जब भी बात अमृतसर की होती है तो दिमाग में सबसे पहले स्वर्ण मंदिर या जलियांवाला बाग और वाघा बॉर्डर आता है। ये स्वाभाविक ही है क्योंकि ये बेहद अहम स्थान हैं। पर इधर का दुर्गायाना मंदिर भी अपने आप में पूरा इतिहास
समेटे हैं। ये 16 वीं सदी में बना था। हालांकि इसका मौजूदा स्वरूप तो 1921 के आसपास तैयार हुआ
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लक्ष्मीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है और इसका निर्माण 20वीं शताब्दी में हरसाई मल कपूर द्वारा स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर करवाया गया था। इस भव्य मंदिर की आधारशिला देश के एक प्रसिद्ध समाज सुधारक और
राजनेता पंडित मदन मोहन मालवीय ने रखी थी।
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जो भी अमृतसर में आता है, वह दुर्गायाना मंदिर भी अवश्य मत्था टेकने के लिए जाता है। अमृतसर आने वाला पर्यटक इस मंदिर को देखने भी जरुर आते हैं।
दुर्गायाना मंदिर
दुर्गायाना मंदिर निर्माण 20वीं शताब्दी में हरसाई मल कपूर द्वारा स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर करवाया गया था। इस भव्य मंदिर की आधारशिला देश के एक प्रसिद्ध समाज सुधारक और राजनेता पंडित मदन मोहन मालवीय ने रखी थी।
PC:Guilhem Vellut
पूरी होती मनोकामनाएं
इन्हें भी पूजा जाता है। इसे शीतला माता मंदिर भी कहा जाता है। ये पंजाब के हिन्दुओं का सबसे भव्य मंदिर माना जा सकता है।
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मंदिर के आसपास निषेध है शराब और सिगरेट
इस मंदिर के आसपास भी शराब और सिगरेट का सेवन करना पूरी तरह से निषेध है। इधर भी हिन्दुओं के अलावा सभी धर्मों के लोग आते हैं।
PC:Diego Delso
दुर्गायाना मंदिर
जो भी अमृतसर में आता है, वह दुर्गायाना मंदिर भी अवश्य मत्था टेकने के लिए जाता है। अमृतसर आने वाला पर्यटक इस मंदिर को देखने भी जरुर आते हैं।PC: Diego Delso
मंदिर के आसपास निषेध है शराब और सिगरेट
इस मंदिर के आसपास भी शराब और सिगरेट का सेवन करना पूरी तरह से निषेध है। इधर भी हिन्दुओं के अलावा सभी धर्मों के लोग आते हैं।
PC: Sasmalcalcutta
स्वर्ण मंदिर की तरह है बनावट
इस मंदिर को खास बनाती है इस मंदिर की वास्तुकला..यह एक हिन्दू मंदिर है लेकिन इस मंदिर की बनावट सिख धर्म के स्वर्ण मंदिर की तरह हुबहू है। इस मंदिर का नाम देवी दुर्गा के नाम पर रखा गया है।
संगमरमर का प्रयोग
मंदिर के निर्माण में संगमरमर का भरपूर इस्तेमाल हुआ है। मंदिर के गेट से मुख्य गेट तक पहुंचने के रास्ते में एक सरोवर भी है। जिसके इर्द-गिर्द लोग बैठ जाते हैं।
हर्षौल्लास से मनाये जाते हैं त्यौहार
मंदिर में दशहरा, दिवाली और रामनवमी पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। अमृतसर के जानकार सरदार राजेन्द्र सिंह कहते हैं दुगार्याना मंदिर हिनदुओं और सिखों के लिए बेहद खास स्थान रखता है।
मंदिर की विशेषता
मंदिर का निर्माण स्वर्ण मंदिर की तरह झील के बीचों बीच कराया गया है। मंदिर की गुम्बद पर सोने का पानी चढ़ा है।दुर्गियाना मंदिर में हिन्दू ग्रंथो का समूह संग्रह है। मंदिर परिसर में सीता माता और हनुमान के कुछ ऐतिहासिक मंदिर भी है।
कहां है स्थित
यह मंदिर अमृतसर में लोहागढ़ द्वार के पास मौजूद छोटी सी झील के पास है जिसे दुर्गियाना झील के नाम से भी जाना जाता है।
दुर्गियाना मंदिर कैसे पहुंचे
यह मंदिर अमृतसर में स्थित है..अमृतसर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीबन डेढ़ किलोमीटर है।
हवाईजहाज द्वारा
अमृतसर का एयरपोर्ट राजा सांसी एयरपोर्ट है..इस हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए कई हवाई उड़ाने उपलब्ध है।
सड़क द्वारा
अमृतसर नेशनल हाइवे 1 दिल्ली और अमृतसर को आपस में जोड़ता है।