कुछ अजीब सा, खास सा, रहस्यमयी आकर्षण हमें बार-बार जोग जलप्रपात की ओर आकर्षित कर खींच ले जाता है। हर बार मॉनसून यहाँ की खूबसूरती में एक अलग रंग भर देता है। जी हाँ, आज हम जाने वाले हैं दक्षिण मध्य के सबसे खूबसूरत जोग जलप्रपात की यात्रा में जिसका कर्नाटक और महाराष्ट्र, दोनों ही राज्यों के पर्यटन में एक खास जगह है और जिसे जेरसप्पा के नाम से भी जाना जाता है।
जोग प्रपात महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर शरावती नदी पर है। यहाँ से महाराष्ट्र तथा कर्नाटक दोनों राज्यों द्वारा जलशक्ति से विद्युत उत्पादन के बड़े-बड़े संयंत्र भी स्थापित किए गए हैं। प्राकृतिक खूबसूरती के साथ यह दोनों राज्यों में रह रहे लोगों की आर्थिक तौर पर भी मदद करता है। इसकी जल की धारा फेन(झाग) के रूप में, झटके से, निरंतर निकलती रहती है और आतिशबाजी के अग्निबाण की तरह रंग-बिरंगे चमकीले बिंदुओं में बिखरकर नीचे गिरती है। अगर आपको इसका सबसे खूबसूरत दृश्य देखना है तो, इसके लिए कर्नाटक में आपको आना होगा।
अब आप ज़रूर ही यह सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी क्या खास बात है इस जलप्रपात में? तो चलिए हम आपको बताते हैं इसकी खास बातों को जो इसे और भी खूबसूरत और आकर्षक बनाती हैं, इसके कुछ मंत्रमुग्ध कर देने वाले तस्वीरों के साथ के साथ!
इसका ऐसा नाम क्यूँ पड़ा?
ऐसी जगह का ऐसा अजीब सा नाम! वास्तव में जोग प्रपात नाम, जोगाड़ गुंडी का अंग्रेजीकृत नाम है। जोग प्रपात जेरसप्पा नाम के क्षेत्र का एक हिस्सा है। इसलिए इसे जेरसप्पा जल प्रपात भी कहा जाता है।
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जोग प्रपात के नाम पर ब्रिटिश जहाज़ का नाम
सन् 2011 में समुद्र के नीचे एसएस जेरसप्पा जहाज़ का मलबा मिला था। ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के अनुसार एसएस जेरसप्पा जहाज़ का यह नाम जेरसप्पा क्षेत्र और यहाँ के जल प्रपात के नाम पर पड़ा था।
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जोग प्रपात के नाम पर ब्रिटिश जहाज़ का नाम
एसएस जेरसप्पा जहाज़ एक ब्रिटिश जहाज़ था जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत लाया गया था। सन् 1941 में यह व्यपारिक जहाज़ आयरलैंड लौटते वक़्त समुद्र में डूब गया। यह अपने साथ चाँदी और अन्य धातुओं के कई सामान आयरलैंड ले जा रहा था। आश्चर्य की बात तो यह है कि 48 टन चाँदी को फिर से बरामद कर लिया गय ,जिसने इतिहास में 'सबसे बड़ी संख्या और गहरे धातु को फिर से बरामद करने' का रिकॉर्ड बनाया। यह जोग प्रपात का सबसे दिलचस्प तथ्य है।
दूसरा सर्वोच्च गोता लगाने वाला झरना
जोग प्रपात भारत का दूसरा सबसे ऊंचाई से डुबकी लगाने वाला जल प्रपात है, मेघालय के नोहकलिकाई जलप्रपात के बाद। इसका यह पानी ऊंचाई से बिल्कुल सीधे गिरता है वो भी चट्टानों के किसी भी सहारे के बिना।
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राजा, रानी, रोरर और राकेट
जोग प्रपात चार छोटे-छोटे प्रपातों - राजा, रानी(दाम ब्लाचें), रोरर और राकेट से मिलकर बना है। राजा सबसे ऊँचा प्रपात है जो एक बिंदु पर आकर रोरर प्रपात से मिलता है। रोरर नाम इसके गिरने के समय निकलने वाली आवाज़ की वजह से पड़ा है। रानी प्रपात बड़े आराम से सरकते हुए मिलती है जबकि राकेट सुपर जेट की तरह आकर मिलता है इसलिए इनका नाम रानी और राकेट प्रपात पड़ा।
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प्रपात के निचले हिस्से में कदम
जोग प्रपात की खूबसूरती को निहारने के लिए यहाँ कई जगह हैं। उनमें से एक है प्रपात के नीचे से इसकी खूबसूरती को कैद करना। आपको प्रपात की एक खास खूबसूरती को निहारने के लिए प्रपात से लगभग 1600 कदम नीचे उतारना होगा। पर इस दौरान यहाँ के फिसलन रास्तों और कीड़े मकोड़ों खास कर की जोंक का खास ध्यान रखें।
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खुला हुआ जल प्रपात
जोग प्रपात किसी खास बंधे हुए तरीके में हमेशा नहीं बहता, यह कहीं भी कैसे भी बहता है। सारे 4 प्रपात यहाँ एक साथ बिलकुल सीधे गोता लगते हैं जो जल प्रपात के आसपास धुंधले वातावरण का निर्माण करते हैं।
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पनबिजली निर्माण
जोग प्रपात का इस्तेमाल पनबिजली बनाने में किया जाता है।
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अरब सागर में मिलना
लिंगानामाक्की बांध से जल आगे जोग जलप्रपात की और बहता है। फिर जेरसप्पा क्षेत्र से जलप्रपात का रूप लेते हुए इदागुंजी क्षेत्र से गुज़रता हुआ होन्नावर में अरब सागर में जा मिलता है।
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