हर साल पर्यटक ओड़िसा के पूरी की सैर के लिए खासतौर पर यहाँ स्थित कोणार्क, सूर्य मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। इस सूर्य मंदिर की भव्यता भारत में ही नहीं पुरी दुनिया में प्रसिद्ध है। सूर्य के रथ के रूप में इस मंदिर का निर्माण, लाल बलुई पत्थर और काले ग्रेनाइट से किया गया है। इसे पत्थर पर उत्कृष्ट नक्काशी करके बहुत ही सुंदर बनाया गया है।
संपूर्ण मंदिर स्थल को एक बारह जोड़ी चक्रों वाले, सात घोड़ों से खींचे जाते सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया है। मंदिर अपनी कामुक मुद्राओं वाली शिल्पाकृतियों के लिये भी प्रसिद्ध है। आज के समय में इसके कई भाग ध्वस्त हो चुके हैं, जिनका मुख्य कारण मुग़ल शासकों द्वारा किये गए आक्रमण थे।
संपूर्ण मंदिर स्थल को एक बारह जोड़ी चक्रों वाले, सात घोड़ों से खींचे जाते सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया गया था, जिनमें से अब केवल एक ही घोड़ा बचा है। यह मंदिर मुख्यतः सूर्य देव को समर्पित है।
चलिए, आज इसी पौराणिक सूर्य मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों को जानते हैं।
यूनेस्को, वैश्विक धरोहर स्मारक
प्राचीन वास्तुकला के विशिष्ट मॉडल के साथ कोणार्क मंदिर,ओड़िसा का इकलौता यूनेस्को द्वारा प्रमाणित वैश्विक धरोहर है।
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कलात्मक भव्यता और इंजीनियरिंग दक्षता
1255 ई. पू. में गंग वंश के राजा नृसिंहदेव द्वारा 1200 कलाकारों की मदद से बनवाये गए वास्तुकला की इस भव्यता को बनने में लगभग 12 साल का समय लगा।
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रथ आधारित निर्माण
कोणार्क मंदिर को 24 पहियों पर खूबसूरती से सजाये गए रथ के रूप में डिजाइन किया गया था। रथ का प्रत्येक पहिया व्यास में लगभग 10 फुट चौड़ा है और रथ 7 शक्तिशाली घोड़ों द्वारा खींचा जा रहा है।
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काला पगोडा
कोणार्क मंदिर को समुद्र के तट पर बनाया गया था, पर समुद्र के सिकुड़ जाने के बाद यह समुद्री तट से थोड़ा दूर हो गया। मंदिर के पगोडा का काला रंग होने की वजह से इसे काला पगोडा भी कहा जाता है।
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भगवान सूर्य को समर्पित
जैसा कि यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है यहाँ रोज़ सूर्य देवता की पूजा की जाती है।
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कोणार्क मंदिर के रथ में बने पहिये की खासियत
कोणार्क मंदिर के रथ में बने पहिये सूर्य घड़ी की मुद्रा में बने हैं जिन्हें आज के घड़ियों के अनुसार बनाया गया है।
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रचना के पीछे वैज्ञानिक नीति
मंदिर के ऊपरी हिस्से में चुम्बकों को इस तरह स्थापित किया गया था जिससे कि मंदिर की प्रमुख प्रतिमा हवा में तेरे।
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नाश की ओर निर्देशित करता
कोणार्क मंदिर के प्रवेश द्वार में दो शेर बने हुए हैं जो दो हाथियों को अपने निचे दबाये हुए हैं और उन हाथियों के नीचे मनुष्य की प्रतिमा दबी हुयी है। यहाँ शेर को अहम् के रूप में और हाथी को पैसे के रूप में दर्शाया गया है।इससे साफ़ निर्देशित होता है कि मनुष्य के लिए पैसे की लालच और अहम् नाश का कारण बनती हैं।
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समुद्री तट पर बनाने की नीति
इस मंदिर में चुम्बकों को इस तरह से स्थापित किया गया था कि जैसे ही सुबह सूर्य की पहली किरण मंदिर के अंदर प्रवेश करती थी मंदिर के अंदर स्थापित प्रतिमा वाली जगह हीरे की तरह चमक उठती थी। पर औपनिवेशिक समय में ब्रिटिश सरकार द्वारा चुम्बकीय पत्थर को पाने के लिए इन चुम्बकों को यहाँ से हटा दिया गया।
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वास्तुशिल्प चमत्कार
कोणार्क मंदिर के हर एक हिस्से पर देवी देवताओं, नृतकों, जीवन को दर्शाते चित्र आदि पत्थर पर उकेर कर दर्शाये गए हैं। कोणार्क मंदिर अपने में ही अलग एक आकर्षक केंद्र है।
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