अमृतसर का स्वर्ण मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्द मंदिरों में से एक है जहाँ रोज़ भक्तों का लाखों की संख्या में हुजूम उमड़ता है। दुनिया के कोने-कोने से भक्त और पर्यटक इस महा निर्माण के दर्शन कर तृप्त होने आते हैं। सिक्ख धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल होने की वजह से इस मंदिर ने अमृतसर को उसके उत्कृष्ट भव्यता के साथ और प्रसिद्द बना दिया है।
[पंजाब का ऐतिहासिक नगर अमृतसर!]
स्वर्ण मंदिर को श्री दरबार साहिब और श्री हरमंदिर साहिब (देवस्थान) के नाम से भी जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर को धार्मिक एकता का भी स्वरूप माना जाता है। एक सिक्ख तीर्थ होने के बावजूद हरिमंदिर साहिब जी यानि स्वर्ण मंदिर की नींव सूफी संत मियां मीर जी द्वारा रखी गई थी। लोगों की अथाह श्रद्धा से जुड़ा हुआ यह गुरुद्वारा भक्तों के साथ-साथ पर्यटकों को भी अपनी असीम कृपा से बार-बार अपनी और आकर्षित करता है।
[सिख धर्म के यश वैभव और शालीनता को बखूबी दर्शाता है अमृतसर का स्वर्ण मंदिर!]
चलिए आज हम इसी महान गुरूद्वारे के दर्शन कर जानते हैं इसकी दिलचस्प बातों को।
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गुरूद्वारे की नींव
स्वर्ण मंदिर की नींव सूफी संत साई हज़रत मियां मीर द्वारा राखी गई थी।
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मंदिर का नाम
स्वर्ण मंदिर का यह नाम मंदिर के बाहरी परत पर चढ़े हुए सोने की चादर की वजह से पड़ा, जो इस मंदिर के बनने के 200 सालों बाद महाराजा रंजीत सिंह द्वारा इसमें जोड़ा गया। इससे पहले मंदिर को दरबार साहिब या हरमंदिर साहिब के नाम से ही जाना जाता था।
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अमृत सरोवर
'अमृत सरोवर' मंदिर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस सरोवर में औषधीय गुण हैं। जो भी इस मंदिर के दर्शन करने आता है, पहले इसी सरोवर में अपने हाथ पैर धोकर मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं। कई भक्तगण अपनी श्रद्धानुसार डुबकी भी लगाते हैं।
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4 प्रवेशद्वार
मंदिर के चार प्रवेशद्वार हैं, जो चारों दिशाओं पूर्व, पश्चिम,उत्तर,दक्षिण की तरफ हैं। ये प्रवेशद्वार यह सूचित करते हैं कि यह मंदिर दुनिया के हर भाग से भक्तों का बिना किसी रुकावट के पुरे दिल से स्वागत करता है। यहाँ किसी भी धर्म के, किसी भी जाती के, किसी भी संप्रदाय के पर्यटकों और भक्तों को आने की अनुमति है।
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सबसे बड़ी लंगर सेवा
स्वर्ण मंदिर हर रोज़ दुनिया की सबसे बड़ी लंगर सेवा का आयोजन करता है, जहाँ रोज़ लगभग लाखों की संख्या में भक्तों को खाना खिलाया जाता है।
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मंदिर तक जाने वाली सीढ़ियां
मंदिर में प्रवेश करने के लिए बनी सीढ़ियाँ नीचे की ओर जाती हैं, जबकि अन्य हिन्दू मंदिरों में सीढ़ियाँ मंदिर के मुख्य परिसर में ऊपर की ओर ले जाती हैं। यह इस तरह से डिज़ाईन किया गया है, जो जीने के विनम्र तरीके को दर्शाता है।
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भक्तों में समानता
जब यहाँ लंगर बंटता है तब सारे लोग, भक्तगण चाहे वो किसी भी धर्म या संप्रदाय के हों, सब एक साथ नीचे एक रेखा में बैठ कर लंगर का सेवन करते हैं। यहाँ हर भक्तों को समान समझ जाता है।
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अखंड पाठ
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने यहीं पर अपनी जीत के लिए अखंड पाठ का आयोजन किया था।
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स्वर्ण मंदिर
स्वर्ण मंदिर के पास ही अन्य आकर्षक स्थल हैं जहाँ आप अपनी अमृतसर की यात्रा में ज़रूर ही जाएँ, जैसे वाघा बॉर्डर, दुर्घानिया मंदिर, बठिंडा किला और रामबाग़।
Image Courtesy:Ken Wieland