प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर राज्य है सिक्किम जहां ऊंचे पहाड़, असंख्य झरने और हरियाली छाई रहती है। उत्तरी सिक्किम और भी ज्यादा खूबसूरत है और सर्दी में बर्फबारी के दौरान इस जगह की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है।
उत्तरी सिक्किम की ऐसी ही एक खूबसूरत जगह है गुरुडोंगमार झील जहां आकर आपको सच में धरती के स्वर्ग का अहसास होगा। समुद्रतल से 17,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित गुरुडोंगमार झील दुनिया की सबसे ऊंची झीलों में से एक है। बर्फीले पहाड़ों से घिरी इस प्राचीन झील का पानी इतना साफ है कि आप इसमें अपना चेहरा तक देख सकते हैं।
सिक्किम- जहां मन मोह लेते हैं पवित्र स्थल और बर्फीले पर्वत
बर्फीले पहाड़ी क्षेत्रों से घिरी इस झील के ऊपर सर्दियों के मौसम में बर्फ की एक परत चढ़ जाती है। तिब्बती बौद्ध धर्म के संस्थापक गुरु पद्मासंभवा के नाम पर ही इस झील का नाम गुरुडोंगमार पड़ा है। स्थानीय लोगों का मानना है आठवीं शताब्दी में वह इस झील के पास आए थे।
इस झील के आसपास कई जानवर और ग्लेशियर हैं। यहां आपको नीले रंग की भेड़ और याक दिख जाएंगें। ये झील 290 एकड़ में फैली हुई है।
गुरुडोंगमार झील
गुरुडोंगमार झील से कई महापुरुषों का नाम जुड़ा हुआ है और उन्हीं में से एक हैं गुरु पद्मसंभवा। कहा जाता है कि उनके ही चमत्कार के कारण इस झील के कई हिस्से सालभर जमते नहीं हैं। जब गुरु पद्मसंभवा इस स्थान पर पहुंचे तो उन्होंने इसे जमा हुआ पाया और उन्हें यह झील कृएक दिव्य स्थान लगा। लेकिन पूरे साल इस झील के जमे रहने पर स्थानीय लोगों ने गुरु से मदद मांगी। लोगों की प्रार्थना सुनने के बाद गुरु पद्मसंभवना ने इस झील के एक जमे हुए किनोर पर हाथ रखा।
इस झील पर एक अन्य महापुरुष भी आए थे और वे थे सिक्ख संत गुरु नानक। तिब्बत से लौटते हुए वे इस झील के पास रुके थे। इनकी कथा भी गुरु पदृमसंभवा की तरह ही है। स्थानीय लोगों की मदद के लिए गुरु पद्मसंभवा के अपनी छड़ी से इस झील को स्पर्श करने के बाद इसकी बर्फ पिघल गई। हालांकि इस किवदंती को तमिलनाडु के नामग्याल संस्थान और सिक्किम सरकार द्वारा गलत बताया गया है।
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गुरुडोंगमार झील कैसे पहुंचे
उत्तरी सिक्किम और गुरुडोंगमार झील में अप्रैल से जून के बीच घूम सकते हैं। इस समय यहां का मौसम ठंडा और सुहावना होता है। अगर आप आधी जमी हुई झील देखना चाहते हैं तो नवंबर से जनवरी के बीच में आएं। हालांकि, इस समय आपको यहां बहुत ठंड मिलेगी।
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कैसे पहुंचे गुरुडोंगमार झील
वायु मार्ग : सिक्किम का बगडोगरा एयरपोर्ट सबसे निकटम हवाई अड्डा है जिसकी दूरी उतृतरी सिक्किम से 125 किमी है। उत्तरी सिक्किम गुवाहाटी, कोलकाता और दिल्ली जैसे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बगडोगरा से सिक्किम तक पहुंचने के लिए आपको एयरपोर्ट के बाहर से टैक्सी मिल जाएगी।
सड़क मार्ग
बगडोगरा से उत्तरी सिक्किम तक पहुंचने में आपको बस एक दिन का समय लगेगा। आप चाहे तो बीच में गंगटोक में भी रूक सकते हैं। गंगटोक से उत्तरी सिक्किम के बीच आपको अनके मनोरम प्राकृतिक दृश्य दिखाई देंगें।
रास्ते में आपको महज़ 6 घंटे का समय लगेगा लेकिन मौसम और सड़क की वजह से आपको 2 घंटे ज्यादा लग सकते हैं। गंगटोक से उत्तरी सिक्किम के लिए आप टैक्सी भी ले सकते हैं।