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ओडिसा के सूर्य मंदिर, कोणार्क मंदिर से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें!

हर साल पर्यटक ओड़िसा के पूरी की सैर के लिए खासतौर पर यहाँ स्थित कोणार्क, सूर्य मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। इस सूर्य मंदिर की भव्यता भारत में ही नहीं पुरी दुनिया में प्रसिद्ध है। सूर्य के रथ के रूप में इस मंदिर का निर्माण, लाल बलुई पत्थर और काले ग्रेनाइट से किया गया है। इसे पत्थर पर उत्कृष्ट नक्काशी करके बहुत ही सुंदर बनाया गया है।

संपूर्ण मंदिर स्थल को एक बारह जोड़ी चक्रों वाले, सात घोड़ों से खींचे जाते सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया है। मंदिर अपनी कामुक मुद्राओं वाली शिल्पाकृतियों के लिये भी प्रसिद्ध है। आज के समय में इसके कई भाग ध्वस्त हो चुके हैं, जिनका मुख्य कारण मुग़ल शासकों द्वारा किये गए आक्रमण थे।

संपूर्ण मंदिर स्थल को एक बारह जोड़ी चक्रों वाले, सात घोड़ों से खींचे जाते सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया गया था, जिनमें से अब केवल एक ही घोड़ा बचा है। यह मंदिर मुख्यतः सूर्य देव को समर्पित है।

चलिए, आज इसी पौराणिक सूर्य मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों को जानते हैं।

यूनेस्को, वैश्विक धरोहर स्मारक

यूनेस्को, वैश्विक धरोहर स्मारक

प्राचीन वास्तुकला के विशिष्ट मॉडल के साथ कोणार्क मंदिर,ओड़िसा का इकलौता यूनेस्को द्वारा प्रमाणित वैश्विक धरोहर है।

Image Courtesy:Mike Prince

कलात्मक भव्यता और इंजीनियरिंग दक्षता

कलात्मक भव्यता और इंजीनियरिंग दक्षता

1255 ई. पू. में गंग वंश के राजा नृसिंहदेव द्वारा 1200 कलाकारों की मदद से बनवाये गए वास्तुकला की इस भव्यता को बनने में लगभग 12 साल का समय लगा।

Image Courtesy:Vinayreddym

रथ आधारित निर्माण

रथ आधारित निर्माण

कोणार्क मंदिर को 24 पहियों पर खूबसूरती से सजाये गए रथ के रूप में डिजाइन किया गया था। रथ का प्रत्येक पहिया व्यास में लगभग 10 फुट चौड़ा है और रथ 7 शक्तिशाली घोड़ों द्वारा खींचा जा रहा है।

Image Courtesy:Antoniraj

काला पगोडा

काला पगोडा

कोणार्क मंदिर को समुद्र के तट पर बनाया गया था, पर समुद्र के सिकुड़ जाने के बाद यह समुद्री तट से थोड़ा दूर हो गया। मंदिर के पगोडा का काला रंग होने की वजह से इसे काला पगोडा भी कहा जाता है।

Image Courtesy: Subhrajyoti

भगवान सूर्य को समर्पित

भगवान सूर्य को समर्पित

जैसा कि यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है यहाँ रोज़ सूर्य देवता की पूजा की जाती है।

Image Courtesy:Jayantanth

कोणार्क मंदिर के रथ में बने पहिये की खासियत

कोणार्क मंदिर के रथ में बने पहिये की खासियत

कोणार्क मंदिर के रथ में बने पहिये सूर्य घड़ी की मुद्रा में बने हैं जिन्हें आज के घड़ियों के अनुसार बनाया गया है।

Image Courtesy:Amartyabag

रचना के पीछे वैज्ञानिक नीति

रचना के पीछे वैज्ञानिक नीति

मंदिर के ऊपरी हिस्से में चुम्बकों को इस तरह स्थापित किया गया था जिससे कि मंदिर की प्रमुख प्रतिमा हवा में तेरे।

Image Courtesy:Mike Prince

नाश की ओर निर्देशित करता

नाश की ओर निर्देशित करता

कोणार्क मंदिर के प्रवेश द्वार में दो शेर बने हुए हैं जो दो हाथियों को अपने निचे दबाये हुए हैं और उन हाथियों के नीचे मनुष्य की प्रतिमा दबी हुयी है। यहाँ शेर को अहम् के रूप में और हाथी को पैसे के रूप में दर्शाया गया है।इससे साफ़ निर्देशित होता है कि मनुष्य के लिए पैसे की लालच और अहम् नाश का कारण बनती हैं।

Image Courtesy:Parshotam Lal Tandon

समुद्री तट पर बनाने की नीति

समुद्री तट पर बनाने की नीति

इस मंदिर में चुम्बकों को इस तरह से स्थापित किया गया था कि जैसे ही सुबह सूर्य की पहली किरण मंदिर के अंदर प्रवेश करती थी मंदिर के अंदर स्थापित प्रतिमा वाली जगह हीरे की तरह चमक उठती थी। पर औपनिवेशिक समय में ब्रिटिश सरकार द्वारा चुम्बकीय पत्थर को पाने के लिए इन चुम्बकों को यहाँ से हटा दिया गया।

Image Courtesy:Bernard Gagnon

वास्तुशिल्प चमत्कार

वास्तुशिल्प चमत्कार

कोणार्क मंदिर के हर एक हिस्से पर देवी देवताओं, नृतकों, जीवन को दर्शाते चित्र आदि पत्थर पर उकेर कर दर्शाये गए हैं। कोणार्क मंदिर अपने में ही अलग एक आकर्षक केंद्र है।

Image Courtesy:Bernard Gagnon

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