बिनसर एक ऐसा स्थान है जो अनछुए प्राकृतिक वैभव और शांत परिवेश के लिए जाना जाता है। कोलाहल और प्रदूषण भरे दैनिक जीवन से ऊब कर लोग ऐसे ही स्थान पर चंद रोज बिताना चाहते हैं। वैसे भी बिनसर किसी भी मुख्य मार्ग से हट कर स्थित है, इसलिए यहां पहुंचने वाले सैलानी अपने आप ही भीड़-भाड़ से दूर हो जाते हैं।
यह जगह प्राकृतिक प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। घने देवदार के जंगलों से निकलते हुए शिखर की ओर रास्ता जाता है, जहां से हिमालय पर्वत श्रृंखला का अकाट्य दृश्य और चारों ओर की घाटी देखी जा सकती है। बिनसर से हिमालय की केदारनाथ, चौखंबा, त्रिशूल, नंदा देवी, नंदाकोट और पंचोली चोटियों की 300 किलोमीटर लंबी शृंखला दिखाई देती है, जो अपने आप मे अद्भुत है और ये बिनसर का सबसे बडा आकर्षण भी हैं।
7वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक कुमाऊं क्षेत्र में चंद्र वंश के राजाओं का शासन था। बिनसर की खोज का श्रेय उन्हीं राजाओं को जाता है। उन्होंने इस स्थान को अपनी ग्रीष्मकालीन आरामगाह बनाया था। राजा कल्याण चंद्र ने 16वीं शताब्दी में यहां बिनसर महादेव मंदिर का निर्माण भी कराया। आरम्भ में लोग यहां केवल मंदिर में दर्शन करने आते थे।
उसके बाद बिनसर ट्रैकिंग के शौकीन लोगों की पसंद बना। लेकिन सड़क मार्ग से जुड़ने के बाद धीरे-धीरे यह स्थान प्रकृति प्रेमी सैलानियों को आकर्षित करने लगा। अभयारण्य की सीमा में प्रवेश करते ही सैलानी स्वयं को घने जंगल के मध्य पाते हैं। बिनसर जिन पहाड़ियों पर स्थित हैं, उन्हें 'झंडीढार' कहा जाता है, जिसका अर्थ है तिरछे ढलान वाली पहाड़ी। बांज और बुरांश जैसे पर्वतीय वृक्षों से घिरे मार्ग के दोनों ओर ढलानों पर रंग-बिरंगे जंगली फूलों की झाड़ियां भी हैं। यही कारण है कि पहाड़ी वनस्पति की महक पूरे रास्ते वातावरण को रूमानी बनाए रखती है।
बिनसर जीरो पॉइंट
यहां से पर्यटक केदारनाथ, शिवलिंग, त्रिशूल और नंददेवी के हिमालय की चोटियों को बखूबी निहार सकते हैं। दो किमी की ट्रेकिंग के बाद बिनसर जीरो पॉइंट पर पहुंचेगे जहां से आप पूरे कुमायूं को बखूबी निहार सकते हैं।PC: Kishitijjj
बिनसर वन्य जीव अभयारण्य
बिनसर वन्य जीव अभयारण्य में तेंदुआ पाया जाता है। इसके अलावा हिरण और चीतल तो आसानी से दिखाई दे जाते हैं। यहां 200 से भी ज्यादा तरह के पंक्षी पाये जाते हैं। इनमें मोनाल सबसे प्रसिद्ध है ये उत्तराखंड का राज्य पक्षी भी है किन्तु अब ये बहुत ही कम दिखाई देता है। अभयारण्य में एक वन्य जीव संग्रहालय भी स्थित है।
PC: wikimedia.org
मैरी बुडें एस्टेट
यह बंगला ब्रिटिश द्वारा निर्मित है जिसे अब होटल के रूप में तब्दील कर दिया गया है। यह संपत्ति बिंसर में स्थित पांच संपत्तियों में से एक है, इसकी संरचनात्मक सुंदरता और इसके शांत वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।PC: Official Website
बिनसर महादेव मंदिर
16 वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह चन्द वंश के राजा कल्याण चंद के शासन के दौरान बनाया गया था।यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए बहुत सारे आगंतुकों को आकर्षित करता है।
कैसे पहुंचे बिनसर
वायु द्वारा: पंतनगर हवाई अड्डा सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, जो बिंसर से लगभग 152 किमी की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों में नियमित उड़ानें हैं।
ट्रेन द्वारा: बिन्सार को निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है, जो यहां से 120 किमी दूर है। यह स्टेशन कोलकाता, लखनऊ, दिल्ली आदि जैसे देश के अधिकांश प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग से: बिन्सर सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और नैनीताल, हल्द्वानी और अल्मोड़ा से नियमित बसें उपलब्ध हैं।
PC: wikimedia.org
कब आयें
बिनसर पूरे वर्ष आया जा सकता है, हालांकि, अक्टूबर से मार्च तक के महीनों में यह स्थान घूमने का सबसे अच्छा समय है।
PC: wikimedia.org