जैसे ही आप भारत के गुजरात की कल्पना करते होंगे वैसे ही कुछ चीजें जैसे कई सारे मंदिर, बंजर इलाके, कच्छ का मरुस्थल जैसी चीजें अपने आप ही आपके सामने आ जाती होंगी। भारत के पश्चिम में बसा राज्य गुजरात अपनी स्थलाकृतिक और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता के उद्गमस्थल के रूप में विख्यात गुजरात हमेशा भारत के इतिहास में सांस्कृतिक और व्यापार का केंद्र माना जाता रहा है।
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अब यदि बात इस खूबसूरत राज्य में पर्यटन के आयामों के इर्द गिर्द हो तो आपको बताते चलें कि एक पर्यटक को हमेशा ही इस खूबसूरत राज्य ने अपनी तरफ आकर्षित किया है। तो इसी क्रम में हम आज अपने इस लेख के जरिये अवगत कराएंगे गुजरात में मौजूद कुछ खूबसूरत किलों से।
साथ ही हम आपको बताएंगे कि कैसे ये किले इतिहास की दृष्टि से हमेशा ही ख़ास रहे हैं। तो अब देर किस बात की आइये जानें गुजरात में मौजूद टॉप 7 किलों के बारे में।
लखपत किला शहर
लखपत कच्छ का एक छोटा सा कस्बा और उप-जिला है जिसका अर्थ होता है लखपतियों का शहर। यह शहर 18 वीं सदी के लखपत किले की चहारदीवारी में स्थित है। गुजरात और सिन्ध को जोड़ने के कारण यह शहर व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। इस शहर का पतन 1819 ई0 के भूकम्प के साथ शुरू हुआ जब सिन्धु नदी का बहाव शहर से दूर हो गया। आपको बताते चलें कि इस किला शहर का निर्माण 1801 ई0 में जमादार फतेह मोहम्मद द्वारा करवाया गया था।
भद्र किला
गुजरात के प्रसिद्ध शहरों में शुमार अहमदाबाद में मौजूद भद्र किले का निर्माण 1411 में अहमद शाह द्वारा करवाया गया था। रॉयल गेट, मस्जिद और महल लिए हुए ये स्थान उनको आकर्षित करता है जिनको भारतीय इतिहास में दिलचस्पी और वास्तु का बोध है। आपको बताते चलें कि वर्तमान में इस स्थान के रख रखाव की जिम्मेदारी अहमदाबाद नगर पालिका और भारतीय पुरातत्त्व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हाथों में है और यही दोनों संस्थाएं इसकी देख रेख करती हैं। कहा जाता है कि इस स्थान का नाम भद्र काली मंदिर के नाम पर है जिसका निर्माण कभी मराठा राजवंशों ने किया था।
चंपानेर का किला
चंपानेर का शुमार गुजरात के अलावा देश के सबसे प्रमुख ऐतिहासिक शहर में होता है। यदि आप गुजरात में हैं तो हमारा सुझाव है कि आप अपनी ट्रैवल लिस्ट में चंपानेर का अवश्य शुमार कीजिये और वहां जाकर के चंपानेर किला अवश्य देखिये। इस किले का निर्माण चावड़ा राजवंश के राजाओं द्वारा शहर को शत्रुओं से सुरक्षित करने के उद्देश्य से किया गया था। वैसे तो अब इस किले का ज्यादातर हिस्सा रख रखाव की कमी के चलते खंडहर में तब्दील हो गया है मगर फिर भी यहां मौजूद किले की दीवारें कुछ हद तक सुरक्षित हैं। हमारा दावा है कि इस किले के बचे हुए अवशेष देखने के बाद आप चावड़ा राजवंश के राजाओं के वास्तु ज्ञान के कायल हो जाएंगे।
पावागढ़ किला
गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित पावागढ़ के किले का शुमार भारत के कुछ जर्जर किलों में है। आपको बताते चलें कि यदि आप इस किले के भ्रमण का प्लान बना रहे हैं तो आपको यहां ज्यादा कुछ नहीं मिलने वाला। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान में इस किले के बहुत कम ही अवशेष शेष बचे हुए हैं। ज्ञात हो कि वतर्मान में यहां तीन गेट अटक गेट, बुढ़िया गेट और मची गेट इतिहास में रूचि रखने वालों को आकर्षित कर रहे हैं। यदि आप पावागढ़ में हों तो इन खूबसूरत गेटों को देखना बिलकुल न भूलें।
धोराजी किला
गुजरात स्थित धोराजी किले का निर्माण 1755 में किया गया था। यदि आप इस किले को ध्यान से देखें तो आपको मिलेगा कि इस किले को कई गढ़ों में और चार बड़े और 3 छोटे गेटों में विभाजित किया गया है। साथ ही इस किले के अंदर में खूबसूरत दरबार भी मौजूद है। आपको बता दें कि ये किला शहर के उच्चतम बिंदु पर स्थित है और इस किले को दुश्मनों से रक्षा करने के उद्देश्य से बनवाया गया था।
पाटन किला
मध्ययुगीन काल के दौरान कभी गुजरात की राजधानी रह चुका पाटन को उसके किले ने भी एक ख़ास पहचान दी है। सोलंकी राजवंश के राजाओं द्वारा निर्मित इस किले के कुछ ही हिस्से अब आपको मिलेंगे ऐसा इसलिए क्यों कि रख रखाव की कमी के चलते इस किले का ज्यादातर हिस्सा नष्ट हो गया है। इस किले के बचे हुए हिस्सों को देखकर आप सोलंकी राजवंश के कुशल वास्तु ज्ञान का अंदाज़ा आसानी से लगा सकते हैं।
मांडवी का किला
पुर्तगालियों के समय में मांडवी एक प्रमुख बंदरगाह होने के अलावा एक महत्त्वपूर्ण किला शहर था। आपको बता दें कि मांडवी एक किले के द्वारा संरक्षित था जिसकी दीवार 8 मीटर ऊंची थी, इसमें कई दरवाज़े और 25 बुर्ज़ थे। वर्तमान में यह दीवार लगभग नष्ट हो चुकी है परंतु दक्षिण पश्चिम में स्थित सबसे बड़ा बुर्ज़ लाईटहाउस यहीं मौजूद है। यदि आप गुजरात में हैं और आपने मांडवी नहीं देखा तो समझ लीजिये आपकी यात्रा अधूरी है।