दिवाली या दीपावली का शुमार भारत के उन त्योहारों में है जो देश के अलावा दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। दिवाली भारत का वो त्योहार है जो अपनी विविधता और विशेषता के चलते सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण है। लाइट और साउंड का ये त्योहार विश्व के उन चुनिंदा त्योहारों में है जिसे सभी जाती, धर्म और समुदाय के लोग मिल जुल कर मनाते हैं।
आपको बता दें कि भारत में दिवाली को "बुराई पर अच्छाई की जीत" के तौर पर देखा जाता है। साथ ही इसी दौरान भारत में नव वर्ष की शुरुआत भी होती है। आपको बताते चलें कि पांच दिन तक चलने वाले इस पर्व को पांच भागों धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज में वर्गीकृत किया गया है। ज्ञात हो कि भारत के बिहार राज्य में ये पर्व 6 दिनों तक चलता है जिसे छठ पूजा के नाम से जाना जाता है।
अब सबसे जरूरी बात यदि आप दिवाली पर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखियेगा कि आप दिवाली का भरपूर मज़ा तभी ले पाएंगे जब आप इस त्योहार में खुद अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। गौरतलब है कि दिवाली उत्तर भारत का प्रमुख त्योहार है तो इसी क्रम में आज अपने इस आर्टिकल के जरिये हम आपको अवगत कराएंगे भारत के उन डेस्टिनेशनों से जहां मनाई जाने वाली दिवाली अपने में जुदा और अनूठी है और जहां आपको अपने जीवन काल में एक बार अवश्य जाना चाहिए।
दिल्ली
भारत की यात्रा अपने आप में एक अनोखा अनुभव है, और इसकी राजधानी दिल्ली की सैर किसी भी व्यक्ति के लिए एक अमिट संस्मरण साबित होगी। भारत के सबसे बडे शहरों में से एक दिल्ली, प्राचीनता और आधुनिकता का सही संयोजन है। घूमने के लिहाज से इस शहर की यात्रा पर कभी भी जाया जा सकता है लेकिन हमारा सुझाव ये है कि यदि आप दिल्ली की यात्रा का प्लान कर रहे हैं तो आप दिवाली के दौरान यहां आएं। इस दौरान इस शहर में ऐसा बहुत कुछ होता है जो किसी भी व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है।
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
वाराणसी को बनारस और काशी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। यह शहर, दुनिया में सबसे प्राचीन और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है। इस शहर को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। आपको बता दें कि भगवान शिव, हिंदुओं के प्रमुख देवता है जिन्हे सृजन और विनाश का प्रतीक माना जाता है। वाराणसी, हिंदू धर्म के सबसे पवित्रतम शहरों में से एक है। इस शहर को लेकर हिंदू धर्म में बड़ी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति यहां आकर मर जाता है या काशी में उसका अंतिम सस्ंकार हो, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है यानि उस व्यक्ति को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। दिवाली के दौरान यहां के सजे हुए खूबसूरत घाट किसी भी व्यक्ति विशेष का मन मोह सकते हैं। तो इसको जानने के बाद हमारा यही सुझाव है कि आप अपनी काशी यात्रा को दिवाली में प्लान करें।
जयपुर, राजस्थान
भारत के सबसे पुराने शहरों में शुमार और वर्तमान में पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर वर्तमान में राजस्थान राज्य की राजधानी है। इस शहर का शुमार भारत के उन शहरों में है जिन्हें वास्तुशास्त्र को ध्यान में रखकर स्थापित किया गया था। इस शहर का निर्माण अम्बेर के राजा महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बंगाल के एक वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की मदद से करवाया गया था। यह जगह हिंदू वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है, जो पिथापड़ा रूप यानि आठ भागों के मंडल में बना हुआ है।
दिवाली के दौरान इस शहर की खूबसूरती ऐसी होती है कि इसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। दिवाली के आसपास इस खूबसूरत शहर का कोना कोना रंगीन और रौशनी से नहाया रहता है। आपको बताते चलें कि दिवाली के दौरान शहर और उसके आसपास कई छोटे बड़े मेलों का भी आयोजन किया जाता है। कुल मिलाके कहा जा सकता है कि जयपुर घूमने का असली मज़ा तब है जब आप यहां दिवाली के दौरान आ रहे हों।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल
अपनी विविधता, विशेषता, साहित्य और संगीत के अलावा त्योहारों के मामलों में भी कोलकाता हमेशा ख़ास रहा है। कोलकाता जिसे पहले कलकत्ता के नाम से जाना जाता था अंग्रेजों के ज़माने से ही हमारे देश का सांस्कृतिक केंद्र रहा है। कोलकाता के लोगों को कई दशकों से साहित्य और कला प्रदर्शन के लिए सराहा जाता रहा है। दुर्गा पूजा, दीवाली और दशहरे के कुछ ही दिनों पहले मनाई जाने वाली काली पूजा जैसे त्योहारों को मनाने के तरीके और उनके द्वारा अपने घरों को सजाने के तरीके से उनके कला प्रेम के स्पष्ट सबूत मिलते हैं।
कहा जा सकता है कि यदि आप कोलकाता आने के बारे में विचार कर रहे हैं तो आप काली पूजा के दौरान यहां आएं। इस दौरान आपको ये शहर एक अलग ही रंग में दिखेगा। हमारा सुझाव है कि यदि आप दिवाली में कोलकाता जाने के विषय में सोच रहे हैं तो आप कालीघाट जाना न भूलें। आपको बताते चलें कि कालीघाट वो स्थान है जहां माँ काली को समर्पित एक विशाल मंदिर है जहां हर काली पूजा में लाखों भक्त मां काली की पूजा के लिए आते हैं।
अमृतसर, पंजाब
पंजाब में स्थित अमृतसर सिक्ख समुदाय का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केन्द्र है। यह उत्तर-पश्चिम भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक है। इस शहर की स्थापना 16वीं शताब्दी में चौथे सिक्ख गुरू, गुरू रामदास जी ने किया था और इसका नाम यहां के एक पवित्र तालाब अमृत सरोवर के नाम पर पड़ा। 1601 में गुरू रामदास जी के उत्तराधिकारी गुरू अर्जुन देव जी ने अमृतसर का विकास किया। उन्होंने यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण कार्य भी पूरा किया, आपको बता दें कि इस मंदिर को बनाने कि शुरुआत गुरू रामदास जी ने की थी।
बात यदि अमृतसर में पर्यटन की हो तो आपको बता दें कि अमृतसर में कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं। इनमें से हरमंदिर साहिब सबसे महत्वपूर्ण है, जिसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र होने के कारण यहां विश्व के अलग-अलग हिस्से से हर दिन करीब एक लाख पर्यटक आते हैं। दिवाली के पर्व के दौरान ये शहर और स्वर्ण मंदिर दोनों ही ख़ास हो जाते हैं। इस पर्व के दौरान ये शहर रौशनी से पूरा का पूरा नहाया होता है।
शिवकाशी, तमिलनाडु
शिवकाशी भारत का एक ऐसा शहर है जो अपने पटाखों तथा माचिस के उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है। यह तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में स्थित है। यहां स्थित कुछ महत्वपूर्ण मंदिर एवं विभिन्न मौसमों में मनाए जाने वाले कुछ रंगीन स्थानीय त्योहारों के कारण यह स्थान उभरते हुए पर्यटन स्थलों में से एक बन गया है। चूंकि भारत में 90 % प्रतिशत पटाखों का निर्माण यहीं होता है तो इस कारण यहां आपको दिवाली के दौरान लोगों की खासी भीड़ देखने को मिलेगी।