छुट्टियों का मतलब हमेशा मौजमस्ती ही नहीं होता है..कभी कभी हम छुट्टियों का सहारा अपने साथ वक्त बिताने के लिए भी लेते हैं। यूं तो छुट्टिया बिताने के लिए काफी जगहें मौजूद है, लेकिन जिस असीम शांति की खोज में हम निकलते हैं वह शायद हमे नहीं मिल पाती।
देखने है बाघ चीते..तो फ़ौरन पहुंच जाइए राजाजी नेशनल पार्क
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अगर आप भी इन छुट्टियों मे कहीं घूमने का मन बना रहें है तो हम आज आपको हिमाचल प्रदेश की ऐसी खूबसूरत जगह के बारे में बताने जा रहें है..जहां प्रकृति की अलौकिक उन्मुक्तता, हरियाली का एकांत और जीवन की सहजता सौम्यता व सादगी अभी बाकी है।अगर आप वास्तविक प्राकृतिक आनंद व एकांत के मतवाले हैं आपको एक बार हाब्बन जरूर आना चाहिए।
कैसे पहुंचे हाब्बन
हाब्बन के लिए सोलन व राजगढ से बस भी मिल जाती हैं। हाब्बन के रास्ते में यशवंत नगर से पहले गिरी नदी में फिशिंग का आनन्द भी लिया जा सकता है.. एशिया भर में अद्वितीय आडू के लजीज स्वाद के लिए मशहूर राजगढ क्षेत्र में 6770 फुट की ऊंचाई पर बसे हाब्बन की ओर निजी वाहन में यात्रा करना चिर आनंद देता है।
खूबसूरत घाट सड़के
बेहतरीन घाट सड़कों से भरपूर गुजरते हुए..अप अपने कैमरे में वहां की खूबसूरती को कैद कर सकते हैं। सड़क से दूर दिखते पहाडी घरौंदे सुंदरता बढाते हैं। फैलते फर्न, जडी बूटियां, जंगली फूल, आडू प्लम नाशपत्ती बब्बूकोशा तो कहीं-कहीं सेब के पेड। मेघदूतों संग उलझती घटाओं व रंग बदलते आसमान के साए में आवारगी निराले अनुभव दे जाती है। बारिश में या बारिश के बाद यहां से गुजरने का अपना मजा है।
हाब्बन की खूबसूरत सुबह
यहां की सुबह अखबार पढने या गाडियों के शोर में नहीं उगती बल्कि पक्षियों का कलरव यहां अलौकिक सुबह की अनुभूति करवाता है। जो ऐसे पर्यटक स्थल पर हो ही नहीं सकती जहां ढेर से होटल हो गाडियों व पर्यटकों की भीड हो।
भारत का टोकरा- हाब्बन वादी
से आम को पेड़ से तोड़कर खाने का अपना ही मजा होता है, वैसे ही सेब को पेड़ से तोड़कर खाने का एक अपना अलग ही मजा है..अब हाब्बन में हैं तो सेब के बगीचे से जाकर सेब का रसपान जरुर करें। हाब्बन से 2 किमी दूर रितबशिवपुर, जहां आप सेब के बगीचों के ताजे ताजे सेब का लुत्फ उठा सकते हैं। हाब्बन में सेब, आडू,अखरोट , प्लम नाशपत्ती बब्बूकोशा आदि पाए जाते हैं..जिस कारण इस भारत का टोकरा भी कहा जाता है।
क्या घूमे
बढती ग्लोबल वार्मिंग का असर हिमाचल के इस खूबसूरत से गांव हाब्बन में देखा जा सकता है..पहले यहां पहाड़ और सड़के हमेशा बर्फ से ढकी रहती थी लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के चलते अब यहां बर्फबारी काफी कम हो गयी है।
ट्रैकिंग के शौक़ीनों के लिए स्वर्ग है हाब्बन
ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए इस जगह के आसपास कई बढिया टै्रक रूट हैं।
कहां रुके
यहां ठहरने के लिए 1969 में बनी अब रिनोवेटिड फारेस्ट लॉगहट में दो सैट हैं। यहां वन विभाग द्वारा भी पांच सैट व डोरमैट्री वाला रेस्ट हाउस बनाया है। इनकी बुकिंग डिवीजलन फारेस्ट आफिसर राजगढ से होती है। अगर अप आप चाहें तो राजगढ भी रुका जा सकता है जहां सरकारी रेस्ट हाउस व निजी रिहायशगाहें भी हैं। बता दें, यहां रुकने के लिए आपको महज 350 रुपये ही खर्च करने होंगे।
क्या खाएं
अगर आप हाब्बन आ रहें हैं तो अपने साथ खाने पीने का सामान साथ रखें..साथ ही आप इस खूबसूरत से गांव के छोटे-मोटे ढाबे व दुकानों में भी अपनी पेट पूजा कर सकते हैं।