कई फिल्मों में बरेली का सुरमा, झूमकों और बाज़ारों के बारे में गीत लिखे गये हैं। 'झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में' और 'सुरमा बरेली वाला अँखियों में ऐसा डाला' जैसे पुराने गीत अब तक इतने प्रसिद्ध हैं कि जैसे ही बरेली शहर का नाम सुनाई पड़ता है या ध्यान में आता है ये गीत हम अपने आप ही गुनगुनाने लगते हैं।
पर क्या आप इसके अलावा बरेली के कुछ और महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानते हैं? नहीं? तो चलिए हम आपको इसी शहर की एक आभासी यात्रा में लिए चलते हैं जहाँ से आप बरेली को और भी करीब से जान पाएँगे।
दरगाह-ए-आला-हज़रत
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1. इस शहर को नाथ नगरी के नाम से भी जाना जाता है क्युंकि इस क्षेत्र के चार कोनों में भगवान शिव जी के मंदिर स्थापित हैं- दोपेश्वर नाथ, मदनी नाथ, आलाखा नाथ और त्रिवती नाथ मंदिर। मंदिरों के अलावा बरेली में अहमद रज़ा ख़ान का दरगाह दरगाह-ए-आला-हज़रत भी भारत का एक सुप्रसिद्ध दरगाह है।
2. बरेली जिसे महाभारत काल में पांचाल के नाम से जाना जाता था, द्रौपदी की जन्म भूमि भी है। नगर के पांचाल नाम की वजह से ही द्रौपदी को पांचाली के नाम से भी जाना जाता था।
बरेली जंक्शन
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3. शहर को बाँस बरेली के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि यहाँ बाँस(बेंत) का उत्पादन और उससे बने समान ज़्यादा मिलते हैं, पर इस वजह से इसे बाँस बरेली नहीं कहते। बाँस बरेली नाम यहाँ के दो राजकुमारों के नाम पर पड़ा, बांसलदेवा और बारलदेवा जो राजा जगत सिंघ कटेहरिया के पुत्र थे जिन्होंने सन् 1537 में इस शहर की खोज की।
4.लोकसाहित्यों के अनुसार बरेली शहर में स्थित किलों का शहर, अही-क्षेत्र जो पौराणिक बरेली यानी कि उत्तर पांचल की राजधानी हुआ करती थी, वहाँ गौतम बुद्ध ने यात्रा की थी। जैन तीर्थंकारा पार्श्व ने यहीं कैवल्या प्राप्त की थी। भारत के टैराकोटा कला के कुछ मास्टरपीस आपको यहाँ देखने को मिलेंगे।
अही-क्षेत्र
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5. क्षत्रिय राजपूतों के कई कुलों के शासन के बाद यह क्षेत्र अली मुहम्मद ख़ान के अधीन हो गया जिन्होंने रोहिलाओं को यहाँ एकत्र किया और तब से इसे रोहिलाखंड क्षेत्र के नाम से भी जाना जाने लगा।
6. रामगांगा के तट पर बसा यह क्षेत्र पूरे तरीके से गंगा के मैदान में ही स्थित है और यहाँ की ज़मीन खेती के लिए बहुत ही उपजाऊ भूमि है। आप यहाँ अपनी यात्रा में गंगा नदी के साथ साथ कई और सात नदियों के किनारे पर बैठने का भी आनंद ले सकते हैं, जो इसी क्षेत्र से गुज़रती हैं।
रामगंगा
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7. मुगलों की संस्कृति की झलक अब तक यहाँ के खाने में नज़र आती है। मुगलों के व्यंजन सीख कबाब, नहारी, तंदूरी चिकन और पाया यहाँ के खास व्यंजन हैं और मुगलई खाना पसंद करने वालों के लिए सबसे सटीक जगह है।
बरेली पहुँचें कैसे
सड़क यात्रा द्वारा: बरेली शहर उत्तरप्रदेश के अन्य शहरों के सड़क मार्ग द्वारा आराम से पहुँचा जा सकता है। अलग अलग शहरों से यहाँ तक के लिए बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। दिल्ली से बस सुविधा उपलब्ध है जिसके द्वारा 5 घंटों में यहाँ पहुँचा जा सकता है।
रेल द्वारा: बरेली, मुरादाबाद-लखनऊ के मार्ग में पड़ता है। इस शहर में 6 रेलवे स्टेशन हैं, बरेली जंक्शन, सी.बी स्टेशन, चेनेटी स्टेशन, सिटी स्टेशन, इज़्ज़तनगर स्टेशन और भोजपुरा स्टेशन।
हवाई यात्रा द्वारा: बरेली का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है पँतनगर जो यहाँ से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर है।
अब आप बरेली के इन अनसुने तथ्यों का असली में अनुभव लेने के लिए निकल पड़िए इसकी यात्रा में और करीब से जानिए मुगल सभ्यता और इस शहर के इतिहास को।
अपने सुझाव और अनुभव नीचे व्यक्त करें।