंदू भगवान शिव का प्रतीक है,इसके दर्शन करने हजारो श्रद्धालु हर साल पहुंचते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से ये जगह बहुत हीं संदिग्ध और संवेदनशील है। इसलिए यहां जाने से पहले रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। कमजोर और बीमार व्यक्ति अक्सर इस यात्रा से वापस कर दिए जाते हैं।PC: Gktambe
वैष्णो देवी यात्रा
भारत में हिन्दूओं का पवित्र तीर्थस्थल वैष्णो देवी मंदिर है जो त्रिकुटा हिल्स में कटरा नामक जगह पर 1700 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के पिंड एक गुफा में स्थापित है, गुफा की लंबाई 30 मी. और ऊंचाई 1.5 मी. है। लोकप्रिय कथाओं के अनुसार, देवी वैष्णों इस गुफा में छिपी और एक राक्षस का वध कर दिया। पहाड़ो वाली देवी के दर्शन करने के लिए कटरा से खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है जो कि 14 किलोमीटर की है। हालांकि अब हेलीकॉप्टर की सुविधा भी यहां पर उपलब्ध है। जिससे आप माता के मंदिर तक जा सकते हैं।PC: Shikha Baranwal
हेमकुंड साहेब
गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है और हेमकुंड झील के तट पर स्थित है। यह जगह धार्मिक महत्व रखती है, क्योंकि सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने यहाँ सालों मध्यस्थ किया था।तीर्थस्थान के अंदर जाने से पहले, सिख, झील जो पास में स्थित है उसके पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। यहां की यात्रा करने के लिए 19 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा करनी होती है। इस यात्रा को पूरी करने के लिए या तो आप पैदल जा सकते हैं, या फिर खच्चरों का सहारा ले सकते हैं। इस यात्रा में जान का जोखिम भी काफी होता है।PC:Satbir 4
बद्रीनाथ
उत्तराखंड स्थित हिंदुयों के पवित्र चार धामों की यात्रा में बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा भी काफी दुर्गम है ...हर साल यहां लाखों श्रद्धालु माथा टेकने दूर-दूर से पहुंचते हैं।PC: ShashankMalathisha
गंगोत्री और यमुनोत्री
उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री पहुंचने के लिए काफी दुर्गम चढ़ाई करनी होती है। जिस कारण श्रद्धालु यहां पहुंचने की हिम्मत जुटा पाने में असमर्थ होते हैं। बता दें कि गंगोत्री और यमुनोत्री तक की यात्रा करने के लिए 5 किलोमीटर की सीधी खड़ी चढ़ाई है। आपको पता हो कि गंगोत्री, गंगा नदी का उद्गम स्थल है।. गंगा जी का मंदिर ये मंदिर। समुंद्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। और ये स्थान उत्तरकाशी से 60 किलोमीटर की दूरी पर है।PC: Anurag.vq
नैना देवी
नैनी देवी मंदिर एक ‘शक्ति पीठ' है जो नैनी झील के उत्तरी छोर पर स्थित है। मां नैना देवी का ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।यह मंदिर हिंदू देवी, ‘नैना देवी' को समर्पित है। नैना देवी की प्रतिमा के साथ भगवान श्री गणेश और काली माता की मूर्तियाँ भी इस मंदिर में प्रतिष्ठापित हैं। पीपल का एक विशाल वृक्ष मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित है।PC: Anujc964
पावागढ़ मंदिर
महाकाली मंदिर, जोकि समान रुप से हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, गुजरात के वड़ोदरा से 53 किमी दूर पावागढ़ और ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। इस मंदिर के लिए काफी ऊंची चढ़ाई करनी होती है, जो कठिनाइयों से भरा है। हालांकि अब भक्त रोपवे के ज्रिय्र भी मंदिर में देवी मां के दर्शन कर सकते हैं।PC:Hardik D.Trivedi
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