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जानिये कैसे हुआ करता था गोंडल गुजरात के काठियावाड़ की ख़ास पहचान

By Syedbelal

एक पर्यटक के लिए भारत के पश्चिमी भाग में बसे गुजरात में बहुत कुछ है। इस बेपनाह खूबसूरत राज्य ने अपनी स्थलाकृतिक और सांस्कृतिक विविधता के लिए देश के अलावा दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित किया है। आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं गुजरात के एक ऐसे खूबसूरत शहर से जिसने एक राजसी शासनकाल को देखा है ये स्थान उनके लिए है जिनको इतिहास में रूचि और बेहतरीन वास्तु की समझ हो।

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जी हां हम बात कर रहे हैं गोंडल की। गोंडल आज़ादी के पहले काठियावाड़ के आठ राजसी राज्यों में से एक माना जाता था। यहाँ के राजाओं को कारों के प्रति सम्मोहन था और इसलिए उस समय भी गुजरात के गोंडल में रोड की स्थिति काफी अच्छी थी। गोंडल की स्थापना 1643 में ठाकुर श्री कुम्भोजी 1 मेरामंजी द्वारा की गयी इसके बाद इस जगह को सर भागवत सिंघजी के काल में ख्याती मिली जिन्होंने गोंडल पर आज़ादी मिलने तक शासन किया।

यदि बात पर्यटन की हो तो ये स्थान उनके लिए है जो वास्तु इमारतों और महलों में दिलचस्पी रखते हैं। सुरेश्वर महादेव मंदिर, धरेश्वर महादेव मंदिर और भुवनेश्वरी मंदिर गोंडल के कुछ प्रसिद्द धार्मिक स्थल हैं। नीचे दी गयी स्लाइड्स के जरिये जानें कि अपनी गोंडल की यात्रा पर क्या क्या कर सकते हैं आप।

कैसे जाएं गोंडल

कैसे जाएं गोंडल

गोंडल जाने के लिए पर्यटक हवाई यात्रा, रेल यात्रा और रोड के द्वारा गंतव्य तक पहुँच सकते हैं।
फ्लाइट द्वारा - राजकोट में घरेलु हवाई अड्डा है और रोज़ मुंबई से राजकोट के बीच कई उड़ानें भरी जाती हैं। हवाई अड्डे से शहर पहुंचना बस और रिक्शे की मदद से काफी आसान है।
ट्रेन द्वारा - रेल की मदद से गोंडल राजकोट रेलवे स्टेशन द्वारा पहुंचा जा सकता है जो पश्चिमी रेल के अहमदाबाद- हापा लाइन पर पड़ता है। राजकोट से मुख्य जगहों जैसे मुंबई, कोइम्बटोर, दिल्ली, अमृतसर, भोपाल, कोलकाता और कोचीन के लिए ट्रेन उपलब्ध हैं।
सड़क द्वारा - गोंडल राजकोट के नज़दीक स्थित है जो गुजरात के दूसरे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है। कई राज्य परिवहन बसें हैं जो राजकोट से नजदीकी शहरों और इलाकों के लिए चलती हैं।

फोटो कर्टसी - Abhisek Sarda

अक्षर मंदिर

अक्षर मंदिर

अक्षर मंदिर गोंडल का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है जो स्वामी गुनातितानन्द को समर्पित है जो भगवान स्वामी नारायण के पहले उत्तराधिकारी थे। इस अक्षर मंदिर क्र परिसर के अन्दर ही स्वामी की समाधी है जिसे अक्षर देरी भी कहते हैं। हर साल यहाँ भारी तादाद में श्रद्धालू आते हैं और पूजा करते हैं।
फोटो कर्टसी - Chanchal Rungta

नौ लखा पैलेस

नौ लखा पैलेस

17 वीं सदी में निर्मित ये खूबसूरत महलनुमा इमारत गोंडल के सबसे पुराने भवनों में शुमार है। पुराने वास्तु को दर्शाती ये इमारत अपने में अनोखी है। इस इमारत में आपको नक्काशीदार मेहराब, आकर्षक बालकनियां , आंगन और सुंदर सर्पिल सीढ़ियां दिखेंगी। इसके अलावा यहां एक निजी संग्रहालय भी हैं यदि आप गोंडल में हैं तो इस स्थान की यात्रा करना बिलकुल न भूलें।
फोटो कर्टसी - Bernard Gagnon

रॉयल गैराज

रॉयल गैराज

गोंडल के रॉयल गैराज विश्व प्रसिद्ध हैं और इसका श्रेय जाता है राजसी परिवार को जिनके विशिष्ट कारों का संकलन काफी प्रसिद्ध है। गोंडल पर राज करने वाले कारोके इतने बड़े भक्त थे कि रिवरसाइड महल के परिशर में आज एक संग्रहालय उत्कृष्ट और हैरान कर देने वाली कारों से भरी पड़ी है।
फोटो कर्टसी - Bharati Dftari

दासी जीवन मंदिर

दासी जीवन मंदिर

गोंडल से 6 किलोमीटर की दूरी पर घोघावदार में स्थित है दासी जीवन मंदिर और यह संत दासी जीवन का जन्म स्थान भी है। हर साल यहाँ पर लोग गुजरती नए साल पर इकठ्ठा होते हैं और दासी जीवन के जन्म दिवस को मनाते हैं।
फोटो कर्टसी - Bharati Dftari

रिवरसाइड महल

रिवरसाइड महल

1875 में बना रिवरसाइड महल महाराजा भगवत सिंघजी द्वारा अपने पुत्र युवराज भोजराजी के लियी बनवाया गया था। यह महल सुन्दर बगीचे से घिरा है और यहाँ बैठने का उचित इंतज़ाम किया गया है। इस महल को अब एक उच्चतम परंपरागत होटल में बदल दिया गया है।
फोटो कर्टसी - Bharati Dftari

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