के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है..इसी क्रम में हमने आपको रमजान स्पेशल सीरिज" loading="lazy" width="100" height="56" /> रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है..इसी क्रम में हमने आपको रमजान स्पेशल सीरिज
सत्य के मार्ग से होते हुए अहिंसा पर चलने का पाठ पढ़ाते हैं भारत के ये बौद्ध मठ
इसी क्रम में आज हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं मुंबई स्थित हाजी अली की दरगाह के बारे में। मुंबई में स्थित हाजी अली दरगाह की खासियत है कि यहां सच्चे में से जो भी कोई मुराद मांगता हैं उसकी मन्नत पूरी होती है।
खजुराहो, जहां कामदेव भी आकर कह दें, वाह ये तो कमाल हो गया!
बाबा हाजी अली शाह बुखारी की दरगाह पूरे विश्व के श्रद्घालुओं के आस्था का केंद्र है। इस दरगाह पर सभी धर्मो के लोग अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए बाबा से मन्नते मांगते हैं। ये दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव के प्रसिद्ध है। दरगाह मुंबई के वर्ली समुद्र तट के छोटे द्वीप पर स्थित है।
हाजी अली की दरगाह
सम्मानित मुस्लिम सुफी वली संत हाजी अली की दरगाह की स्थापना 1631 ई में की गयी थी । इसका निर्माण हाजी उसमान रनजीकर, जो तीर्थयात्रियों को मक्का ले जाने वाले जहाज के मालिक थे ,ने कराया था। हाजी अली एक धनी मुस्लिम व्यापारी थे उहोंने अपनी मक्का की तीर्थ यात्रा से पहले सारे धन को त्याग दिया था। PC:A.Savin
हाजी अली की दरगाह
मक्का की यात्रा के दौरान यात्रा के दौरान उनकी मौत हो गयी। मरने से पहले उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा जताई की मरने के बाद उन्हें दफनाया न जाएं बल्कि उनके कफन को समुद्र में डाल दी जाए।PC:A.Savin
तैरता रहा ताबूत
लोगों ने उनकी इस इच्छा को पूरा किया, लेकिन उनका ताबूत को अरब सागर में होता हुआ मुंबई की इसी जगह पर आकर रुक गया, जहां वो रहते थे।PC:A.Savin
1431 में बनीं दरगाह
जहां उनका ताबूत रूका उसी जगह पर 1431 में उनकी याद में दरगाह बनाई गई। खासबात ये कि तेज ज्वार के आने के बावजूद भी इस दरगाह के भीतर पानी की एक बूंद नहीं जाती है।PC:A.Savin
हाजी अली की दरगाह
इस दरगाह में भारतीय इस्लामिक सभ्यता का अद्भुत समन्वय दिखाई पड़ता है। 4500 मीटर में फैली इस सफेद मस्जिद में 85 फीट उंचा टॉवर मुख्य वास्तुशिल्पीय आकर्षण है। मस्जिद के अंदर स्थित दरगाह जरीदार लाल और हरी चद्दर से ढकी रहती है। इसे चांदी के सूक्ष्म फ्रेम द्वारा मदद दिया गया है।
PC:A.Savin
हाजी अली की दरगाह
मुख्य हाल में संगमरमर के स्तंभ बने हुए हैं जिसे रंगीन सीसे द्वारा सजाया गया है। इन स्तंभों पर 99 जगहों पर अल्लाह नाम लिखा गया है। मस्जिद की ज्यादातर संरचना खारे समुद्रीय हवाओं की वजह से क्षीण हो गयी है। जिस कारण समय -समय पर इसका पुर्ननिर्माण किया जाता है। आगे चलकर इस मस्जिद को मकराना संगमरमर पत्थरों से बनाया जायेगा जिससे कि ताजमहल का निर्माण किया गया है।
PC: Shootatsightfoto
समंदर से घिरा है दरगाह हाजी अली
दरगाह तक पहुंचने के लिए लोगों को लंबे सीमेंट के बने पुल से होकर गुजरना पड़ता है जो कि दोनों ही तरफ से समुद्र के घिरा है। लोगों की पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही कहानियों और दरगाह के ट्रस्टियों की मानें को पीर हाजी अली शाह पहली बार जब व्यापार करने अपने घर से निकले थे तब उन्होंने मुंबई के वरली के इसी इलाक़े को अपना ठिकाना बनाया था।PC: Jagadhatri
जियारत की पद्दति
श्रद्घालू अपने मस्तक से दरगाह को तथा होठों से कपड़ों को चूमकर अपनी प्रार्थना के द्वारा पीर बाबा के प्रति श्रद्घा व्यक्त करते हैं। महिलाओं के लिए हर मस्जिद की तरह, अलग से कमरे बने हैं । प्रत्येक आगंतुक मस्जिद में प्रवेश से पहले अपने जूते निकालते हैं।PC: Vaikoovery
चमत्कार की कहानी
पीर हाजी अली शाह बुखारी के जीवन के दौरान और मृत्यू के बाद कई सारे चमत्कार घटित हुए । 26 जुलाई 2005 को आयी भयंकर बाढ़ में मुंबई के ज्यादातर हिस्सों में इमारतों को भारी नुकसान हुआ किंतु दरगाह को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। PC:Pancholi
सबकी दुआ होती है कुबूल
हाजी अली दरगाह दरगाह की खासियत है कि यहां सच्चे में से जो भी कोई मुराद मांगता हैं उसकी मन्नत पूरी होती है।PC: Vaikoovery
कब जाएं
वैसे तो यहां प्रतिदिन हजारों लोग जाते हैं किंतु शुक्रवार के दिन श्रद्घालुओं की संख्या अधिक रहती है।PC:Colomen
कैसे जायें
वायु मार्ग- मुंबई पहुँचने के दो एयरपोर्ट है सहार इंटरनेशनल एयरपोर्ट-30 किमी., सांताक्रुज घरेलू हवाई अड्डा 26 किमी। श्रद्धालु स्टेशन से टैक्सी या बस द्वारा हाजी अली दरगाह पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग -
मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन है, मुंबई भारत के सभी प्रमुख शहरों के अलावा छोटे शहरों से भी कई सारी ट्रेनों द्वारा जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग
मुंबई राजमार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है...जिससे अच्छे से श्रद्धालु टैक्सी या बस द्वारा हाजी अली दरगाह पहुंच सकते हैं।PC:Roshan Jain
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